RSS प्रमुख मोहन भागवत ने भुवनेश्वर में किया ध्वजारोहण, बोले- सभी की सुरक्षा और सुख प्राप्ति के लिए हुए स्वतंत्र
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने भुवनेश्वर में स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराया। उन्होंने कहा कि भारत विश्व में शांति और खुशहाली लाने का प्रयास करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आरएसएस की सराहना करते हुए इसे दुनिया का सबसे बड़ा गैर सरकारी संगठन बताया और राष्ट्र निर्माण में इसके योगदान की प्रशंसा की।

डिजिटल डेस्क, भुवनेश्वर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भुवनेश्वर स्थित उत्कल विपन्न सहायता समिति में तिरंगा फहराया। भागवत ने कहा कि भारत विश्व में शांति और खुशहाली लाने का प्रयास करता है।
उन्होंने शुक्रवार को कहा कि भारत एक अनूठा देश है। यह विश्व में शांति और खुशहाली लाने और अपने धर्म को दूसरों के साथ साझा करने का प्रयास करता है।
हम स्वतंत्र इसलिए हुए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारे देश में सभी को सुख, साहस, सुरक्षा, शांति और सम्मान प्राप्त हो। इसके अलावा, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विश्व को समाधान प्रदान करना हमारा कर्तव्य है।
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि आज दुनिया लड़खड़ा रही है। 2000 वर्षों से चल रहे अनेक प्रयोगों के बावजूद इसकी समस्याओं का समाधान अभी तक नहीं मिल पाया है। हमें दुनिया को समाधान प्रदान करना होगा और धार्मिक सिद्धांतों पर आधारित अपने दृष्टिकोण के आधार पर सुख-शांति से भरपूर एक नई दुनिया का निर्माण करना होगा।
इससे पहले शुक्रवार को लाल किले से अपने 79वें स्वतंत्रता दिवस के भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र सेवा के 100 वर्ष पूरे करने पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की सराहना की, इसे 'दुनिया का सबसे बड़ा गैर सरकारी संगठन' बताया और राष्ट्र निर्माण में इसके सदियों पुराने योगदान की प्रशंसा की।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज मैं गर्व के साथ कहना चाहता हूं कि 100 साल पहले, एक संगठन का जन्म हुआ-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस)। राष्ट्र सेवा के 100 वर्ष एक गौरवशाली, स्वर्णिम अध्याय हैं।
'व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण' के संकल्प के साथ, मां भारती के कल्याण के उद्देश्य से, स्वयंसेवकों ने अपना जीवन मातृभूमि के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। एक तरह से आरएसएस दुनिया का सबसे बड़ा गैर सरकारी संगठन है। इसका 100 वर्षों का समर्पण का इतिहास है।
प्रधानमंत्री ने किसानों की सुरक्षा के लिए अपने समर्थन की भी पुष्टि की और कहा कि वह किसानों के हितों के विरुद्ध नीतियों के खिलाफ दीवार की तरह मजबूती से खड़े हैं।
लाल किले की प्राचीर से की गई यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब अमेरिका भारत पर अपने कृषि बाजार को खोलने का दबाव बना रहा है और इसके बाद 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगा रहा है। पश्चिमी देश ने इसे रूसी तेल खरीदने पर 'जुर्माना' बताया है।
पीएम मोदी ने हिंदी में कहा कि अगर कोई नीति भारत के किसानों, मछुआरों, पशुपालकों के खिलाफ है तो मोदी दीवार बनकर खड़े हैं।
'आर्थिक स्वार्थ' के युग में अपनी बात रखने के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि मैं इसे बड़े अनुभव के साथ कहता हूं। किसी दूसरे की लकीर छोटी करने के लिए, अपनी ऊर्जा हमें नहीं मिलती। हमें पूरी ऊर्जा के साथ हमारी लकीर को लंबा करना है। अगर हम ऐसा करते हैं, तो दुनिया हमारी ताकत मानेगी।"
उन्होंने कहा कि आज जब वैश्विक परिस्थिति में आर्थिक स्वार्थ दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है, तो समय की मांग है कि हम उन संकटों का रोना लेकर न बैठ जाएं। हिम्मत के साथ अपनी लकीर को लंबी करें। अगर हम उस रास्ते पर चलेंगे तो कोई भी स्वार्थ हमें उलझा नहीं पाएगा।
एएनआई के इनपुट के साथ
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