KIMS Odisha: ओडिशा में ढाई साल की बच्ची की बचाई जिंदगी, दुर्लभ लिवर ट्यूमर से मिला छुटकारा
कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (KIMS) के डॉक्टरों ने एक दुर्लभ लिवर ट्यूमर से पीड़ित 2.7 साल की बच्ची की जान बचाई। हेपेटोब्लास्टोमा नामक ट्यूमर फेफड़ों तक फैल गया था। KIMS ने ट्रांसआर्टेरियल कीमोएम्बोलाइजेशन (TACE) प्रक्रिया का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया। डॉक्टरों की टीम ने कीमोथेरेपी और सर्जरी की मदद से ट्यूमर को हटाया। अब बच्ची स्वस्थ है।

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। चिकित्सा जगत में बड़ा कीर्तिमान रचते हुए कालिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (केआइएमएस) के डॉक्टरों की टीम ने 2.7 साल की एक बच्ची का जीवन बचाने में सफलता हासिल की है।
यह बच्ची हेपेटोब्लास्टोमा नामक दुर्लभ लिवर ट्यूमर से जूझ रही थी, जो उसके फेफड़ों तक फैल चुका था। इस उपलब्धि के साथ केआइएमएस ओडिशा का पहला और देश के चुनिंदा अस्पतालों में शामिल हो गया है, जिसने इतनी कम उम्र के बच्चे पर ट्रांसआर्टेरियल कीमोएम्बोलाइजेशन (TACE) जैसी जटिल प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
बताया गया कि इस उपचार में सात विभागों के 15 डॉक्टरों ने मिलकर काम किया। यह केआइएमएस में अब तक की सबसे कठिन मल्टी-डिसिप्लिनरी प्रक्रिया रही। आज यह नन्ही बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है और अस्पताल की गलियों में खेलते हुए सबको मुस्कुराने की वजह दे रही है।
एक दुर्लभ प्रकार का लिवर कैंसर
डॉक्टरों के मुताबिक, बच्ची कई महीनों से पेट दर्द, सूजन और भूख कम लगने की समस्या से परेशान थी। राज्य के कई अस्पतालों में दिखाने के बाद भी जब राहत नहीं मिली, तब उसे केआइएमएस लाया गया। जांच में सामने आया कि बच्ची को हेपेटोब्लास्टोमा, यानी एक दुर्लभ प्रकार का लिवर कैंसर है।
प्रोफेसर डॉ. पलाश दास, पीडियाट्रिक हीमेटो-ऑन्कोलॉजिस्ट की निगरानी में इलाज शुरू हुआ और कीमोथेरेपी दी गई। कुछ सुधार के बावजूद ट्यूमर इतना बड़ा था कि सर्जरी जोखिम भरी थी।
इसी बीच डॉ. स्वाति दास, इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट ने टीएसीई प्रक्रिया का सुझाव दिया, जिसमें कीमोथेरेपी की दवा सीधे उस रक्त वाहिका में दी जाती है जो ट्यूमर को पोषण देती है। इस प्रक्रिया के बाद ट्यूमर काफी छोटा हो गया और सर्जरी संभव हुई।
इसके बाद डॉ. वेदव्यास महापात्रा (सर्जिकल गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी) और डॉ. वर्षा टोटाडरी (पीडियाट्रिक सर्जरी) ने डॉ. पी.के. जेना (एचओडी, पीडियाट्रिक सर्जरी) के मार्गदर्शन में एक्सटेंडेड लिवर रिसेक्शन सर्जरी की।
एनेस्थीसिया टीम, पीडियाट्रिक आईसीयू टीम और डॉ. जितेन साहू (पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट) ने सर्जरी के बाद बच्ची की देखभाल की।
ऐतिहासिक उपलब्धि: डॉक्टर सामंत
डॉ. अच्युत सामंत, संस्थापक, केआइआइटी, केआइएसएस और केआइएमएस ने डॉक्टरों की टीम को इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि न केवल ओडिशा बल्कि पूरे देश के लिए गौरव की बात है। उन्होंने बच्ची के दीर्घ और स्वस्थ जीवन की कामना की।
यह सफलता चिकित्सा जगत में नई आशा की किरण है- जहां डॉक्टरों ने विज्ञान, समर्पण और मानवीय संवेदना का अद्भुत संगम दिखाया है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।