ओडिशा के शहरों में Diwali पर पटाखों से घुटी हवा, भुवनेश्वर और पुरी में AQI 600 पार
दीवाली पर ओडिशा के शहरों में पटाखों के कारण वायु गुणवत्ता खराब हो गई। भुवनेश्वर और कटक में एक्यूआई खतरनाक स्तर पर पहुंच गया, जिससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत हुई। नियमों के उल्लंघन के कारण प्रदूषण और बढ़ गया। विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति आगाह किया है। पर्यावरणविदों ने सुरक्षित तरीके से त्योहार मनाने की अपील की है ताकि वायु प्रदूषण को कम किया जा सके।
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ओडिशा के शहरों में दीवाली पर पटाखों से घुटी हवा (पीटीआई)
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। सोमवार को मनाई गई दीवाली पर फोड़े गए पटाखों से उठे घने धुएं ने ओडिशा के प्रमुख शहरों को अपनी चपेट में ले लिया, जिससे वायु गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित हुई और लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया।
भुवनेश्वर और कटक जैसे जुड़वा शहरों के साथ-साथ पुरी और अन्य शहरी क्षेत्रों में भी घना धुआं छा गया। दृश्यता बेहद कम हो गई और लोगों को दमघोंटू माहौल का सामना करना पड़ा।
भुवनेश्वर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 180 के पार चला गया, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक स्तर माना जाता है। वहीं, कटक में यह मंगलवार को बढ़कर 190 तक पहुंच गया। पुरी में भी स्थिति कुछ ऐसी ही रही। रात के चरम घंटों के दौरान एक्यूआई खतरनाक स्तर पर पहुंच गया — शाम 7 बजे 657 और रात 9 बजे 595 दर्ज किया गया, जो अत्यंत गंभीर प्रदूषण स्तर को दर्शाता है।
पटाखों से उठे धुएं के कारण वाहन चालकों और राहगीरों को सड़कों पर चलना मुश्किल हो गया, कई इलाकों में दृश्यता 200 मीटर से भी कम रह गई। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस तरह का प्रदूषण श्वसन संबंधी बीमारियों, आंखों में जलन और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा सकता है।
नियमों का खुला उल्लंघन
कमिश्नरेट पुलिस ने केवल शाम 7 बजे से 9 बजे तक पटाखे फोड़ने की अनुमति दी थी, लेकिन लोगों ने देर रात तक पटाखे जलाए, जिससे हालात और बिगड़ गए।
पर्यावरणविदों ने नागरिकों से अपील की है कि वे त्योहार मनाने के लिए सुरक्षित और स्वच्छ तरीके अपनाएं, ताकि वायु गुणवत्ता में और गिरावट न हो।
ओडिशा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लोगों को केवल “ग्रीन पटाखे” इस्तेमाल करने और उन्हें शाम 7 से 9 बजे के बीच जलाने के निर्देश दिए थे, लेकिन इन आदेशों की अनदेखी की गई।
पर्यावरणविद् जय कृष्ण पाणिग्रही ने कहा, “भुवनेश्वर के कुछ इलाकों में एक्यूआई ‘बहुत खराब’ स्तर तक पहुंच गया, जो हमारे स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है। हालांकि, सुबह की हवाओं से स्थिति में थोड़ी सुधार आई है। तुलना करें तो दिल्ली में एक्यूआई 500 के पार चला गया, जो बेहद गंभीर स्थिति है और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।”
रोशनी का यह त्योहार, भले ही आनंद और उत्साह लेकर आया हो, लेकिन इसने ओडिशा के शहरी इलाकों में बढ़ते वायु प्रदूषण की चिंताओं को और गहरा कर दिया है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण सुरक्षा पर खतरे की घंटी बज उठी है।
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