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    UNSC की रिपोर्ट से खुली पाकिस्तान की पोल, पहलगाम आतंकी हमले में आया TRF का नाम

    Updated: Wed, 30 Jul 2025 08:31 PM (IST)

    संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की रिपोर्ट ने पहलगाम आतंकी हमले में टीआरएफ की भूमिका का खुलासा किया है। रिपोर्ट में लश्कर के मुखौटा संगठन के रूप में टीआरएफ का उल्लेख है जबकि पाकिस्तान यूएनएससी का सदस्य है। भारत इसे अपनी कूटनीतिक जीत मान रहा है क्योंकि रिपोर्ट में पाकिस्तान के आतंकी चरित्र को उजागर किया गया है।

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    पहलगाम आतंकी हमले के पीछे टीआरएफ के आतंकी।

    जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अमेरिका के बाद अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की एक रिपोर्ट में भी पहलगाम आतंकी हमले के दोषी आतंकी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) की भूमिका का राजफाश किया गया है। यूएनएससी द्वारा आतंकी गतिविधियों की निगरानी करने के लिए गठित एक मानिटरिंग टीम की रिपोर्ट में लश्कर के इस मुखौटा संगठन का उल्लेख किया गया है।

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    यह रिपोर्ट ऐसे वक्त आई है जब यूएनएससी का अस्थाई सदस्य पाकिस्तान इस संगठन की अध्यक्षता कर रहा है। रिपोर्ट में पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा गया है -' यूएनएससी के एक सदस्य ने टीआरएफ के लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के साथ संबंधों को खारिज किया और कहा है कि एलईटी अब निष्क्रिय है।'ॉ

    भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत

    इस बीच विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का मानना है कि यह एक पंक्ति पाकिस्तान के आतंकी चरित्र को उजागर करने के लिए पर्याप्त है। इसे भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है। हाल ही में अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने टीआरएफ को अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन घोषित किया था। यूएनएससी 1267 (आइसीआइएस, अलकायदा) प्रतिबंध समिति की इस रिपोर्ट को 21 जुलाई को अंतिम रूप दिया गया और इसे बुधवार को सार्वजनिक किया गया।

    रिपोर्ट में क्या कहा गया?

    रिपोर्ट में कहा गया है -  22 अप्रैल को पांच आतंकियों ने जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में एक पर्यटक स्थल पर हमला किया, जिसमें 26 नागरिक मारे गए। उसी दिन टीआरएफ ने हमले की जिम्मेदारी ली और हमले के स्थल की एक तस्वीर प्रसारित की। अगले दिन जिम्मेदारी का दावा दोहराया गया, लेकिन 26 अप्रैल को टीआरएफ ने अपनी जिम्मेदारी के दावे को वापस ले लिया। इसके बाद टीआरएफ की ओर से कोई और संचार नहीं हुआ। किसी अन्य समूह ने भी जिम्मेदारी नहीं ली। क्षेत्रीय स्तर पर तनाव बना हुआ है और आतंकी समूह इन तनावों का फायदा उठा सकते हैं।

    एक सदस्य देश ने कहा कि यह हमला लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के समर्थन के बिना नहीं हो सकता था और टीआरएफ और एलईटी के बीच संबंध है। एक अन्य सदस्य देश ने कहा कि हमला टीआरएफ ने किया जो लश्कर के समान है। हालांकि, एक सदस्य देश ने इन विचारों को खारिज करते हुए कहा कि एलईटी अब अस्तित्व में नहीं है।

    पाकिस्तान की कूटनीतिक हार

    इस रिपोर्ट में टीआरएफ का उल्लेख सीधे तौर पर पाकिस्तान की कूटनीतिक हार है, खासकर तब जबकि वह यूएनएससी का सदस्य है और इस महीने इस संगठन की अध्यक्षता कर रहा है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2019 के बाद पहली बार मानिटरिंग समिति की रिपोर्ट में पाकिस्तान के आतंकी संगठन का उल्लेख किया गया है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने संसद में यह दावा किया था कि पहलगाम हमले के बाद यूएनएससी की तरफ से जारी बयान में टीआरएफ का नाम हटाने में उन्हें सफलता मिली है।

    भारत के खिलाफ पाकिस्तानी सेना के मंसूबे हुए उजागर

    भारत की खुफिया एजेंसियों के अनुसार, यूएनएससी की रिपोर्ट ने टीआरएफ की आड़ में भारत में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने की पाकिस्तानी सेना के मंसूबों को सामने ला दिया है। पाकिस्तान ने काफी सोच-समझकर एलईटी और जैश के आतंकियों को मिलाकर टीआरएफ और पीपुल अगेंस्ट फासिस्ट फ्रंट जैसे नाम वाले संगठनों का गठन किया है। इनका उद्देश्य जम्मू और कश्मीर में आतंकी घटनाओं को स्थानीय रूप देना है।

    भारत का विदेश मंत्रालय 2023 से ही टीआरएफ को लेकर वैश्विक बिरादरी को सतर्क कर रहा है। मई 2024 में भारत के अधिकारियों ने यूएनएससी के सभी सदस्यों के समक्ष टीआरएफ की गतिविधियों पर जानकारी दी थी। इस संदर्भ में विशेष कूटनीतिक दल भी भेजे गए हैं। नई दिल्ली में कई देशों के राजदूतों को समय-समय पर इस विषय में जानकारी दी जाती रही है। भारत को अमेरिका और फ्रांस से विशेष सहयोग मिल रहा है।

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