Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    UCC के दायरे में नहीं आएंगे आदिवासी, किरेन रिजिजू बोले- 'अपनी पारंपरिक व्यवस्था के अनुसार जिएंगे'

    Updated: Mon, 01 Sep 2025 04:00 AM (IST)

    केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने स्पष्ट किया कि पूर्वोत्तर और आदिवासी क्षेत्रों को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के दायरे से बाहर रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार यूसीसी लाने पर विचार कर रही है क्योंकि जब फौजदारी कानून समान हैं तो नागरिक कानून क्यों नहीं? रिजिजू ने आदिवासियों को अपने तरीके से जीने की आजादी देने की बात कही।

    Hero Image
    केंद्र सरकार के खिलाफ नैरेटिव गढ़ने का आरोप (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने रविवार को स्पष्ट किया कि पूर्वोत्तर और अन्य क्षेत्रों के आदिवासियों को प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के दायरे से बाहर रखा जाएगा ताकि वे अपनी पारंपरिक व्यवस्था के अनुसार स्वतंत्रता से जीवन जी सकें।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आरएसएस से जुड़े वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि कुछ लोग इंटरनेट मीडिया पर एक असामान्य माहौल बना रहे हैं और केंद्र सरकार के खिलाफ नैरेटिव गढ़ रहे हैं।

    समान नागरिक कानून की वकालत की

    उन्होंने कहा- ''केंद्रीय मंत्री के रूप में मैं अपनी सरकार का दृष्टिकोण साझा करना चाहता हूं। हमारी सरकार और भाजपा संविधान के अनुसार समान नागरिक संहिता लाने पर विचार कर रही है। जब फौजदारी कानून सभी के लिए समान है तो नागरिक कानून भी सभी के लिए समान क्यों नहीं होना चाहिए?''

    रिजिजू ने कहा कि कुछ राज्यों ने इस दिशा में कदम उठाना शुरू कर दिया है, लेकिन आदिवासियों को इससे छूट दी जाएगी। उन्होंने कहा- ''आदिवासियों को अपने तरीके से जीने की आजादी दी जानी चाहिए। यह समान नागरिक संहिता अनुसूची-6, अनुसूची-5, पूर्वोत्तर और अन्य आदिवासी क्षेत्रों में लागू नहीं होगी।''

    विधि आयोग कर रहा है विचार

    यूसीसी पर वर्तमान में विधि आयोग विचार कर रहा है, जबकि उत्तराखंड ने इसे लागू कर दिया है। भगवान बिरसा मुंडा भवन में जनजातीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र के उद्घाटन के अवसर पर रिजिजू ने कांग्रेस पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए कहा कि पहले दिल्ली में आदिवासियों के लिए कोई बड़ा संस्थान नहीं था।

    उस समय केंद्र की मंत्रिपरिषद में आदिवासी समुदायों के निर्वाचित सांसदों का प्रतिनिधित्व भी अपर्याप्त था। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आदिवासियों के कल्याण के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की।

    (न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

    यह भी पढ़ें- समान नागरिक संहिता के तहत मैरिज रजिस्‍ट्रेशन के नियमों में बदलाव, मिली कुछ और मोहलत

    comedy show banner
    comedy show banner