Jodhpur Royal Palace: 'शाही निवास से ताज होटल तक...', 22,400 करोड़ की कीमत वाला उम्मेद भवन पैलेस कैसे बनकर हुआ तैयार?
राजस्थान के चित्तर पहाड़ी पर स्थित उम्मेद भवन पैलेस का इतिहास गौरवशाली है। 1920 के दशक में मारवाड़ में भयंकर अकाल पड़ा, जिससे निपटने के लिए महाराजा उम्मेद सिंह ने 1929 में इस महल का निर्माण शुरू करवाया, ताकि लोगों को रोजगार मिल सके। बाद में, महल के एक हिस्से को होटल में बदल दिया गया, जिसका प्रबंधन ताज समूह ने संभाला। आज इस महल की कीमत 22,400 करोड़ रुपये है।

उम्मेद भवन: शाही इतिहास का प्रतीक। जागरण फोटो
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राजस्थान के चित्तर पहाड़ी के ऊपर स्थित उम्मेद भवन पैलेस का इतिहास बेहद गौरवशाली है। बलुआ पत्थर से बना ये शाही महल अपने अंदर हजारों कहानी समेटे हुए है। 1943 में बनकर तैयार हुआ ये 'आर्ट डेको कृति' न केवल दुनियाभर के सबसे बड़े निजी आवासों में से एक है, बल्कि भारत में शाही परोपकार की सबसे मार्मिक कहानियों का भी हिस्सा रहा है। जोधपुर राजपरिवार का निवास स्थान ये भवन मारवाड़ के इतिहास का सबसे भीषण अकाल का भी गवाह रहा है।
अकाल का अभिशाप
स्थानीय किंवदंती के अनुसार, उम्मेद भवन पैलेस का निर्माण एक संत की भविष्यवाणी से जुड़ा हुआ है। ऐसा कहा गया कि जोधपुर के अच्छे शासन के खत्म होने के बाद, उसे लंबे समय तक अकाल का सामना करना पड़ेगा। संत की कही गई बात सच साबित हुई। साल 1920 के दशक में लगातार तीन साल अकाल पड़ा जिसने मारवाड़ को तबाह कर दिया। हज़ारों किसानों की रोटी छिन गई, और इस तरह राजस्थान का अस्तित्व खतरे में पड़ गया।
इस दौरान महाराजा उम्मेद सिंह ने मुंह मोड़ने के बजाय अकाल के खिलाफ खुद ही कदम उठाने का फैसला किया। उन्होंने 1929 में इस महल का निर्माण सत्ता के प्रतीक के रूप में नहीं, बल्कि रोज़गार के अवसर पैदा करने के लिए किया। महल के निर्माण में 2,000 से 3,000 लोगों ने एक दशक से भी ज़्यादा समय तक इस जगह पर काम किया, भवन निर्माण के समय चिलचिलाती धूप में पत्थरों को तराशने, ढोने और स्थापित करने का काम किया।
20 के दशक में जोधपुर में भयानक सूखा पड़ा था। इस दौरान उम्मीद के शासक महाराजा उम्मेद सिंह थे। सूखे के दौरान जब राजा ने जनता को दान देने की कोशिश की तो लोगों ने साफ तौर पर मना कर दिया। प्रजा ने कहा कि हमें दान नहीं रोजगार दो'। बस यहीं उम्मेद भवन के निर्माण का कारण बना।
शाही निवास से ताज पैलेस होटल तक
साल 1970 के दशक के अंत में गज सिंह ने महल को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि महल के एक हिस्से को जनता के लिए खोल दिया जाए। इसके पीछे ये सोच थी कि उम्मेद भवन के एक हिस्से को एक आलीशान होटल में बदल दिया जाए, जबकि शाही परिवार के निवास को निजी रखा जाए। इस कदम से महल के रखरखाव आसान हो गया और शाही परिवार को धन की प्राप्ति हुई।
बाद में, ताज समूह ने होटल विंग का प्रबंधन संभाला और उम्मेद भवन को राजस्थान भर में स्थित अपने भव्य महल होटलों के पोर्टफोलियो में शामिल कर लिया। ताज ने मूल 'आर्ट डेकोइंटीरियर' को बरकरार रखा और सुइट्स, डाइनिंगहॉल और सार्वजनिक कमरों को 1940 के दशक जैसा ही बनाए रखा। आज मेहमान क्रिस्टल के झूमरों के नीचे भोजन करते हैं, संगमरमर के गलियारों में टहलते हैं, और सुबह उठते ही उन नज़ारों का आनंद लेते हैं जो कभी राजपरिवार के लोगों के लिए आरक्षित था।
शाही भवन की आज कितनी है कीमत?
आज के समय में उम्मीद भवन की कीमत 22,400 करोड़ रुपये है। यह संपत्ति तीन हिस्सों में बंटी हुई है। शाही परिवार का निजी आवास, ताज द्वारा संचालित आलीशान होटल और जोधपुर के शाही इतिहास की कलाकृतियों को प्रदर्शित करने वाला एक संग्रहालय, जिसमें पुरानी कारें और विरासती सामान शामिल हैं।
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