परमाणु ऊर्जा में निजी कंपनियों की एंट्री, UGC की जगह नया आयोग... संसद में इन 10 विधेयकों को पेश करेगी सरकार
सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में 10 विधेयक पेश करेगी, जिसमें निजी कंपनियों के लिए परमाणु ऊर्जा क्षेत्र खोलने का विधेयक शामिल है। एक अन्य विधेयक उच्च शिक्षा आयोग की स्थापना से संबंधित है, जो यूजीसी का स्थान लेगा। सरकार पुराने कानूनों को सरल बनाने के लिए भी संशोधन लाएगी, जिसमें राजमार्ग, कंपनी और प्रतिभूति बाजार से जुड़े कानून शामिल हैं। मध्यस्थता कानून में भी संशोधन प्रस्तावित है।
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एक दिसंबर से शुरू हो रहा संसद का शीतकालीन सत्र। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पेश करने के लिए कुल 10 विधेयकों को सूचीबद्ध किया है, जिनमें निजी कंपनियों के लिए असैन्य परमाणु क्षेत्र को खोलने वाला विधेयक भी शामिल है। परमाणु ऊर्जा विधेयक, 2025 भारत में परमाणु ऊर्जा के उपयोग और विनियमन को नियंत्रित करने के उद्देश्य लाया जा रहा है।
सरकार का कहना है कि यह नया कानून परमाणु ऊर्जा के उपयोग और उसके नियमन से जुड़े ढांचे को आधुनिक और प्रभावी बनाएगा। इस सत्र के लिए भारतीय उच्च शिक्षा आयोग विधेयक भी सरकार के एजेंडे में है। प्रस्तावित कानून के जरिये उच्च शिक्षा आयोग की स्थापना की जाएगी। प्रस्तावित उच्च शिक्षा आयोग
एक दिसंबर से शुरू हो रहा शीतकालीन सत्र
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) जैसी संस्थाओं की जगह लेगा और उच्च शिक्षा के एकीकृत नियामक के तौर पर काम करेगा। संसद का शीतकालीन सत्र एक दिसंबर से शुरू हो रहा है। लोकसभा बुलेटिन के अनुसार, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत प्रस्तावित भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआई) यूजीसी, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई)और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) का स्थान लेगा।
इस समय यूजीसी गैर तकनीकी उच्च शिक्षा का नियामक है, जबकि एआईसीटीई तकनीकी शिक्षा का नियमन करता है और एनसीटीई अध्यापक शिक्षा का नियामक निकाय है। एचईसीआइ को एकल उच्च शिक्षा विनियामक के तौर पर स्थापित करने का प्रस्ताव है, लेकिन चिकित्सा और विधि महाविद्यालयों को इसके दायरे में नहीं लाया जाएगा। इस आयोग की तीन भूमिकाएं-नियमन, मान्यता और मानक तय करने की है। एचईसीआइ की फंडिंग स्वायत्त प्रशासनिक मंत्रालय के पास होगी।
सड़कों, कंपनियों और बाजार से जुड़े अहम संशोधन
सरकार कुछ पुराने कानूनों को भी आसान और आधुनिक बनाने की दिशा में कदम उठाने जा रही है। इसमें कई अहम बिल शामिल हैं।
- राष्ट्रीय राजमार्ग (संशोधन) विधेयक- राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए जमीन अधिग्रहण को तेज, पारदर्शी और सरल बनाने का लक्ष्य।
- कॉरपोरेट कानून (संशोधन) विधेयक- कंपनी अधिनियम, 2013 और (सीमित देयता भागीदारी) अधिनियम, 2008 में बदलाव के जरिये 'ईज आफ डूइंग बिजनेस' को बढ़ावा देना।
- प्रतिभूति बाजार संहिता विधेयक- सेबी अधिनियम, डिपॉजिटरी अधिनियम और प्रतिभूति अनुबंध विनियमन अधिनियम- इन तीन पुराने कानूनों को समेटकर एक ही 'प्रतिभूति बाजार संहिता' बनाने का प्रस्ताव। इससे बाजार से जुड़े नियम सरल और एक समान होंगे।
मध्यस्थता कानून में भी संशोधन का प्रस्ताव
सरकार मध्यस्थता और सुलह अधिनियम में भी संशोधन की योजना बना रही है। विधि मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि कानून की धारा 34 में प्रस्तावित संशोधन और कंपनी निदेशकों पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के कारण सरकार को इस मुद्दे को एक समिति के पास भेजना पड़ा है। प्रस्तावित संशोधन इसी का परिणाम है। पिछले सत्र के दो विधेयक भी विचार और पारित करने के लिए सूचीबद्ध हैं।
राष्ट्रपति को मिलेगा चंडीगढ़ के लिए कानून बनाने का अधिकार
केंद्र सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को संविधान के अनुच्छेद 240 के दायरे में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है, जो राष्ट्रपति को केंद्र शासित प्रदेश के लिए सीधे कानून बनाने का अधिकार देता है। इसके लिए सरकार संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में संविधान (131वां संशोधन) विधेयक 2025 पेश करेगी।
संविधान का अनुच्छेद 240 राष्ट्रपति को अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, दादरा एवं नगर हवेली तथा दमन एवं दीव और पुडुचेरी जैसे केंद्र शासित प्रदेशों की शांति, प्रगति और प्रभावी शासन के लिए नियम बनाने की शक्ति प्रदान करता है। अब इस सूची में चंडीगढ़ को भी शामिल कर लिया जाएगा। इसके परिणामस्वरूप चंडीगढ़ में एक स्वतंत्र प्रशासक हो सकता है, जैसा कि पहले एक स्वतंत्र मुख्य सचिव हुआ करता था।

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