नीरज-वेबर के साथ बेहतर प्रदर्शन कर बेहद खुश हैं सचिन यादव, लेकिन इस बात का अभी भी हो रहा अफसोस
भारत के भाला फेंक एथलीट सचिन यादव ने विश्व चैंपियनशिप में नीरज चोपड़ा और जूलियन वेबर जैसे खिलाड़ियों से बेहतर प्रदर्शन किया और इस बात की उन्हें खुशी है। उन्होंने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ थ्रो किया। सचिन ने कहा कि उन्हें पदक जीतने की उम्मीद थी लेकिन अगले प्रयासों में सुधार न कर पाने के कारण निराशा हुई।

पीटीआई, नई दिल्ली: भारत के भाला फेंक एथलीट सचिन यादव का कहना है कि अपनी पहली विश्व चैंपियनशिप में नीरज चोपड़ा और जूलियन वेबर जैसे खिलाड़ियों से बेहतर प्रदर्शन करना सुखद अहसास है लेकिन इससे अच्छी शुरुआत के बाद कांस्य पदक हाथ से जाने देने की निराशा की भरपाई नहीं हो सकती।
सचिन का यह दूसरा ही अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट था, लेकिन उन्होंने गुरुवार को टोक्यो में दमदार प्रदर्शन करते हुए दो बार के ओलंपिक पदक विजेता नीरज चोपड़ा (84.03 मीटर), मौजूदा ओलंपिक चैंपियन अरशद नदीम (82.75 मीटर) और डायमंड लीग ट्रॉफी विजेता वेबर (86.11 मीटर) जैसे प्रतिष्ठित प्रतिभागियों को पछाड़ दिया।
पदक जीतने की थी उम्मीद
इस भारतीय ने पहला थ्रो 86.27 मीटर फेंका जो उनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। सचिन ने कहा कि शुरुआती थ्रो बहुत अच्छा रहा। मौसम अच्छा था, जैसे ही मैंने भाला गिरते हुए देखा तो मुझे लगा कि मैं पदक जीत सकता हूं। मुझे भरोसा था कि कम से कम एक बार 87 मीटर का थ्रो जरूर डाल लूंगा। उन्होंने कहा कि मैं दुनिया के सर्वश्रेष्ठ एथलीट के विरुद्ध प्रतिस्पर्धा कर रहा था, जिससे स्वाभाविक रूप से आपका प्रदर्शन बेहतर होता है। लेकिन मैं अपनी पूरी कोशिश करने के बावजूद अगले पांच प्रयासों में पहले थ्रो से सुधार नहीं कर सका। इसलिए मुझे लगता है कि मैंने विश्व चैंपियनशिप पदक अपने हाथ से जाने दिया।
उत्तर प्रदेश के बागपत के पास खेकड़ा गांव के किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले सचिन को इस बात से भी दुखी थे कि गत चैंपियन नीरज पीठ दर्द के कारण पांचवें दौर के बाद बाहर हो गए थे।
नीरज के लिए दुख हुआ
सचिन ने कहा कि मैं अपने पहले थ्रो को बेहतर करने की कोशिश कर रहा था। लेकिन मुझे नीरज भाई के लिए दुख भी हुआ। यह पहली बार था जब वह पोडियम पर नहीं थे। हमारे देश को पदक जीतना था, लेकिन वह भी नहीं हुआ इसलिए मुझे बुरा लगा।
उन्होंने कहा कि मैंने अपनी मां से बात की। मेरे माता-पिता खुश हैं लेकिन वे इन सबके बारे में ज्यादा नहीं जानते जैसे विश्व चैंपियनशिप या फिर पदक जीतना। वे बस यही चाहते थे कि मुझे सरकारी नौकरी मिल जाए। उन्होंने कभी मीडिया को नहीं देखा है। इसलिए पहली बार ऐसा हुआ कि मीडिया मेरे घर गया। मेरी मां ने मुझे बताया कि कुछ लोग हमारे घर आए और फोटो लीं।
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