कौन था ‘बुचर ऑफ बंगाल’, टिक्का खान और सुहरावर्दी के कुख्यात कारनमों की दास्तान यहां पढ़िए
'बंगाल का कसाई' कहे जाने वाले दो विवादित व्यक्तियों, टिक्का खान और एचएस सुहरावर्दी ने अपने दौर में क्रूरता की सभी हदें पार कर दी थीं। टिक्का खान को 19 ...और पढ़ें

टिक्का खान और सुहरावर्दी का काला इतिहास।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 'बुचर ऑफ बंगाल' यानी बंगाल का कसाई, यह कहावत दक्षिण एशिया के इतिहास में सबसे डरावने चैप्टर से जुड़ी हुई है। अचरज की बात यह है कि यह कहावत एक नहीं बल्कि दो लोगों के लिए इस्तेमाल की जाती है। एक सेना का जनरल और दूसरा राजनेता। इतिहास के पन्नों में चंगेज खान और तैमूरलंग की बर्बरता तो दर्ज है ही लेकिन इन दोनों की बर्बरता की कहानी ने ही इन्हें 'कसाई' की उपाधि दिलाई।
दशकों से अलग इनकी कहानियां आज भी बहस छेड़ती हैं और एक सिहरन पैदा करती हैं। इन दोनों कसाइयों के नाम हैं- टिक्का खान और सुहरावर्दी। इन्हें दुनिया बंगाल का कसाई कहती है। इन लोगों ने बर्बरता की सारी हदें पार करते हुए हजारों-लाखों लोगों को मौत के घाट तो उतारा ही, महिलाओं के साथ भी घनघोर अत्याचार किए। उस दौर के लोग आज भी इनका नाम सुनकर सिहर उठते हैं।
बंगाल के कसाइयों की कहानी
टिक्का खान- नरसंहार का जिम्मेदार जनरल
1971 में जब पूर्वी पाकिस्तान में अशांति बढ़ी तो जनरल टिक्का खान ने सबसे हिंसक ऑपरेशन में से एक को अंजाम दिया। पूर्वी पाकिस्तान के मिलिट्री कमांडर और बाद में गवर्नर के तौर पर टिक्का ने ऑपरेशन सर्चलाइट का नेतृत्व किया, जिसे बंगाली राष्ट्रवादी आंदोलन को कुचलने के लिए डिजाइन किया गया था।
इस ऑपरेशन की वजह से बड़े पैमाने पर हत्याएं हुईं, गांव तबाह हुए और पढ़े-लिखे लोगों, पत्रकारों और छात्रों को निशाना बनाकर हमले किए गए। इस ऑपरेशन में बचे लोग इसे बांग्लादेश लिबरेशन वॉर और उसके बाद हुए नरसंहार के सबसे बुरे दौर में से एक के तौर पर याद करते हैं। इस दौरान टिक्का ने क्रूरता की सभी हदें पार कर दीं, जिसकी वजह से ही उसे 'बंगाल का कसाई' कहा जाता है।
एचएस सुहरावर्दी- कलकत्ता हत्याकांड का दागी नेता
1971 से बहुत पहले एक और क्रूर नेता को 'कसाई' का तगमा मिल चुका है। वो नाम है हुसैन शहीद सुहरावर्दी, जो अविभाजित बंगाल का आखिरी प्रीमियर और बाद में पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बना। इस नाम को भी भारतीय इतिहास में काले धब्बे के तौर पर याद किया जाता है।

1946 में कलकत्ता में हुए दंगों की एक पुरानी तस्वीर. Photo Credit : https://x.com/itiha29
अगस्त 1946 में कलकत्ता के अंदर वो खूनी खेल खेला गया जिसे ग्रेट कलकत्ता किलिंग्स के नाम से जाना जाता है। पहले कभी भी इस तरह का सांप्रदायिक खून-खराबा नहीं हुआ। शहर में हुए दंगों में हजारों लोग मारे गए। सुहरावर्दी हिंसा को नियंत्रित करने में नाकाम रहा और उसने पुलिस का गलत इस्तेमाल करके तनाव बढ़ने दिया। इन आरोपों के कारण भारत में, विशेषकर पश्चिम बंगाल में कई लोगों ने उसे असली 'बंगाल का कसाई' करार दिया।

इन दोनों नामों को उस दौर के सबसे हिंसक और क्रूर शासकों के रूप में जाना जाता है। इन दो नामों की वजह से बंगाल के अतीत को याद करते हुए उस दौर के लोग सिहर उठते हैं। 'बंगाल का कसाई' नाम आज भी सबसे बुरी यादों की निशानी है। ऐसी यादें जो पूरे दक्षिण एशिया में राजनीतिक बातचीत, ऐतिहासिक कहानियों और लोगों की राय पर असर डालती रहती हैं।
डायरेक्ट एक्शन डे क्या था?
मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान की मांग को मजबूत करना चाहते थे। इसी दबाव को बढ़ाने के लिए उन्होंने 16 अगस्त को डायरेक्ट एक्शन डे घोषित किया। इस दिन मुसलमानों से व्यापार बंद रखने और ताकत दिखाने की अपील की गई।
बंगाल पहले से ही राजनीतिक और धार्मिक रूप से संवेदनशील था। यहां मुस्लिम आबादी अधिक थी, लेकिन कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी और हिंदू महासभा जैसी पार्टियों के बीच भी मजबूत राजनीतिक मुकाबला था। धीरे-धीरे राष्ट्रवाद और धर्म आपस में जुड़ गए, जिससे मुस्लिम समुदाय में अलगाव की भावना बढ़ी।
कलकत्ता हत्याकांड की शुरुआत
16 अगस्त की सुबह ही माहौल बिगड़ने के संकेत दिखने लगे। भीड़ में 'लड़के लेंगे पाकिस्तान' जैसे नारे गूंज रहे थे और जवाब में हिंसा की खुली बातें भी सुनाई दे रही थीं।दोपहर तक दोनों समुदायों के गुस्से ने भयानक रूप ले लिया। तलवार, छुरे, रॉड, बंदूकजो मिला, उसी से लोग एक-दूसरे पर टूट पड़े। सैंकड़ों लोग मारे गए और कई घायल हुए। हालांकि मुसलमानों को ज्यादा नुकसान हुआ, पर हिंसा दोनों तरफ से हुई।
कुछ चश्मदीदों ने बाद में बेहद डरावने दृश्य बताए। एक विवादित शख्स गोपाल पंथ ने कहा था कि अगर हमें एक हत्या की खबर मिलती थी, तो हम दस कर देते थे। वहीं एक अन्य गवाह जुगल चंद्र घोष ने चार ट्रकों में लाशों के ढेर देखे, जिन पर खून और दिमाग के टुकड़े बिखरे थे।
Source:
Imperial War Museums
https://www.iwm.org.uk/collections/item/object/205083765
Direct Action Day (1946)
https://www.britannica.com/event/Direct-Action-Day-India-1946
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