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    Sri Mandir Puri: पवित्र कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी तिथि पर लक्ष्मी-नृसिंह वेश में दर्शन दे रहे हैं श्रीजियु

    Updated: Tue, 04 Nov 2025 09:30 PM (IST)

    पुरी के श्रीमंदिर में कार्तिक मास के पंचुक में श्रीजियु लक्ष्मी-नृसिंह वेश में दर्शन दे रहे हैं। स्कंद पुराण के अनुसार, इंद्रद्युम्न महाराज ने भगवान जगन्नाथ को इसी रूप में देखा था, इसलिए यह वेश महत्वपूर्ण है। कल कार्तिक पूर्णिमा पर सुनाबेश होगा। भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं।

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    अलग-अलग वेशों में दर्शन देते हैं श्रीजियु। (जागरण)

    जागरण संवाददाता, पुरी। कार्तिक मास के पवित्र पंचुक के दौरान श्रीमंदिर में विशेष नीतियां जारी रहती हैं। इस अवसर पर श्रीजियु अलग-अलग वेशों में श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं। आज पवित्र पंचुक के चौथे दिन अर्थात कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी तिथि पर श्रीजियु ने लक्ष्मी-नृसिंह वेश धारण कर श्रद्धालुओं को दर्शन दिया।

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    पंचुक के चौथे दिन भगवान जगन्नाथ का लक्ष्मी-नृसिंह वेश अनुष्ठान किया जाता है। स्कंद पुराण में वर्णन है कि जब इंद्रद्युम्न महाराज पहली बार रत्नसिंहासन पर भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने गए थे, तब भगवान ने उन्हें नृसिंह वेश में दर्शन दिया था। इसी कारण कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि को यह विशेष वेश धारण किया जाता है।

    अवकाश नीति बढ़ने के बाद मंदिर के पुष्पालक सेवक भगवान को पट वस्त्रों से विभूषित कर यह वेश तैयार करते हैं। इस वेश में भगवान सुवर्ण (सोने) के श्रीभुज, श्रीपाद और चक्र धारण करते हैं, जबकि रजत (चाँदी) के शंख को धारण करते हैं। भगवान बलभद्र भी सुवर्ण के श्रीभुज, श्रीपाद और हल-मूसल धारण करते हैं।

    इसके अतिरिक्त, भगवान जगन्नाथ और बलभद्र के मस्तक पर धारण की गई चूड़ में सोने की कीलें और बगिया (सजावट) लगाई जाती हैं। कल कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर भगवान का राजराजेश्वर या सुवर्ण (सुनाबेश) वेश अनुष्ठान होगा।

    इसके लिए श्रीमंदिर, जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन की ओर से सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। भगवान के इस दुर्लभ सुनाबेश दर्शन के लिए भक्तों में अत्यधिक उत्सुकता है।

    पवित्र पंचुक के दौरान प्रतिदिन एक लाख से अधिक भक्त श्रीमंदिर में दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। भक्तों की भारी भीड़ को ध्यान में रखते हुए श्रीमंदिर, जिला और पुलिस प्रशासन की ओर से विशेष प्रबंध किए गए हैं।

    भक्तगण बड़े दांडा के बगल धर्मशाला के पास बने अस्थायी बैरिकेड से होकर सिंहद्वार के माध्यम से मंदिर में प्रवेश करते हैं और अन्य तीन द्वारों से बाहर निकलते हैं।

    लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने मंदिर के अंदर-बाहर, बड़ा दांडा और यातायात प्रबंधन के लिए विशेष व्यवस्था की है।

    सुरक्षा हेतु 40 प्लाटून पुलिस बल, 5 अतिरिक्त एसपी, डीएसपी, इंस्पेक्टर, एएसआई, एसआई और 300 से अधिक होमगार्ड तैनात किए गए हैं। इसके अलावा, भक्तों के सुचारू दर्शन के लिए सैकड़ों स्वयंसेवकों को भी लगाया गया है।