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    लेदर, कपड़ा, केमिकल... ट्रंप के टैरिफ का किन-किन सेक्टर पर होगा असर? एक्सपर्ट्स ने बताया तोड़

    Updated: Thu, 07 Aug 2025 08:22 AM (IST)

    अमेरिका ने भारत के निर्यात पर 50% टैरिफ लगाया है जिससे लेदर केमिकल जूते रत्न-आभूषण कपड़ा और झींगा जैसे सेक्टरों में भारी असर पड़ेगा। रूस से तेल खरीदने की वजह से लगाए गए इस टैरिफ से भारत के निर्यात में 40-50% की गिरावट हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले से कपड़ा और आभूषण उद्योग को बड़ा नुकसान होगा।

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    ट्रंप के टैरिफ के बाद लेदर, केमिकल, जूते, रत्न-आभूषण, कपड़ा और झींगा के सेक्टर में तूफान सा आ गया है।

    पीटीआई, नई दिल्ली। अमेरिका ने भारत के निर्यात (Indian Export to US) पर 50 फीसदी टैरिफ का कड़ा फैसला सुनाया है। इस फैसले के बाद लेदर, केमिकल, जूते, रत्न-आभूषण, कपड़ा और झींगा के सेक्टर में तूफान सा आ गया है।

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    यह टैरिफ रूस से तेल खरीदने की सजा के तौर पर लगाया गया है, जबकि चीन और तुर्की जैसे देशों को इससे छूट मिली है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से भारत के अमेरिका को होने वाले निर्यात में 40-50 फीसदी की भारी गिरावट आ सकती है।

    2024-25 में भारत और अमेरिका के बीच 131.8 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। इसमें भारत का निर्यात 86.5 अरब डॉलर और आयात 45.3 अरब डॉलर रहा।

    लेकिन अब यह नया टैरिफ (US Tariff on India) भारत के प्रमुख निर्यात क्षेत्रों में भीतर तक चोट पहुंचाएगा। कपड़ा, रत्न-आभूषण, झींगा, चमड़ा, रसायन और मशीनरी जैसे क्षेत्रों पर इसका सबसे ज्यादा असर होगा।

    कब और कैसे लगेगा टैरिफ?

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 6 अगस्त को 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ (Additional Tariff) की घोषणा की है। ये टैरिफ 7 अगस्त से लागू हो गया। इसके बाद 27 अगस्त से एक और 25 फीसदी टैरिफ जोड़ा जाएगा। इससे भारत पर कुल टैरिफ 50 फीसदी हो जाएगा। यह मौजूदा आयात शुल्क के अतिरिक्त होगा।

    थिंक टैंक GTRI के मुताबिक, इस टैरिफ से ऑर्गेनिक रसायनों पर 54 फीसदी, कारपेट पर 52.9 फीसदी, परिधान (बुने हुए) पर 60.3 फीसदी और रत्न-आभूषण पर 52.1 फीसदी तक अतिरिक्त शुल्क लगेगा। इससे भारतीय सामान अमेरिकी बाजार में बेहद महंगे हो जाएंगे।

    कोलकाता के समुद्री खाद्य निर्यातक योगेश गुप्ता ने कहा कि भारतीय झींगा (Tariff on Shrimps) पहले से ही 2.49 फीसदी एंटी-डंपिंग और 5.77 फीसदी काउंटरवेलिंग ड्यूटी झेल रहा है। अब 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ के साथ कुल शुल्क 33.26 फीसदी हो जाएगा। इससे इक्वाडोर जैसे देशों से प्रतिस्पर्धा और मुश्किल हो जाएगी।

    कपड़ा और आभूषण उद्योग की क्या हैं चिताएं?

    भारतीय कपड़ा उद्योग संघ (CITI) ने इस टैरिफ को कपड़ा निर्यात के लिए बड़ा झटका बताया है। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा कपड़ा और परिधान निर्यात बाजार है।

    यह बाजार 10.3 अरब डॉलर तक का है। CITI ने कहा कि यह टैरिफ भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धी क्षमता को कमजोर करेगा। उन्होंने सरकार से इस संकट से निपटने के लिए तुरंत कदम उठाने की मांग की है।

    इस तरह ही कमा ज्वेलरी के एमडी कोलिन शाह ने कहा कि यह टैरिफ भारत के 55 फीसदी निर्यात को सीधे प्रभावित करेगा। उन्होंने बताया कि कई निर्यात ऑर्डर रुक गए हैं, क्योंकि खरीदार अब ऊंची लागत के कारण भारत से सामान लेने से कतराने लगे हैं। छोटे और मझोले उद्यमों (MSME) के लिए यह टैरिफ झेलना लगभग असंभव है, क्योंकि उनका मुनाफा पहले ही कम है।

    नए बाजारों को तलाशने की जरूरत

    कानपुर की ग्रोमोर इंटरनेशनल लिमिटेड के एमडी यदवेंद्र सिंह सच्चन ने सुझाव दिया कि निर्यातकों को अब नए बाजार तलाशने होंगे ताकि निर्यात की रफ्तार बनी रहे।

    निर्यातक इस उम्मीद में हैं कि भारत-अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA) जल्द पूरा होगा, जो टैरिफ की चुनौतियों से निपटने में मदद कर सकता है।

    भारत और अमेरिका एक अंतरिम व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। इसका पहला चरण इस साल अक्टूबर-नवंबर तक पूरा होने की उम्मीद है। हालांकि, भारत कृषि, डेयरी और आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) उत्पादों पर शुल्क रियायतों में कोई समझौता नहीं करेगा।

    निर्यातकों को उम्मीद है कि यह समझौता उनके लिए राहत लेकर आएगा, लेकिन तब तक टैरिफ की मार से बचना मुश्किल होगा।

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