Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'समुद्र के शासक' से प्रसिद्ध... कौन थे सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम? जिनकी जयंती समारोह में शामिल होंगे पीएम मोदी

    Updated: Sun, 27 Jul 2025 11:32 AM (IST)

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु के दो दिवसीय दौरे पर हैं। उन्होंने 4800 करोड़ की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। आज वह तिरुचिरापल्ली जिले के गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर जाएंगे और तिरुवथिरई महोत्सव में हिस्सा लेंगे। यह महोत्सव चोल सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम की जयंती और उनकी दक्षिण-पूर्व एशिया की ऐतिहासिक समुद्री विजय यात्रा के 1000 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में मनाया जा रहा है।

    Hero Image
    कौन थे सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम? जिनकी जयंती समारोह में शामिल होंगे पीएम मोदी। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय दो दिवसीय तमिलनाडु के दौरे पर हैं। ब्रिटेन और मालदीव की अपनी चार दिनों की यात्रा को पूरी करने के बाद पीएम मोदी शनिवार को तमिलनाडु पहुंचे।

    अपने दौरे के पहले दिन पीएम मोदी ने 4800 करोड़ की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। इसके बाद आज यानी रविवार को वह तिरुचिरापल्ली जिले के गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर जाएंगे और तिरुवथिरई महोत्सव में हिस्सा लेंगे।

    बता दें कि यह खास महोत्सव महान चोल सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम की जयंती और उनकी दक्षिण-पूर्व एशिया की ऐतिहासिक समुद्री विजय यात्रा के 1000 साल पूरे होने की वर्षगांठ के उपलक्ष्य में मनाया जा रहा है। इस भव्य कार्यक्रम के समापन समारोह में पीएम मोदी आज हिस्सा लेंगे। आइए आपको बताते हैं कौन थे राजेंद्र चोल प्रथम?

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जानिए कौन थे राजेंद्र चोल प्रथम

    राजेंद्र चोल प्रथम भारतीय इतिहास के सबसे शक्तिशाली और दूरदर्शी शासकों में से एक थे। राजेंद्र चोल प्रथम के नेतृत्व में ही चोल साम्राज्य ने दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में अपना प्रभाव काफी बढ़ाया।

    वहीं, अपने विजयी अभियानों को बाद उन्होंने गंगईकोंडा चोलापुरम को शाही राजधानी के रूप में स्थापित किया। जानकारी दें कि गंगईकोंडा का मतलब होता है गंगा को जीतने वाला। उसी समय राजधानी में एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया। ये मंदिर 250 सालों से ज्यादा समय तक शैव भक्ति, अद्भभुत चोल वास्तुकला और प्रशासनिक कौशल का प्रतीक रहे।

    यूनेस्को धरोहर में शामिल है ये मंदिर

    जानकारी दें कि आज यह मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। ये मंदिर अपनी जटिल मूर्तियों, चोल कांस्य और प्राचीन शिलालेखों के लिए प्रसिद्ध है।

    जानकारी दें कि आदि तिरूवथिरई उत्सव समृद्ध तमिल शैव भक्ति परंपरा का भी जश्न मनाता है। इसको चोलों द्वारा उत्साहपूर्वक समर्थन भी दिया जाता है। इसके साथ ही तमिल शैववाद के संत-कवियों नयनमारों द्वारा अमर कर दिया गया।

    जब सम्राट ने बदल दिया उपमहाद्वीप का इतिहास

    बताया जाता है कि चोल सम्राट राजेंद्र प्रथम की नौसेना काफी मजबूत थी। उनकी सेना ने इस पूरे उपमहाद्वीप के इतिहास की दिशा ही दल दी। जानकारी दें कि इंडोनेशिया में श्रीविजय वंश के राजा विजयतुंगवर्मन पर उन्होंने समुद्री तटों से एक ही साथ चौदह जगरों से गुप्त आक्रमण किया।

    बताया जाता है कि उनके पास इतनी बड़ी-बड़ी नावें मौजूद थी कि उनमें हाथी और भारी पत्थर भर कर फेंकने वाली मशीनें भी रखी जा सकती थीं। इस आक्रमण में राजा विजयतुंगवर्मन की सेना को चोल सम्राट ने आसानी से हरा दिया। इतना ही नहीं राजा को बंदी भी बना लिया।

    यह भी पढ़ें: 'मेक इन इंडिया हथियारों ने आतंक के आकाओं की नींद उड़ा दी', तमिलनाडु में बोले पीएम मोदी