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    कैसे तय होता है सैलरी बढ़ाने का फॉर्मूला? 8वें वेतन आयोग से जुड़े अहम पहलू

    Updated: Tue, 28 Oct 2025 05:04 PM (IST)

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के विचारार्थ विषयों को मंजूरी दी। यह आयोग एक अध्यक्ष, एक अंशकालिक सदस्य और एक सदस्य-सचिव के साथ अस्थायी निकाय होगा, जो 18 महीनों में अपनी रिपोर्ट देगा। आयोग आर्थिक स्थिति, राजकोषीय संतुलन, पेंशन लागत, राज्यों पर प्रभाव और निजी क्षेत्र की वेतन संरचना को ध्यान में रखेगा। इसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू होने की संभावना है।

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    डिजिटल डेस्‍क, नई दिल्‍ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के गठन को मंजूरी दे दी गई है। यह आयोग केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन, भत्ते, पेंशन और अन्य लाभों की समीक्षा करेगा और उसी के आधार पर सैलरी में बढ़ोतरी की सिफारिश करेगा। आयोग को अपनी रिपोर्ट साल 2026 तक सौंपनी होगी। आमतौर पर वेतन आयोग का गठन हर दस साल में किया जाता है। पिछला यानी 7वां वेतन आयोग 2014 में बना था और इसकी सिफारिशें 2016 में लागू की गई थीं।

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    क्या होता है वेतन आयोग?

    वेतन आयोग केंद्र सरकार द्वारा गठित एक उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति होती है, जिसका उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों के वेतन और भत्तों की समीक्षा कर उन्हें वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार न्यायोचित बनाना होता है। यह आयोग सुनिश्चित करता है कि कर्मचारियों को ऐसा वेतन मिले, जिससे वे सम्मानजनक जीवन जी सकें। इसके अलावा यह पेंशन, महंगाई भत्ता, चिकित्सा और आवास जैसी सुविधाओं से जुड़ी नीतियों में सुधार की सिफारिशें भी करता है।

    कैसे होता है वेतन आयोग का गठन

    वेतन आयोग का गठन सामान्यतः हर 10 वर्ष में एक बार किया जाता है। हालांकि, यह कोई अनिवार्य नियम नहीं है। सरकार आर्थिक स्थिति, महंगाई और राजकोषीय जरूरतों को देखते हुए इसे पहले या बाद में भी गठित कर सकती है। आयोग का प्रमुख अक्सर कोई सेवानिवृत्त न्यायाधीश या वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी होता है, जबकि अन्य सदस्य वित्त, अर्थशास्त्र, वेतन प्रबंधन और मानव संसाधन के विशेषज्ञ होते हैं।

    किन कर्मचारियों को नहीं मिलेगा लाभ

    वेतन आयोग का लाभ केवल उन्हीं कर्मचारियों को मिलता है, जिन्हें केंद्र सरकार के कंसॉलिडेटेड फंड से वेतन प्राप्त होता है। यानी, केंद्रीय सिविल सेवाओं के सभी अधिकारी और कर्मचारी इसके दायरे में आते हैं।

    हालांकि, पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स (PSUs), स्वायत्त संस्थान (Autonomous Bodies) और ग्रामीण डाक सेवक इस आयोग के अंतर्गत नहीं आते। इसी तरह सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों के वेतन और भत्ते अलग नियमों के तहत तय किए जाते हैं, इसलिए उन्हें भी वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ नहीं मिलता।

    सैलरी बढ़ाने का फॉर्मूला कैसे तय होता है?

    वेतन आयोग कर्मचारियों की सैलरी तय करने के लिए कई आर्थिक और सामाजिक पहलुओं पर विचार करता है:

    • महंगाई दर (Inflation): आयोग सबसे पहले यह देखता है कि पिछले वर्षों में महंगाई दर कितनी बढ़ी है और इसका कर्मचारियों की जीवनशैली पर क्या असर पड़ा है। महंगाई बढ़ने पर आयोग वेतन वृद्धि का अनुपात उसी अनुसार तय करता है।
    • देश की अर्थव्यवस्था (Economic Condition): देश की आर्थिक स्थिति अच्छी होने पर वेतन में अधिक वृद्धि की संभावना रहती है। यदि राजकोषीय स्थिति कमजोर हो तो वृद्धि सीमित रखी जाती है।
    • कर्मचारियों का प्रदर्शन (Performance): आयोग यह भी देखता है कि कर्मचारियों की उत्पादकता और कार्यकुशलता में कितना सुधार आया है। यदि प्रदर्शन बेहतर है, तो सिफारिशों में इसका असर दिखाई देता है।
    • बाजार का वेतन स्तर (Market Comparison): आयोग निजी क्षेत्र में मिलने वाले वेतन का भी अध्ययन करता है, ताकि सरकारी और निजी कर्मचारियों के बीच अत्यधिक असमानता न रहे।

    वेतन आयोग की मुख्य सिफारिशें

    • कर्मचारियों के मौजूदा वेतन में वृद्धि
    • पेंशन प्रणाली में सुधार
    • भत्तों (जैसे परिवहन, आवास, चिकित्सा आदि) में संशोधन
    • कर्मचारियों की कामकाजी परिस्थितियों में सुधार
    • नए कर्मचारियों के लिए वेतन संरचना और भर्ती प्रक्रिया को अद्यतन करना
    • कौशल विकास और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की सिफारिश करना

    अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

    1. वेतन आयोग गठन के बाद क्या होता है?

    आयोग विभिन्न बैठकों में महंगाई, सरकारी वित्त और अन्य पहलुओं का अध्ययन करता है और फिर सैलरी बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार करता है।

    2. रिपोर्ट सौंपने में कितना समय लगता है?

    यह अवधि सरकार तय करती है। उदाहरण के लिए, 7वें वेतन आयोग ने लगभग 18 महीनों में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।

    3. क्या सरकार आयोग की सिफारिशों को मानने के लिए बाध्य है?

    नहीं। सरकार देश की आर्थिक स्थिति और बजट को देखते हुए अंतिम फैसला लेती है।

    4. सिफारिशें कब लागू हो सकती हैं?

    सरकार इन्हें साल 2026 से लागू कर सकती है।

    5. क्या सेना और अर्धसैनिक बलों को भी लाभ मिलेगा?

    हां, सशस्त्र बलों और अर्धसैनिक बलों को भी आयोग की सिफारिशों का लाभ दिया जाता है।

    6. क्या पीएसयू (PSU) कर्मचारियों को लाभ मिलेगा?

    नहीं, पीएसयू और स्वायत्त संस्थाओं के कर्मचारियों का वेतन अलग नीतियों के तहत तय किया जाता है।

    Source:

    • Department of expenditure ministry of finance
    • https://doe.gov.in/central-pay-commission
    • वेतन आयोग के गठन से संबंधित जानकारी
    • https://doe.gov.in/files/cenetral-pay_document/7cpc_report_eng.pdf

     

    यह भी पढ़ें- 8th Pay Commission: आठवें वेतन आयोग के गठन को कैबिनेट की मंजूरी, कितनी बढ़ जाएगी आपकी सैलरी?