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    विश्व शतरंज में बढ़ता भारत का दबदबा: डी गुकेश, दिव्या, प्रगनानंद जैसे सितारों ने शतरंज में भारत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया

    Updated: Tue, 29 Jul 2025 05:00 PM (IST)

    भारत अब केवल क्रिकेट हॉकी या बैडमिंटन जैसे खेलों तक सीमित नहीं रहा है। विश्व शतरंज के मंच पर भारतीय खिलाड़ियों ने जो परचम लहराया है वह न केवल देश के लिए गर्व की बात है बल्कि यह दर्शाता है कि भारत आने वाले वर्षों में शतरंज का नया वैश्विक केंद्र बनने जा रहा है। पिछले वर्ष डी. गुकेश ने इतिहास रचा था।

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    विश्व शतरंज में बढ़ता भारत का दबदबा। इमेज- एक्‍स

     नितिन नागर, जागरण नई दिल्ली : भारत अब केवल क्रिकेट, हॉकी या बैडमिंटन जैसे खेलों तक सीमित नहीं रहा है। विश्व शतरंज के मंच पर भारतीय खिलाड़ियों ने जो परचम लहराया है, वह न केवल देश के लिए गर्व की बात है बल्कि यह दर्शाता है कि भारत आने वाले वर्षों में शतरंज का नया वैश्विक केंद्र बनने जा रहा है। पिछले वर्ष डी. गुकेश ने इतिहास रचते हुए विश्व शतरंज चैंपियनशिप में चीन के डिंग लिरेन को हराकर खिताब अपने नाम किया था।

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    महज 17 साल की उम्र में यह कारनामा करने वाले गुकेश विश्व चैंपियन बनने वाले सबसे युवा खिलाड़ी थे। उनकी यह उपलब्धि केवल व्यक्तिगत सफलता नहीं थी, बल्कि भारत के शतरंज अभियान की बड़ी छलांग थी। गुकेश की इस जीत के बाद भारत ने शतरंज ओलिंपियाड में भी शानदार प्रदर्शन किया। पुरुष और महिला दोनों टीमों ने स्वर्ण पदक जीतकर देश को गौरवान्वित किया।

    यह पहली बार था जब भारत ने दोनों वर्गों में शीर्ष स्थान हासिल किया, जो टीम के संतुलन और गहराई को दर्शाता है। अब 19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने फिडे महिला विश्व कप जीतकर कोनेरू हंपी जैसी अनुभवी खिलाड़ी को हराया और यह खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनने का गौरव प्राप्त किया। इन उपलब्धियों के बीच भारत के कई अन्य युवा ग्रैंडमास्टर भी लगातार वैश्विक मंच पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं।

    आर. प्रगनानंद, विदित गुजराती, अर्जुन ऐरिगेसी, आर. वैशाली और डी. हरिका जैसे खिलाड़ी हर बड़े टूर्नामेंट में देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और भारत को गौरव दिला रहे हैं।हाल ही में दिल्ली के नौ वर्षीय आरित कपिल ने आनलाइन प्लेटफार्म पर पूर्व विश्व चैंपियन मैग्नस कार्लसन को ड्रॉ पर रोककर दुनिया का ध्यान खींचा।

    उनकी यह उपलब्धि इस बात का संकेत है कि भारत की शतरंज नींव कितनी मजबूत हो रही है। जब भारत के युवा ग्रैंडमास्टर्स विश्व शतरंज की हर बड़ी प्रतियोगिता में निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं, तो यह कहना गलत नहीं होगा कि अगला दशक शतरंज में भारत का दशक हो सकता है। दिव्या देशमुख, गुकेश और प्रगनानंद जैसे खिलाड़ी अब केवल उम्मीद नहीं, बल्कि भरोसे का प्रतीक बन चुके हैं।

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