सालभर से फिदायीन हमलावर तलाश रहा था 'व्हाइट-कॉलर' आतंकी मॉड्यूल, ऐसे हुआ पर्दाफाश
दिल्ली लाल किला कार ब्लास्ट मामले की जांच में खुलासा हुआ है कि डॉक्टरों के एक आतंकी मॉड्यूल ने एक साल से आत्मघाती हमलावर की तलाश की। पुलवामा के डॉ. उमर नबी इस मॉड्यूल का नेतृत्व कर रहे थे, जिसका उद्देश्य दिल्ली में हमला करना था। श्रीनगर पुलिस ने कई गिरफ्तारियां कीं और मॉड्यूल का पर्दाफाश किया। जांच में जैश से जुड़े तार और तुर्किये में आतंकियों से मुलाकात का भी पता चला।
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सालभर से फिदायीन हमलावर तलाश रहा था व्हाइट कॉलर आतंकी मॉड्यूल (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली लाल किला कार ब्लास्ट मामले में जांच के दौरान बड़ा पर्दाफाश हुआ है कि डाक्टरों से बना एक सफेदपोश आतंकी माड्यूल पिछले एक साल से आत्मघाती हमलावर की तलाश में लगा था। इस माड्यूल की कमान पुलवामा निवासी कट्टरपंथी डॉ. उमर नबी के हाथ में थी, जो छह दिसंबर को दिल्ली के किसी भीड़भाड़ वाले इलाके या धार्मिक स्थल पर फिदायीन हमला कराने की साजिश चला रहा था।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के अनुसार 10 नवंबर को हुए दिल्ली कार धमाके में मारा गया उमर एक कट्टरपंथी था। सहआरोपित से पूछताछ में सामने आया कि उसका मानना था कि “बड़ा हमला तभी सफल होगा जब टीम में एक आत्मघाती हमलावर हो।''
क्या मिला सुराग?
इसी सुराग के आधार पर श्रीनगर पुलिस ने काजीगुंड से राजनीति विज्ञान के छात्र जासिर उर्फ दानिश, और चिकित्सक डा. अदील राथर व डा. मुजफ्फर गनाई को गिरफ्तार किया। इसके बाद एसएसपी डा. जी.वी. संदीप चक्रवर्ती के नेतृत्व में पूरे माड्यूल का पर्दाफाश हुआ।
'फिदायीन हराम' ने सारे प्लान पर फेरा पानी हिरासत में लिए गए छात्र ने कबूल किया कि वह पिछले वर्ष अक्टूबर में कुलगाम की एक मस्जिद में डाक्टरों के इस माड्यूल से मिला था और उसी नेटवर्क ने उसके लिए हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी में ठहरने की व्यवस्था कराई थी।
माड्यूल चाहता था कि वह जैश-ए-मोहम्मद के ओवर ग्राउंड वर्कर के रूप में काम करे, लेकिन उमर ने उसे आत्मघाती हमलावर बनने की ओर मोड़ दिया।हालांकि, अप्रैल में एक सदस्य ने आर्थिक तंगी और आत्मघाती हमले को इस्लाम के खिलाफ बताते हुए समूह छोड़ दिया, जिससे फिदायीन प्लान अस्थायी रूप से विफल हो गया।
तुर्किये में आतंकियों से की थी मुलाकात
जांच एजेंसियों का कहना है कि जैश से जुड़े इस अंतरराज्यीय नेटवर्क में आत्मघाती हमलावर की खोज आतंकवादी गतिविधियों को एक खतरनाक नया मोड़ देती है। पुलवामा का 28 वर्षीय उमर तेजी से कश्मीर, हरियाणा और यूपी में नेटवर्क फैला रहा था। आरोप है कि वह 6 दिसंबर को वीबीआइईडी (वाहन आधारित आइईडी) धमाका करना चाहता था। 2021 में तुर्किये दौरे पर जैश आतंकियों से मिला था उमर सहआरोपित ने यह भी बताया कि 2021 में उमर और डा. मुजम्मिल अहमद गनाई साथ में तुर्किये गए थे, जहां वे जैश के ओजीडब्ल्यू से मिले।
इसके बाद दोनों ने बड़ी मात्रा में 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट, पोटैशियम नाइट्रेट और सल्फर खरीदकर यूनिवर्सिटी परिसर में जमा कर लिया।माड्यूल की दिसंबर वाली बड़ी साजिश तब ध्वस्त हुई जब श्रीनगर पुलिस ने गनाई को गिरफ्तार कर विस्फोटक बरामद कर लिए। योजना असफल होती देख उमर ने जल्दबाजी में लाल किले के पास कार धमाके को अंजाम दिया, जिसमें 13 लोग मारे गए।
ऐसे हुआ अंतरराज्यीय नेटवर्क का पर्दाफाश
19 अक्टूबर को श्रीनगर के बाहरी इलाकों में दीवारों पर लगे जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टरों की छोटी-सी घटना ने इस बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ कराया। सीसीटीवी फुटेज से तीन स्थानीय युवकों- आरिफ निसार उर्फ साहिल, यासिर उल अशरफ और मकसूद अहमद डार उर्फ शादिद- को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में शोपियां के पूर्व पैरामेडिक और वर्तमान इमाम मौलवी इरफान अहमद का नाम सामने आया, जिसने पोस्टर सप्लाई किए और डाक्टरों को कट्टरपंथ की ओर धकेला।

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