देशभर में कब होगा एसआईआर? चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि सभी राज्यों में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया शुरू करने का कार्य प्रगति पर है। निर्वाचन आयोग द्वारा इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। चुनाव आयोग ने 24 जून को बिहार में एसआईआर की शुरुआत करते समय अखिल भारतीय स्तर पर मतदाता सूची में संशोधन की घोषणा की थी।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को कहा कि सभी राज्यों में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया शुरू करने का कार्य प्रगति पर है। इसके क्रियान्वयन पर अंतिम निर्णय निर्वाचन आयोग द्वारा लिया जाएगा।
पत्रकारों से बात करते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि चुनाव आयोग ने 24 जून को बिहार में एसआईआर की शुरुआत करते समय अखिल भारतीय स्तर पर मतदाता सूची में संशोधन की अपनी योजना की घोषणा की थी। इस पर काम चल रहा है और तीनों आयुक्त विभिन्न राज्यों में एसआआईआर शुरू करने की तारीखों पर निर्णय लेने के लिए बैठक करेंगे।
अधिकारियों को दिया गया ये निर्देश
आयोग ने राज्य के चुनाव अधिकारियों को 30 सितंबर तक मतदाता सूची संशोधन अभियान के लिए तैयार रहने को कहा था। सूत्रों के अनुसार, चुनाव आयोग के शीर्ष अधिकारियों ने इस महीने की शुरुआत में एक सम्मेलन के दौरान राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारियों से अगले 10 से 15 दिनों में एसआईआर के लिए तैयार रहने को कहा था। लेकिन, अधिक स्पष्टता के लिए मतदाता सूची के संशोधन की खातिर तैयार रहने हेतु 30 सितंबर की समय सीमा निर्धारित की गई थी। मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने राज्यों की मतदाता सूचियों को अंतिम एसआईआर के बाद प्रकाशित करें।
बिहार के लिए छह नवंबर सबसे निकट की तारीख, जिस दिन चुनाव संभव था
छठ पर्व के तुरंत बाद बिहार विधानसभा चुनाव कराने की राजनीतिक दलों की मांग के बीच मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि छह नवंबर संभवत: सबसे निकट की तारीख है, जिस दिन चुनाव संभव था।
कुमार ने कहा कि शनिवार को पटना में चुनाव आयोग के साथ बातचीत के दौरान राजनीतिक दलों ने मतदाताओं की ज्यादा भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए छठ के तुरंत बाद चुनाव कराने की मांग की थी। बिहार से लौटने के तुरंत बाद उन्होंने तारीख की घोषणा कर दी। कहा कि अधिसूचना, नामांकन की अवधि और प्रचार के समय को ध्यान में रखते हुए शायद इससे पहले चुनाव कराना संभव नहीं था।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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