2024 के विधानसभा और लोकसभा चुनावों में वोटों की विसंगतियों को लेकर उच्च न्यायालय का रुख करेगी बीजद
बीजू जनता दल ने घोषणा की है कि वह 2024 के विधानसभा और लोकसभा चुनावों में वोटों की गड़बड़ी को लेकर उड़ीसा उच्च न्यायालय में याचिका दायर करेगी। पार्टी का कहना है कि चुनाव आयोग इस मुद्दे पर संतोषजनक जवाब देने में विफल रहा है। बीजद ने चुनाव आयोग से पारदर्शिता और ऑडिट प्रणाली की मांग की थी लेकिन कोई उचित प्रतिक्रिया नहीं मिली।

एजेंसी, भुवनेश्वर। बीजू जनता दल ने सोमवार को घोषणा की कि वह 2024 के विधानसभा और लोकसभा चुनावों में वोटों की गड़बड़ी को लेकर उड़ीसा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगा।
क्योंकि भारत का चुनाव आयोग इस मुद्दे पर क्षेत्रीय संगठन को कोई संतोषजनक जवाब देने में विफल रहा है।
बीजद प्रवक्ता अमर पटनायक, विधायक ध्रुब चरण साहू और पूर्व सांसद शर्मिष्ठा सेठी ने एक प्रेसवार्ता में यहा एलान किया।
अभी तक नहीं मिला संतोषजनक जवाब
अमर पटनायक ने कहा कि करीब आठ महीने पहले, बीजद ने पिछले चुनावों में देखी गई वोटों की गड़बड़ी के संबंध में चुनाव आयोग को तथ्य-आधारित साक्ष्य सौंपे थे और जवाब मांगा था, लेकिन अभी तक कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला है।
इसलिए, बीजू जनता दल ने इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है।
हालांकि, क्षेत्रीय संगठन ने कांग्रेस और अन्य भारतीय ब्लॉक के वोट चोरी आंदोलन से दूरी बनाए रखी है।
पटनायक ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में चुनावों की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं, जिसके बाद अब पार्टी की राज्य इकाई भी इसे मुद्दा बना रही है।
हालांकि, बीजद ने यह मुद्दा बहुत पहले ही उठा दिया था। राहुल गांधी ने भी बीजद द्वारा पहले की गई ऑडिट प्रणाली की मांग दोहराई है। उन्होंने कहा था कि चुनाव आयोग पारदर्शिता और चुनाव परिणामों पर लोगों के मन से संदेह दूर नहीं कर पाया है।
कांग्रेस की वोट चोरी से कोई लेना-देना नहीं
अमर पटनायक ने कहा कि इसीलिए बीजद उच्च न्यायालय जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि बीजद के इस कदम का कांग्रेस के वोट चोरी के आरोप से कोई लेना-देना नहीं है।
बीजद प्रवक्ता ने कहा कि पिछले चुनाव समाप्त होने के बाद चुनाव आयोग द्वारा दिए गए आंकड़ों का अध्ययन करने पर कई कमियां सामने आईं। एक जिम्मेदार राजनीतिक दल होने के नाते, बीजद इस कमियों के बारे में चुनाव आयोग से स्पष्टीकरण मांगता है।
पटनायक ने कहा कि हमने मुख्यतः तीन मुद्दे उठाए थे। पहला यह कि राज्य के सभी संसदीय क्षेत्रों में गिने गए मतों की संख्या ईवीएम में डाले गए मतों की संख्या से ज़्यादा थी। दूसरा यह कि संसदीय क्षेत्रों में डाले गए कुल मतों और विधानसभा क्षेत्रों में डाले गए कुल मतों में काफी अंतर था। मतदान एक साथ हुआ था।
और तीसरा यह था कि मतदान के दिन शाम 5 बजे चुनाव समय समाप्त होने के बाद, डाले गए मतों की संख्या लगभग 7 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक भिन्न थी।
बीजद प्रवक्ता ने दावा किया कि पचास प्रतिशत विधानसभा सीटों पर यह अंतर 15 से 30 प्रतिशत तक था।
चुनाव आयोग में दर्ज कराई थी शिकायत
उन्होंने कहा कि बीजद ने 19 दिसंबर, 2024 को इस संबंध में चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी और जवाब मांगा गया था। इसके अलावा, चुनाव प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए मतदाता सूची तैयार करने से लेकर मतगणना पूरी होने तक की पूरी प्रक्रिया का ऑडिट कराने की भी मांग की गई थी।
उन्होंने कहा कि चुनाव प्रक्रिया की ऐसी ऑडिट प्रणाली सभी विकसित देशों में उपलब्ध है। इसी तरह, यह अनुरोध किया गया था कि वीवीपैट प्रणाली केवल पांच प्रतिशत के लिए नहीं, बल्कि सभी मतों के लिए लागू की जाए।
उन्होंने आगे कहा कि नियमों के अनुसार, चुनाव आयोग द्वारा चुनाव के बाद फॉर्म 17सी जारी किया जाना चाहिए, लेकिन चुनाव आयोग ने इसे जारी नहीं किया है।
कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव परिणामों को लेकर उच्च न्यायालय में मामले दायर किए गए हैं, इसलिए चुनाव आयोग का यह जवाब कि फॉर्म 17सी जारी नहीं किया जा सकता यह कहना संतोषजनक नहीं है।
2024 में जाजपुर लोकसभा सीट से चुनाव हारने वाली शर्मिष्ठा सेठी ने कहा कि चुनाव परिणाम घोषित होने के अगले दिन उन्होंने चुनाव आयोग से फॉर्म 17सी के लिए आवेदन किया था।
सेठी ने कहा मुझे यह उपलब्ध नहीं कराया गया, इसलिए मैंने भारत के चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा, लेकिन मुझे कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। इस वजह से मुझे उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होना पड़ा। अब यह मामला लंबित है।
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