कौन हैं Divya Deshmukh? खेलना चाहती थीं बैडमिंटन, रिश्वत देकर एकेडमी ले जाते थे पेरेंट्स; अब रच दिया इतिहास
दिव्या देशमुख ने अपने से ऊंची रैंकिंग वाली ग्रैंडमास्टर और भारत की ही कोनेरू हंपी को फिडे महिला विश्व कप फाइनल में हरा दिया है। इसके साथ ही वह देश की 88वीं ग्रैंडमास्टर बनी। उन्होंने दूसरी बाजी में रविवार को हंपी को ड्रॉ खेलने पर मजबूर किया। शनिवार को पहली बाजी भी ड्रॉ रही। ऐसे में आज टाईब्रेकर से विजेता का फैसला हुआ।

स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय मास्टर दिव्या देशमुख ने अपने से ऊंची रैंकिंग वाली ग्रैंडमास्टर और हमवतन कोनेरू हंपी को फिडे महिला विश्व कप फाइनल में हराकर खिताब पर कब्जा जमाया। इसके साथ ही वह देश की 88वीं ग्रैंड मास्टर बनी हैं। उन्होंने टाई ब्रेकर में यह जीत दर्ज की।
इससे पहले दिव्या देशमुख ने दूसरी बाजी में रविवार को हंपी को ड्रॉ खेलने पर मजबूर किया। शनिवार को खेली गई पहली बाजी भी ड्रॉ रही। ऐसे में आज टाईब्रेकर से विजेता का फैसला हुआ। टाईब्रेकर में कम अवधि की बाजियां खेली जाती हैं। दिव्या देशमुख चौथी भारतीय महिला शतरंज खिलाड़ी हैं जिन्होंने ग्रैंडमास्टर का तमगा हासिल किया।
दिव्या बचपन में बैडमिंटन खेलना चाहती थीं। उनकी उम्र कम थी ऐसे में माता-पिता ने उन्हें शतरंज सिखाया। दिव्या को एकेडमी ले जाने के लिए पेरेंट्स रिश्वत देते थे। आइए दिव्या से जुड़ी कुछ रोचक बातें जानते हैं।
🇮🇳 Divya Deshmukh wins the 2025 FIDE Women’s World Cup! 🏆
🥇 Divya Deshmukh 🇮🇳
🥈 Humpy Koneru 🇮🇳
🥉 Tan Zhongyi 🇨🇳
Results - Final:
🇮🇳 Divya Deshmukh 2.5-1.5 Humpy Koneru 🇮🇳
🇨🇳 Tan Zhongyi 1.5-0.5 Lei Tingjie 🇨🇳#FIDEWorldCup pic.twitter.com/NDtnO4pPXU
— International Chess Federation (@FIDE_chess) July 28, 2025
फिडे महिला विश्व कप फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय
फिडे महिला विश्व कप 2025 में अपने शानदार प्रदर्शन के साथ दिव्या देशमुख पहले तो कोनेरू हम्पी के बाद सेमीफाइनल में पहुंचने वाली दूसरी भारतीय महिला बनीं। फिर उन्होंने टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय बनकर इतिहास रच दिया। दिव्या ने हेक्सामाइंड शतरंज क्लब का प्रतिनिधित्व किया और ब्लिट्ज सेमीफाइनल में महिलाओं की विश्व नंबर 1 होउ यिफान को 74 चालों के रूक बनाम बिशप एंडगेम में हराया।
FIDE विश्व अंडर-20 गर्ल्स चैंपियन में अपराजित
दिव्या देशमुख के बारे में एक और बात यह है कि वह वर्तमान में शतरंज में महिलाओं में विश्व जूनियर नंबर 1 हैं। FIDE विश्व जूनियर गर्ल्स चैंपियनशिप 2024 जीतना अपने आप में एक बड़ी बात है, लेकिन इससे भी ज्यादा दिलचस्प बात यह है कि वह पूरे टूर्नामेंट में अपराजित रहीं और 11 में से 10 अंक हासिल किए।
2024 शतरंज ओलंपियाड में डबल गोल्ड मेडल
सबसे निचली वरीयता प्राप्त खिलाड़ी से लेकर 2024 में टाटा स्टील इंडिया शतरंज टूर्नामेंट जीतने तक सभी को चौंका देने वाली दिव्या ने 2024 शतरंज ओलंपियाड में तहलका मचा दिया है। दिव्या ने न केवल एक बल्कि दो स्वर्ण पदक विजेता टीमों के साथ-साथ व्यक्तिगत स्पर्धाओं में भी स्वर्ण पदक जीते हैं।
5 साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू किया
दिव्या देशमुख को शुरुआत में शतरंज पसंद भी नहीं था। पांच साल की उम्र में वह अपनी बड़ी बहन की तरह बैडमिंटन खेलना चाहती थीं, लेकिन वह इसमें शामिल होने के लिए बहुत छोटी थीं। उनके माता-पिता ने उन्हें शतरंज खेलना सिखाया।
शुरुआत में उन्हें अकादमी जाना बिल्कुल पसंद नहीं था, और उनके माता-पिता को उन्हें वहां लाने के लिए चॉकलेट और गिफ्ट की रिश्वत देनी पड़ती थी। लेकिन जल्द ही उन्हें इस खेल से प्यार हो गया और बाकी सब इतिहास है।
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