उड़ीसा के तट से श्रीलंका तक की समुद्री यात्रा, रहस्यमयी ढंग से लापता हुआ सैटेलाइट टैग वाला Olive Ridley कछुआ
उड़ीसा के तट से सैटेलाइट टैग वाला एक Olive Ridley कछुआ श्रीलंका की यात्रा के दौरान रहस्यमय ढंग से लापता हो गया। वैज्ञानिकों ने इसकी यात्रा को ट्रैक किया था, लेकिन अचानक सिग्नल मिलना बंद हो गया। अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या कछुआ मर गया या टैग खराब हो गया। इस घटना ने संरक्षण प्रयासों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

सैटेलाइट टैग वाला Olive Ridley कछुआ लापता
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। ओडिशा के प्रसिद्ध गहीरमथा समुद्र तट से श्रीलंका के तट तक करीब एक हजार किलोमीटर की लंबी दूरी तय करने वाली ओलिव रिडले कछुआ अब रहस्यमयी तरीके से लापता हो गया है।
सैटेलाइट टैगिंग के जरिये इसकी हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही थी, लेकिन सितंबर महीने से इसका सिग्नल मिलना बंद हो गया है। विशेषज्ञों के अनुसार यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि कछुए की मौत हो गई है, या ट्रांसमीटर गिर गया है अथवा उसकी बैटरी खत्म हो गई है।
श्रीलंका तक पहुंचा थी ओलिव रिडले
गहीरमथा के बाबुबाली तट से समुद्र में यात्रा शुरू करने वाली इस सैटेलाइट टैग कछुआ ने पुरी, बरहमपुर, आंध्र प्रदेश, तिरुपति, चेन्नई और पुंडुचेरी के तटों से होते हुए तमिलनाडु के समीप गहरे समुद्र में प्रवेश कर श्रीलंका के तट तक का सफर तय किया था।
यह अध्ययन देहरादून स्थित वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की देखरेख में किया जा रहा था। संस्थान के वैज्ञानिकों ने बताया कि 13 मार्च 2025 को गहीरमथा में अंडे देने के लिए आई दो मादा कछुओं पर सैटेलाइट टैग लगाए गए थे।
इन दोनों में से एक ने गहरे समुद्र की यात्रा कर श्रीलंका तक पहुंच बनाई, जबकि दूसरी कछुआ का पता अब तक नहीं चल सका है।
पहले भी हुई थी लंबी दूरी की पहचान
गौरतलब है कि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने वर्ष 2021 में गहीरमथा में अंडे देने आई कछुओं के पैरों में धातु की प्लेट लगाकर उन पर क्रमांक अंकित किए थे।इस वर्ष ऐसी ही एक धातु प्लेट लगी ओलिव रिडले कछुआ महाराष्ट्र के तट पर अंडे देने के दौरान पाई गई थी।इससे यह साफ होता है कि यह प्रजाति लंबी दूरी की प्रवासी है।
इससे पहले भी श्रीलंका के जाफना तट पर एक ट्रांसमीटर लगी कछुआ मिली थी, जिसके अध्ययन से पता चला था कि कुछ कछुए श्रीलंका से आंध्र और अंडमान तटों से होते हुए गहीरमथा तक अंडे देने आते हैं।
अब भी रहस्य बनी है जीवनशैली
वैज्ञानिकों का कहना है कि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाने वाली यह दुर्लभ ओलिव रिडले प्रजाति अब भी कई रहस्यों से घिरी हुई है।इनके प्रवास मार्ग, जीवनशैली और प्रजनन व्यवहार पर अभी और गहन शोध की आवश्यकता है।
समुद्री जीवविज्ञानी मानते हैं कि इन कछुओं का सफर न केवल जैव विविधता की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य का भी संकेतक है।

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