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    Odisha Politics: बीजेडी नेताओं की बैठक ने बढ़ाई सियासी सरगर्मी, नया मोर्चा बनाने की संभावना

    Updated: Thu, 21 Aug 2025 09:00 AM (IST)

    ओडिशा की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। जाजपुर जिले के ओलासुनी गुफा में बीजेडी के दिग्गज नेताओं का गुप्त जमावड़ा हुआ जिससे नए राजनीतिक समीकरण की चर्चा है। प्रभात त्रिपाठी की मेजबानी में अमर सतपथी सौम्य रंजन पटनायक समेत कई नेता शामिल हुए। यह बैठक बीजेडी और बीजेपी को चुनौती देने वाले मोर्चे की तैयारी मानी जा रही है।

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    बीजेडी नेताओं की गुप्त बैठक ने बढ़ाई सियासी सरगर्मी

    जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। ओडिशा की सियासत में एक बार फिर नई हलचल शुरू हो गई है। बीजेडी के दिग्गज नेताओं का जाजपुर जिले के ओलासुनी गुफा में हुआ गुप्त जमावड़ा अब नए राजनीतिक समीकरण की आहट दे रहा है। माना जा रहा है कि यह मुलाकात बीजेडी और बीजेपी के वर्चस्व को चुनौती देने वाले नए मोर्चे की तैयारी का हिस्सा हो सकती है।

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    वरिष्ठ नेता प्रभात त्रिपाठी की मेजबानी में आयोजित इस बैठक में अमर सतपथी, सौम्य रंजन पटनायक, प्रसन्न पाटसानी, रबी पाणी और रामचंद्र हांसदा जैसे बड़े नाम शामिल रहे। इसके साथ ही युवा चेहरों में भद्रक से असीत पटनायक और केंद्रापड़ा से रबी सामल भी मौजूद थे।

    ओलासुनी गुफा, जिसे कभी बीजेडी का मजबूत गढ़ माना जाता था, अब सियासी चर्चाओं का नया केंद्र बन गया है। यह बैठक ऐसे वक्त में हुई है जब बीजेडी के भीतर असंतोष की आवाजें तेज हो रही हैं। सूत्रों का कहना है कि पार्टी पर वी.के. पंडियन की मजबूत पकड़ और वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा असंतोष की बड़ी वजह है।

    इधर, पार्टी सुप्रीमो नवीन पटनायक की सेहत को लेकर लगातार उठ रहे सवाल और अंदरूनी खींचतान ने इन अटकलों को और हवा दी है।

    कयास लगाए जा रहे हैं कि असंतुष्ट नेताओं का यह जमावड़ा एक वैकल्पिक राजनीतिक मंच की नींव हो सकता है, जिसकी कमान प्रभात त्रिपाठी और अमर सतपथी जैसे नेताओं के हाथ में हो सकती है।

    राजनीतिक हलकों में यह भी चर्चा है कि राज्य की कुछ प्रभावशाली हस्तियां पर्दे के पीछे से इस संभावित मोर्चे को समर्थन दे रही हैं।

    हालांकि, अब तक कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है, मगर इस मुलाकात को ओडिशा की राजनीति में बड़ा संकेत माना जा रहा है।

    खंडपड़ा के पूर्व विधायक सौम्य पटनायक ने उठाए तीखे सवाल

    पूर्व विधायक ने कहा कि अगर कोई क्षेत्रीय दल अपनी भूमिका ठीक से नहीं निभा रहा है, तो लोग विकल्प तलाशेंगे ही। जब जो दल खुद को क्षेत्रीय कहते हैं, वे ओडिशा के हित में आवाज तक नहीं उठा रहे और सत्ता पक्ष का विरोध करने से भी बच रहे हैं, तो फिर लोग और किस ओर देखेंगे?”