भारत की आंखें खोल गई विश्व पैरा एथलेटिक्स, कमियों से देश की छवि पर पड़ा असर
भारत में पहली बार आयोजित विश्व पैरा एथलेटिक्स प्रतियोगिता अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के लिए एक महत्वपूर्ण सीख रही। इस दौरान विदेशी कोच को कुत्ते के काटने और ट्रैक पर कांच के टुकड़े मिलने जैसी घटनाएं हुईं जिससे देश की छवि पर असर पड़ा है। अधिकारी बेशक खिलाड़ियों की सफलता का जश्न मना रहे हैं लेकिन मेजबान के तौर पर भारत की छवि धूमिल हुई है।

अभिषेक त्रिपाठी, जागरण, नई दिल्ली: भारत में पहली बार हुई विश्व पैरा एथलेटिक्स देश में होने वाले अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों के लिए आंखें खोलने वाली प्रतियोगिता रही। 27 सितंबर से पांच अक्टूबर तक चली प्रतियोगिता के दौरान विदेशी कोच को कुत्ते ने काटा तो नए नवेले मोंडो एथलेटिक्स ट्रैक पर कांच के टुकड़े मिले।
यही नहीं दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए बनाए गए नो व्हीकल जोन में आयोजकों की गाड़ियों के सरपट दौड़ने से यहां आए विदेशी भारत की क्या छवि बनाकर गए होंगे, इस बारे में केंद्रीय खेल मंत्रालय, स्पोर्ट्स अथॉरिटी आफ इंडिया और भारतीय पैरालंपिक समिति को सोचना होगा।
खिलाड़ियों की सफलता का जश्न मना रहे अधिकारी
निश्चित तौर पर आयोजक यहां पर अपने दिव्यांग खिलाड़ियों की सफलता का जश्न मना रहे हैं। रविवार को दिल्ली में संपन्न हुई इस प्रतियोगिता में भारतीय पैरा एथलीटों ने रिकॉर्ड पदक हासिल किए। 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स के बाद देश में हुए पहले बड़े बहुराष्ट्रीय खेल आयोजन में 104 देशों के 2,200 से अधिक खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। भारत 2030 के कॉमनवेल्थ गेम्स और 2036 के ओलंपिक व पैरालंपिक खेलों की मेजबानी को पाने के लिए तैयारियां कर रहा है।
भारत वर्तमान में कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी के लिए नाइजीरिया के साथ मुकाबले में है। हालांकि यह माना जा रहा है कि यह आयोजन भारत को मिल सकता है। भारत सरकार का मुख्य ध्यान 2036 की ओलंपिक पाना है। इसके लिए केंद्र सरकार और गुजरात की मशीनरी मेजबानी अधिकार प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास कर रही है। इसके लिए विश्व पैरा एथलेटिक्स लिटमस टेस्ट की तरह थी।
इस प्रतियोगिता के जरिये भारत को अपनी तैयारियों, बुनियादी ढांचे के विकास, संगठनात्मक क्षमता, तार्किक प्रबंधन और खेल विरासत को प्रदर्शित करने का अवसर मिला। इसमें एथलीटों ने शानदार प्रदर्शन किया और इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनकी तारीफ भी की। भारतीय पैरा एथलीटों ने मैदान पर शानदार प्रदर्शन करते हुए पदक तालिका में शीर्ष-10 में जगह बनाई लेकिन प्रशासकों ने भारत की कमजोरियों को उजागर कर दिया।
मोंडो ट्रैक पर मिले कांच के टुकड़े
जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित हुई विश्व पैरा एथलेटिक्स में कई कमियां उजागर हुईं। बुनियादी ढांचे और लाजिस्टिक्स की तैयारी में कई गड़बड़ियां और अंतिम क्षणों में किए गए प्रयास सामने आए। जेएलएन स्टेडियम के अभ्यास ट्रैक और जिम्नेजियम का उद्घाटन चैंपियनशिप शुरू होने की पूर्व संध्या पर किया गया। उद्घाटन समारोह की पूर्व संध्या पर नए मोंडो ट्रैक पर टूटी हुई कांच की बोतलों के टुकड़े पाए गए।
25 करोड़ रुपये खर्च करके मुख्य स्टेडियम और अभ्यास ट्रैक पर नौ-नौ लेन वाला नीले रंग का सिंथेटिक मोंडो ट्रैक बिछाया गया था। चैंपियनशिप के दौरान स्टेडियम के अंदर नो व्हीकल जोन में वीवीआईपी और वीआईपी स्टिकर लगे वाहन व अतिथियों को लाने वाले वाहन नियमित रूप से प्रवेश करते देखे गए। दिव्यांग खिलाड़ियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सख्त रूप से प्रतिबंधित क्षेत्र माना जाता है। विदेश में ऐसी कोई घटना नहीं होती है।
दो विदेशी कोचों को कुत्तों ने काट
देश को सबसे बड़ी शर्मिंदगी तब झेलनी पड़ी, जब स्टेडियम में मौजूद आवारा कुत्तों ने जापान और केन्या के दो विदेशी कोचों को काट लिया। यह घटना सुबह के प्रशिक्षण सत्र के दौरान अभ्यास ट्रैक पर हुई। उसी समय एक सुरक्षा गार्ड पर भी स्टेडियम के प्रवेश द्वार पर हमला हुआ। दरअसल, जापानी कोच मेको ओकुमात्सु के बाएं पिंडली के पिछले हिस्से में गहरे घाव हो गए, जिन पर टांके लगाने पड़े।
खेल मंत्रालय और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के कुछ अधिकारियों ने निजी तौर पर स्वीकार किया कि कुत्ते के काटने की यह घटना देश की वैश्विक खेल छवि को नुकसान पहुंचाने वाली रही और इससे नकारात्मक प्रचार हुआ। इसके अलावा, कभी-कभी स्टार्टर गन में खराबी आई और पहले चार दिनों के दौरान उच्च आर्द्रता के कारण लगभग 25 पैरा एथलीटों को अत्यधिक गर्मी से थकान की शिकायत हुई।
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