मोदी ने क्यों नहीं उठाया ट्रंप का फोन? टैरिफ के बाद अमेरिका से आ रही कॉल पर कॉल; ये है वजह
जर्मनी के एक अखबार के अनुसार राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी से कई बार बात करने की कोशिश की लेकिन भरोसे की कमी के कारण पीएमओ ने उत्साह नहीं दिखाया। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ट्रंप द्वारा गलत तथ्य पेश करने से भारत सतर्क है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मोदी और ट्रंप के बीच कोई सीधी बात नहीं हुई थी।

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से पीएम नरेन्द्र मोदी से टेलीफोन पर बात करने की कोशिश हुई थी। इस बारे में व्हाईट हाउस की तरफ से प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को अप्रोच किया गया था। लेकिन बीच में अड़चन 'भरोसे की कमी' ने पैदा कर दी।
असलियत में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पीएम मोदी से वार्ता को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप की तरफ से लगातार गलत तथ्य पेश करने से भारत के नीतिकार स्तब्ध होने के साथ ही सतर्क भी हैं। इस बात का भरोसा नहीं है कि दो शीर्ष नेताओं के बीच बातचीत हो तो उसे अमेरिका की तरफ से आगे किस तरह से पेश किया जाए।
जर्मनी के अखबार ने किया दावा
लिहाजा ट्रंप की तरफ से वार्ता की पेशकश पर पीएमओ ने उत्साह नहीं दिखाया। जर्मनी के एक समाचार पत्र ने फ्रैंकफुर्टर अलगेमाइने ने एक दिन पहले यह समाचार प्रकाशित किया है जिसमें दावा किया गया है कि हाल के हफ्तों में राष्ट्रपति ट्रंप की तरफ से चार बार पीएम मोदी से बात करने की कोशिश की गई लेकिन भारतीय पक्ष की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया। इस दावे का भारत की ओर से अभी तक आधिकारिक रूप से खंडन नहीं किया गया है।
इस बारे में बेहद गोपनीय सूत्रों ने दैनिक जागरण को बताया कि, 'दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच टेलीफोन पर वार्ता की जो प्रक्रिया होती है उसके पहले चरण में एक पक्ष की तरफ से आग्रह आता है और फिर दूसरे नेता के समय आदि को देख कर तिथि या समय आदि तय किया जाता है। राष्ट्रपति ट्रंप के कार्यालय से संदेश प्राप्त हुआ था लेकिन कई वजहों से उसे यथोचित रूप नहीं दिया जा सका।'
पीएम मोदी के पास कई बार आया फोन
इस बात का पता नहीं चल सका है कि ट्रंप के कार्यालय ने कितनी बार पीएमओ को अप्रोच किया था। सूत्रों ने बताया कि संभवत: आपसी भरोसा नहीं होने की वजह से संवाद स्थापित नहीं हो सका। भारतीय नीतिकारों को इस बात का भरोसा नहीं था कि एक बार टेलीफोन वार्ता होने को बाद में किस तरह से अमेरिकी पक्ष इसे पेश करेगा। इसका सबसे प्रमुख उदाहरण ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अमेरिकी मध्यस्थता को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप के दावे को बताया गया है।
भारत के विदेश मंत्रालय ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पीएम मोदी की राष्ट्रपति ट्रंप से कोई बात हुई थी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा (28 जुलाई) व राज्य सभा (30 जुलाई) को बताया था कि ऑपरेशन सिंदूर के बारे में पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच कोई सीधी बात नहीं हुई थी। बाद में उन्होंने न्यूजवीक को दिए गए एक साक्षात्कार में बताया था कि नौ मई, 2025 (ऑपरेशन सिंदूर के दौरान) उपराष्ट्रपति जे डी वांस की पीएम मोदी से बात हुई थी लेकिन इसमें सीजफायर या कारोबारी मुद्दों पर कोई बात नहीं हुई थी।
ट्रंप के दावे से बिगड़ी बात
इसके बावजूद राष्ट्रपति ट्रंप कम से कम 40 बार इस बात का दावा कर चुके हैं कि उन्होंने भारत व पाकिस्तान के नेतृत्व पर कारोबार नहीं करने का दबाव बना कर सीजफायर के लिए राजी किया। 26 अगस्त, 2025 को ट्रंप ने फिर से दावा किया है कि उन्होंने पीएम मोदी से बात की थी और पाकिस्तान से युद्ध रोकने के लिए भारत को कारोबार नहीं करने की धमकी दी थी। मोदी और ट्रंप के बीच पहलगाम हमले के दिन (22 अप्रैल) रात्रि में टेलीफोन पर बात हुई थी। तब पीएम मोदी सउदी अरब से अपने दौरे को अधूरा छोड़ कर स्वदेश लौट रहे थे।
उसके बाद दोनों नेताओं के बीच कोई बात नहीं हुई है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद राष्ट्रपति ट्रंप कई बार भारत के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दे चुके हैं। इस दौरान उन्होंने भारतीय आयात पर 25 फीसद का अतिरिक्त टैक्स लगाया है। कारण यह बताया है कि भारत रूस तेल खरीद रहा है। जबकि चीन जो सबसे ज्यादा रूस से तेल खरीदता है, उसके साथ ट्रंप प्रशासन लगातार वार्ता कर रहा है।
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