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    एंबुलेंस नहीं पहुंची गांव, तो बाढ़ में फंसी गर्भवती को ग्रामीणों ने कंधे पर उठाकर कराया पार

    By SHESH NATH RAIEdited By: Nishant Bharti
    Updated: Thu, 30 Oct 2025 12:00 PM (IST)

    बाढ़ में फंसी एक गर्भवती महिला को एंबुलेंस के न पहुंचने पर ग्रामीणों ने कंधे पर उठाकर नदी पार कराई। गांव तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं था, इसलिए ग्रामीणों ने एकजुट होकर महिला को अस्पताल पहुंचाया। इस साहसी कार्य की हर तरफ प्रशंसा हो रही है, जो मानवता की एक मिसाल है।

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    बाढ़ में फंसी गर्भवती को ग्रामीणों ने कंधे पर उठाकर कराया पार

    जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। मानवता और दृढ़ता की एक मार्मिक मिसाल पेश करते हुए गजपति जिले के मोहना ब्लॉक के कुुसुमसाही गांव के ग्रामीणों ने एक गर्भवती महिला और उसके नवजात शिशु को कंधों पर उठाकर सुरक्षित अस्पताल पहुंचाया, क्योंकि लगातार बारिश और खराब सड़क संपर्क के कारण एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच सकी।

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    जानकारी के अनुसार, चक्रवात  ‘मोंथा’ की वजह से इलाके में भारी वर्षा हुई, जिससे कई आंतरिक गांवों का संपर्क कट गया। मंगलवार रात कुुसुमसाही गांव की एक महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हुई। सड़कों के टूट जाने और जलस्तर बढ़ जाने के कारण अस्पताल पहुंचना असंभव हो गया, जिससे महिला को घर पर ही बच्चे को जन्म देना पड़ा।

    दो गांवों को जोड़ने वाली सड़क पूरी तरह क्षतिग्रस्त

    बुधवार सुबह स्थानीय आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं को इसकी जानकारी दी गई। उन्होंने तुरंत 108 एंबुलेंस सेवा से संपर्क किया, लेकिन एंबुलेंस बीच रास्ते तक ही पहुंच पाई क्योंकि दो गांवों को जोड़ने वाली सड़क पूरी तरह क्षतिग्रस्त थी।

    समय गंवाए बिना ग्रामीण आगे आए। इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए उन्होंने करीब दो किलोमीटर तक कीचड़ भरे रास्तों और उफनती नदी को पैदल पार करते हुए महिला और नवजात को कंधों पर उठाकर ले गए।

    मां-बच्चे को सुरक्षित पानी पार कर वाहन तक पहुंचाया

    नदी किनारे पहुंचने पर एंबुलेंस कर्मी भी मदद के लिए आगे बढ़े और मां-बच्चे को सुरक्षित पानी पार कर वाहन तक पहुंचाया। इसके बाद उन्हें मोहना मेडिकल सेंटर ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने बताया कि दोनों स्वस्थ हैं।

    मोहना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी जय पंडा ने बताया, “महिला की प्रसव तिथि 8 दिसंबर थी। हमने केवल उन गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में भर्ती कराया था जिनकी संभावित प्रसव तिथि 15 दिनों के भीतर थी। इस आधार पर 10 नवंबर या उससे पहले प्रसव अपेक्षित महिलाओं को चंद्रगिरी सीएचसी, मोहना मां गृह, मोहाना अस्पताल, अदबा और बिर्कुट पीएचसी में भर्ती कराया गया था।

    मोहना सीएचसी में भर्ती कराया 

    उन्होंने आगे कहा कि यह एक समयपूर्व प्रसव था। हमारे कर्मचारियों ने उसे पहले ही अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी थी, लेकिन उसने मना कर दिया था। अब उसे मोहना सीएचसी में भर्ती कराया गया है।

    यह घटना एक बार फिर इस बात को उजागर करती है कि ओडिशा के दुर्गम इलाकों में सड़क संपर्क और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की कितनी आवश्यकता है, जहां आज भी लोग साहस और सामूहिकता के सहारे मुश्किलों का सामना करते हैं।