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    Odisha Flood: दो महीने ने 6 बार आई स्वर्णरेखा नदी में बाढ़, किसानों के सामने खेती की संकट

    Updated: Thu, 28 Aug 2025 10:20 AM (IST)

    सुबर्णरेखा नदी में आई बाढ़ ने किसानों को भारी नुकसान पहुंचाया है। दो महीने में छह बार बाढ़ आने से बालेश्वर जिले के कई किसान परेशान हैं। लगभग 500 हेक्टेयर जमीन पर खेती करना मुश्किल हो गया है। धान की नर्सरी और हाल ही में लगाए गए पौधे पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं।

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    सुबर्णरेखा में दो माह में छह बार बाढ़, किसानों की कमर टूटी

    जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। इस बार सुबर्णरेखा का कहर थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। 20 जून को आई पहली बाढ़ ने किसानों की खेती पर पानी फेर दिया। जैसे ही वे खेती-किसानी में जुटने लगे, 28 जून को दूसरी बाढ़ आ गई।

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    उधर से राहत की सांस भी नहीं ली थी कि 9 जुलाई को तीसरी बार पानी ने खेत-खलिहान डुबो दिए।लेकिन यह प्रकोप यहीं नहीं थमा। 16 जुलाई को चौथी और 27 जुलाई को पांचवीं बाढ़ ने किसानों की कमर तोड़ दी।

    आखिरकार, 24 अगस्त को छठी बार सुबर्णरेखा उफान पर आई और उत्तर बालेश्वर के बस्ता, भोगराई, बालियापाल व जलेश्वर ब्लॉक के किसानों के सपनों को बहा ले गई।

    स्थानीय किसानों का कहना है कि दो महीने के भीतर छह बार बाढ़ आना पिछले 50 वर्षों में पहली घटना है। 1972 की विनाशकारी बाढ़ के बाद इस साल ही पहली बार इतना बड़ा जलप्रलय देखने को मिला है।

    500 हेक्टेयर से अधिक जमीन पर खेती पर संकट

    उत्तरी बालेश्वर में बाढ़ का असर धीरे-धीरे कम जरूर हो रहा है, लेकिन किसानों की मुसीबतें अभी भी बरकरार है। जमीनी हकीकत बताती है कि इस बार करीब 500 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर खेती नहीं हो पाएगी।

    स्थानीय किसानों और जनप्रतिनिधियों के मुताबिक, धान की नर्सरी और हाल ही में लगाए गए पौधे पूरी तरह बाढ़ की चपेट में आकर नष्ट हो गए हैं। बालीयापाल ब्लॉक के कुदमानसिंह गांव के किसान अनादी पात्र, गगन पात्र, गोपबन्धु पात्र और अशोक पात्र ने बताया कि “हमारी मेहनत पानी में बह गई।

    अब अगस्त का महीना खत्म होने को है, ऐसे में दोबारा नर्सरी तैयार करना और धान की रोपाई करना संभव नहीं है। ऊपर से हमारे पास बीज भी नहीं बचा।”

    जिला कृषि अधिकारी ने कहा किया जा रहा है नुकसान का आकलन

    जिला मुख्य कृषि अधिकारी तुषारकांत तुंग ने कहा कि नुकसान का आकलन जारी है। किसानों के पास सितंबर तक खेती करने का मौका रहेगा।किसानों का कहना है कि 1972 के बाद इतनी भयंकर बाढ़ हमने नहीं देखी।