Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'अमेरिकी टैरिफ का अभी असर नहीं', केंद्र ने कहा- आने वाली चुनौतियों से निपटने को उठाने होंगे ठोस कदम

    Updated: Wed, 27 Aug 2025 10:36 PM (IST)

    वित्त मंत्रालय का कहना है कि अमेरिकी टैरिफ का भारतीय निर्यात पर तात्कालिक प्रभाव सीमित हो सकता है पर अप्रत्यक्ष प्रभाव चुनौतियां पेश कर सकते हैं। भारत-अमेरिका व्यापार वार्ताएं इन मुद्दों के समाधान के लिए महत्वपूर्ण हैं। अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ से कपड़ा रत्न आभूषण और चमड़ा जैसे क्षेत्र प्रभावित होंगे।

    Hero Image
    अमेरिकी टैरिफ का भारतीय निर्यात पर क्या पड़ेगा प्रभाव (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने कहा है कि भारतीय निर्यात पर लगाए गए अमेरिकी टैरिफ के तात्कालिक प्रभाव सीमित लग सकते हैं, लेकिन मंत्रालय का मानना है कि इसके अप्रत्यक्ष प्रभाव ऐसी चुनौतियां पेश कर सकते हैं, जिनका समाधान किया जाना जरूरी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मंत्रालय द्वारा जारी मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि अमेरिकी टैरिफ के अप्रत्यक्ष प्रभावों सहित अन्य मुद्दों के समाधान के लिए चल रही भारत-अमेरिका व्यापार वार्ताएं महत्वपूर्ण हैं। 27 अगस्त से अमेरिका में प्रवेश करने वाले भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत का भारी टैरिफ 48 अरब डालर से अधिक के निर्यात को प्रभावित करेगा।

    ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए उच्च आयात शुल्क का खामियाजा जिन क्षेत्रों को भुगतना पड़ेगा, उनमें कपड़ा/परिधान, रत्न एवं आभूषण, झींगा, चमड़ा और जूते, पशु उत्पाद, रसायन, तथा विद्युत एवं यांत्रिक मशीनरी शामिल हैं।रिपोर्ट में कहा गया है कि विविधीकरण और वैश्विक बदलाव के अनुरूप भारत अपने लचीले व्यापार प्रदर्शन को बनाए रखने के लिए एक विविध व्यापार रणनीति का सक्रिय रूप से पालन कर रहा है।

    इसमें हाल ही में यूके के साथ संपन्न एफटीए और अमेरिका, यूरोपीय यूनियन, न्यूजीलैंड, चिली और पेरू के साथ चल रहीं व्यापार वार्ताएं शामिल हैं। हालांकि, इन पहलों के परिणाम दिखने में समय लगेगा और अगर भारत पर मौजूदा टैरिफ दरें जारी रहती हैं, तो अमेरिका को होने वाले निर्यात में कमी को पूरी तरह से दूर नहीं किया जा सकेगा।

    रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले कुछ सालों में मजबूत आर्थिक प्रदर्शन, नीतिगत स्थिरता और उच्च बुनियादी ढांचे के निवेश के कारण एसएंडपी ने सावरेन रेटिंग को 'बीबीबी-' से 'बीबीबी' में अपग्रेड किया है।

    रिपोर्ट में कहा गया है, ''रेटिंग को अपग्रेड करने का मतलब अर्थव्यवस्था के मजबूत वृहद आर्थिक बुनियादी ढांचे और चल रहे सुधारों का प्रमाण है। यह आकलन ऐसे समय में आया है, जब अर्थव्यवस्था ने वैश्विक चुनौतियों का सामना करते हुए काफी लचीलापन दिखाया है।

    निकट भविष्य में मध्यम रह सकती है मुख्य मुद्रास्फीति

    घरेलू मोर्चे पर रिपोर्ट में कहा गया है कि सामान्य से अधिक बारिश और खरीफ फसलों की बेहतर बोआई के कारण, निकट भविष्य में मुख्य मुद्रास्फीति मध्यम बनी रह सकती है। पहली तिमाही में बाजार में बढ़ी आवक, पर्याप्त बफर स्टाक और बेहतर उत्पादन संभावनाओं के साथ-साथ स्थिर वैश्विक तेल बाजार, खाद्यान्न की कीमतों को मध्यम बनाए रख सकते हैं।

    वैश्विक विकास के लिए नकारात्मक जोखिमों के कारण अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी की कीमतें नियंत्रण में रहने की संभावना है, जिससे उच्च टैरिफ के प्रभाव की आंशिक रूप से भरपाई हो जाएगी।

    जीएसटी सुधारों से परिवारों को राहत मिलने की उम्मीद

    आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए, प्रधानमंत्री ने नीतिगत सुधारों पर केंद्रित कुछ पहलों का एलान किया है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि आने वाले महीनों में आवश्यक वस्तुओं पर कर के बोझ को कम करने पर जोर देते हुए अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधारों की योजनाबद्ध शुरुआत से परिवारों को प्रत्यक्ष राहत मिलने और उपभोग मांग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इन उपायों के अतिरिक्त, रेटिंग अपग्रेड से उधार लेने की लागत कम होने, अधिक विदेशी पूंजी प्रवाह आकर्षित करने, वैश्विक पूंजी बाजारों तक पहुंच बढ़ाने, प्रयोज्य आय को बढ़ावा देने, मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने, व्यवसायों के लिए इनपुट लागत में कटौती करने और विकास को समर्थन मिलने की उम्मीद है।

    Trump Tariff On India: ये है ट्रंप के टैरिफ का तोड़... GDP पर कम हो जाएगा असर; क्या है मोदी सरकार का Plan B?