ढाका हिंसा के बीच 10 घंटे फंसे भारतीय तीरंदाज, असुरक्षित और गंदी जगह गुजारनी पड़ी रात
भारतीय तीरंदाजों को ढाका से वापसी में काफी मशक्कत हुई। उड़ान रद होने के कारण भारतीय तीरंदाज करीब 10 घंटे तक फंसे रहे, जहां उन्हें एयरलाइन से किसी प्रकार की सहायता नहीं मिली। भारतीय तीरंदाजों को गंदे व असुरक्षित आवास में रहने के मजबूर होना पड़ा। यह घटना बांग्लादेश की राजधानी में हिंसा के बीच घटी, जिससे कई नाबालिग और महिला एथलीट खतरे में पड़ गए।

भारतीय तीरंदाज करीब 10 घंटे तक फंसे रहे
स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय तीरंदाजों को उस समय अफरा-तफरी का सामना करना पड़ा, जब एशियाई चैंपियनशिप के बाद ढाका से उनकी वापसी उड़ान एक दिन के लिए रद हो गई। इस कारण भारतीय तीरंदाजों को हिंसा प्रभावित बांग्लादेश की राजधानी में बिना सुरक्षा के यात्रा करने के बाद एक 'घटिया आश्रय' में रहने के लिए मजबूर होना पड़ा।
23 सदस्यीय मजबूत स्क्वाड के 11 सदस्यों में शामिल दो नाबालिग, उड़ान में बार-बार देरी होने तथा जिस एयरलाइन से उनका टिकट बुक था, उसकी तरफ से 'समर्थन के पूर्ण अभाव' के कारण एयरपोर्ट पर लगभग 10 घंटे तक फंसे रहे।
दिल्ली लौटने वाले दल को हुई दिक्कत
बता दें कि सीनियर तीरंदाज जैसे अभिषेक वर्मा, ज्योति सुरेखा और ओलंपियन धीरज बोमाडेवरा दिल्ली की फ्लाइट के लिए शनिवार शाम 9:30 बजे ढाका एयरपोर्ट पहुंच गए थे, उन्हें विमान में चढ़ने के बाद बताया गया कि तकनीकी खराबी आ गई है और वह उड़ान नहीं भर सकेगा।
यह वो समय था जब ढाका की सड़कों पर हिंसा देखी गई क्योंकि वह मानवता के खिलाफ कथित अपराध में एक मामले में अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ विशेष न्यायाधिकरण के फैसले का इंतजार कर रहा था।
भारतीय तीरंदाजों की बढ़ी मुश्किलें
सात महिलाओं सहित भारतीय तीरंदाज देर रात दो बजे तक टर्मिनल के अंदर रहे, जिन्हें कोई स्पष्टता नहीं मिली। जब फ्लाइट रद होने की घोषणा हुई तो यात्रियों को सूचित किया गया कि उस रात कोई वैकल्पिक फ्लाइट की सुविधा आयोजित नहीं हो पाएगी। जिस पल तीरंदाजी टीम एयरपोर्ट से बाहर निकली, तब उनकी मुश्किलें बढ़ गईं।
देश के सबसे प्रतिष्ठित कम्पाउंड पुरुष तीरंदाज वर्मा ने आरोप लगाया कि उन्हें एक 'बिना खिड़की वाली स्थानीय बस' में भर दिया गया और लगभग आधे घंटे की दूरी पर एक अस्थायी लॉज में ले जाया गया, जो एक 'धर्मशाला' जैसा था। 36 साल के वर्मा ने बताया कि टीम को जिस जगह ले जाया गया, वो सही होटल नहीं था, लेकिन घटिया डोर्मिटरी था, जहां महिलाओं के लिए एक कमरे में छह बेड थे और केवल एक खराब टॉयलेट था।
बेहद घटिया जगह थी
