गुजरात के 200 बच्चों के सपनों को पंख दे रहे स्कूल के टीचर, ग्रैंड मास्टर बनना है मिशन
Chess News Latest गुजरात के बाल वाटिका स्कूल के शिक्षक संदीप उपाध्याय गरीब बच्चों को शतरंज की ट्रेनिंग देकर ग्रैंडमास्टर बनाने का सपना पूरा कर रहे हैं। वे अपनी तनख्वाह का बड़ा हिस्सा बच्चों की मदद पर खर्च करते हैं जिससे 6 बच्चों को FIDE रेटिंग मिली है। उन्होंने मैग्नस कार्लसन की किताब का गुजराती में अनुवाद किया है।

स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। गुजरात के एक छोटे से गांव का बाल वाटिका स्कूल, जहां दीवारों की पपड़ी झड़ रही है, लेकिन बच्चों के सपने चमक रहे हैं। करीब 200 बच्चे, जिनके घरों में रोजी-रोटी के लिए माता-पिता संघर्ष कर रहे हैं। वहीं, बच्चे शतरंज के बोर्ड पर 20 चालें आगे की सोच सीख रहे हैं।
इन मासूम आंखों का सपना है-एक दिन ग्रैंडमास्टर बनना। इन बच्चों को भविष्य के लिए तैयार की उड़ान के पीछे हैं वाल वाटिका स्कूल के टीचर संदीप उपाध्याय का हाथ, जो अपनी मेहनत और पैसों से गरीब बच्चों को शतरंज की ट्रेनिंग दे रहे हैं और उनके सपनों को साकार करने में मदद कर रहे हैं।
200 बच्चों का ग्रैंड मास्टर बनना है सपना
दरअसल, गुजरात के बालासिनोर तालुका के रतुसिंह ना मुवाडा गांव के बाल वाटिका स्कूल में 45 साल के गणित और गुजराती शिक्षक संदीप उपाध्याय बच्चों को शतरंज की दुनिया में आगे बढ़ा रहे हैं। उनका मानना है कि मौका किसी जगह पर निर्भर नहीं होना चाहिए।
संदीप की मेहनत से अब तक यहां के 6 बच्चों को FIDE रेटिंग मिली है और कई बच्चे राज्य स्तर की शतरंज प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन कर चुके हैं।
बता दें कि संदीप हर महीने अपनी तनख्वाह का बड़ा हिस्सा बच्चों की मदद पर खर्च करते है-जैसे प्रतियोगिता की फीस, सफर का खर्च, किताबें और शतरंज किट। संदीप ने इस पर टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा, "मैं अपने छात्रों की वजह से कमाता हूं और मेरी कमाई पर उनका पूरा हक है"।
स्कूल के ज्यादातर बच्चों को अंग्रेजी अच्छी तरह से नहीं आती। इसलिए संदीप उपाध्याय ने शतरंज की मशहूर किताब 'द मैग्नस मेथड' (लेखक इमैनुएल नायमन) को गुजराती में अनुवाद किया है। ताकि बच्चे आसानी से सीख सकें कि पांच बार के विश्व चैंपियन मैग्नस कार्लसन कैसे खेलते हैं और उनकी चालों से क्या सीखा जा सकता है।
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