2018 और 2022 एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीतने वाले वर्मा ने पीटीआई से बातचीत में कहा, 'गेस्ट हाउस के नाम पर धर्मशाला दिया गया, जिसकी हालत बेहद खराब थी। एक कमरे में छह डबल बेड थे। वहां केवल एक टॉयलेट था, जिसकी हालत बहुत बुरी थी। वो इतनी बुरी हालत में था कि मुझे नहीं लगता कि वहां कोई स्नान भी कर सकता था।'
भारतीय तीरंदाजों के वैकल्पिक जगह जाने का प्रयास भी काम नहीं आया क्योंकि वो कोई अंतरराष्ट्रीय ट्रांजेक्शन नहीं कर सके। वर्मा ने कहा, 'निजी तौर पर हम कुछ प्रबंध नहीं कर सके क्योंकि कोई अंतरराष्ट्रीय कार्ड वहां स्वीकार्य नहीं था। हमें उबर नहीं मिल सकी क्योंकि पेमेंट में कुछ परेशानी आ रही थी। और हमें फ्लाइट की कोई पुष्टि नहीं करके दी गई थी।'
काफी परेशान हुए भारतीय तीरंदाज
उन्होंने आगे कहा, 'अगर हमें पता होता कि सुबह 11 बजे फ्लाइट मिलेगी तो हम एयरपोर्ट में ही रुक जाते। एयरलाइन की तरफ से कोई पुष्टि नहीं हुई तो अगले दिन भारतीय दल सुबह सात बजे एयरपोर्ट पहुंच गया और दिल्ली पहुंचने के लिए तब भी फ्लाइट में देरी हुई। कई तीरंदाज हैदराबाद और विजयवाड़ा की फ्लाइट नहीं पकड़ सके। उन्हें या तो महंगी बुकिंग दोबारा करनी पड़ी या फिर लंबी सड़क यात्रा पर जाना पड़ा।
वर्मा ने कहा, 'अब सभी फ्लाइट रद हैं और संघ को पूरा खर्चा उठाना पड़ा। मुंबई से दिल्ली तक एक टिकट का किराया 20,000 से ज्यादा है। अगर हमारे संघ को लाखों रुपये का खर्चा उठाना पड़ा तो इसका जिम्मेदार कौन है?'
कौन लेता जिम्मेदारी?
वर्मा ने कठिन परिस्थिति में राष्ट्रीय टीम का समर्थन न करने के लिए एयरलाइन को जिम्मेदार ठहराने में कोई संकोच नहीं किया। उन्होंने आरोप लगाया, 'आपका विमान खराब हुआ और जब आप जानते हैं कि बाहर दंगे हो रहे हैं तो आप कैसे हमें स्थानीय परिचालन में भर सकते हो? अगर उस बस में कुछ हो जाता, वहां तीन युवा लड़कियां थीं, तो कौन जिम्मेदार होता? वहां सात महिला सदस्य थी, जिनमें से चार 20 से कम उम्र की थीं। नहीं, वहां कोई मुआवजा नहीं। ऐसा नहीं कि उन्हें पता नहीं था।'
इस भयावह यात्रा ने भारत के एशियाई चैंपियनशिप्स में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का मजा किरकिरा कर दिया। भारत 10 मेडल के साथ शीर्ष पर रहा, जिसमें छह गोल्ड, तीन सिल्वर और एक ब्रॉन्ज शामिल हैं। भारत ने मजबूत दक्षिण कोरिया को पीछे छोड़ा, जिनके 10 मेडल जरूर हैं, लेकिन इसमें गोल्ड की संख्या कम हैं। भारत ने ढाका में 23 सदस्यीय दल भेजा था, जो तीन ग्रुप दिल्ली, मुंबई और कोलकाता से रवाना हुआ था।
कोलकाता ग्रुप में सात सदस्य थे, जिसमें अतनु दास, दीपिका कुमारी और कोच पूर्णिमा महतो व राहुल बैनर्जी शामिल थे। उन्हें यात्रा में कोई परेशानी नहीं हुई। मुंबई में महाराष्ट्र के तीरंदाज प्रथमेश फुगे और साहिल जाधव थे, जो समय से पहुंचे।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।