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    तालिबान ने भारत के साथ रिश्तों की दुहाई दी, चाबहार पोर्ट को भी बताया महत्वपूर्ण, जानें क्‍या कहा

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Mon, 30 Aug 2021 06:42 AM (IST)

    अंतरराष्ट्रीय जगत में अपनी छवि सुधारने की जुगत में लगा तालिबान बार-बार भारत को यह संदेश दे रहा है कि वह अब बदल गया है और उसे अफगानिस्तान के साथ अपने संबंधों को बनाए रखना चाहिए। पढ़ें यह रिपोर्ट...

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    तालिबान बार-बार भारत को यह संदेश दे रहा है कि वह अब बदल गया है...

    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अंतरराष्ट्रीय जगत में अपनी छवि सुधारने की जुगत में लगा तालिबान बार-बार भारत के साथ अपने रिश्तों की दुहाई दे रहा है। काबुल पर बंदूक के बल पर कब्जा जमाने वाला तालिबान बार-बार यह संदेश दे रहा है कि वह बदल गया है और भारत के साथ अफगानिस्तान के राजनीतिक और कारोबारी संबंध बनाए रखना चाहता है। तालिबान का कहना है कि भारत के साथ व्‍यापारिक, आर्थिक और राजनीतिक संबंध बहुत मायने रखते हैं।  

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    चाबहार पोर्ट को महत्वपूर्ण बताया

    सबसे पहले शनिवार को तालिबान के वरिष्ठ नेता मुहम्मद अब्बास स्टेनकजई ने एक वीडियो संदेश में कहा, 'हम भारत के साथ हमारे व्यापारिक, आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को बहुत अहमियत देते हैं और इस संबंध को बनाए रखना चाहते हैं।' स्टेनकजई ने पाकिस्तान से भी अफगानिस्तान व भारत के बीच कारोबारी मार्ग खोलने का आग्रह किया है। साथ ही भारत की तरफ से बनाए जा रहे चाबहार पोर्ट को भी महत्वपूर्ण बताया।

    दूतावास खाली नहीं करने की अपील

    रविवार को तालिबान के एक दल ने भारत सरकार की तरफ से निर्मित अफगान-भारत फ्रेंडशिप डैम (सलमा डैम) का दौरा किया और इस डैम की निगरानी में लगे अफगानी इंजीनियरों से बात की। तालिबान ने अपने मध्यस्थों के माध्यम से भारत से काबुल स्थित दूतावास खाली नहीं करने का आग्रह भी किया था।

    भारतीय हितों को नहीं होगा नुकसान

    तालिबान की तरफ से बार-बार भले ही यह भरोसा दिलाने की कोशिश हो रही हो कि उसके सत्ता में आने के बावजूद भारतीय हितों का नुकसान नहीं होगा, भारत सरकार उस पर कोई जल्दबाजी में फैसला नहीं करने जा रही है। विदेश मंत्रालय के आधिकारिक रुख में कोई बदलाव नहीं आया है कि भारत अफगानिस्तान के हालात के स्थिर होने का इंतजार करेगा।

    तालिबान को नजरंदाज करना नहीं होगा आसान

    हालांकि विदेश मंत्रालय के अधिकारी भी मानते हैं कि अगर तालिबान की अगुआई में वहां सरकार बनती है और दूसरे तमाम देश उसे मान्यता देते हैं तो भारत के लिए लंबे समय तक अफगानिस्तान सरकार को नजरअंदाज करना आसान नहीं होगा। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अफगानिस्तान मुद्दे पर सर्वदलीय समिति को जानकारी देते हुए भी इस आशय के संकेत दिए थे।

    भारत बेहद महत्‍वपूर्ण

    तालिबानी नेता स्टेनकजई ने कहा है कि भारत इस महाद्वीप के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण देश है और तालिबान सरकार बनाने के बाद भारत के साथ राजनीतिक, आर्थिक व सांस्कृतिक संबंधों को बनाए रखेगा। हाल के दिनों में तालिबान के कुछ प्रवक्ताओं ने भारत के साथ सामान्य रिश्ते बनाए रखने की बात की थी है लेकिन पहली बार तालिबान के किसी शीर्ष नेता ने यह पेशकश की है।

    मंत्री बनाए जा सकते हैं स्टेनकजई

    स्टेनकजई के बारे में माना जाता है कि तालिबान के सत्ता में आने पर वो किसी बड़े मंत्री पद पर आसीन होंगे। 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत ने जब दूतावास खाली करना शरू किया था तब माना जाता है कि स्टेनकजई की तरफ से ही भारतीय अधिकारियों से संपर्क साधा गया था और कहा गया था कि भारत को अपना दूतावास जारी रखना चाहिए था।

    भारत के साथ पुराना रिश्‍ता

    स्टेनकजई का भारत के साथ पुराना रिश्ता है। अफगानिस्तान की फौज में रह चुके स्टेनकजई ने देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) में प्रशिक्षण लिया था। भारत के कई पूर्व सैनिकों के साथ उनके अच्छे संबंध बताए जाते हैं।

    आइएसआइ-तालिबान के गठजोड़ को भूला नहीं भारत

    हालांकि सूत्रों का कहना है कि तालिबान के इन संदेशों का भारत के लिए कोई मतलब नहीं है। भारत बखूबी जानता है कि तालिबान के पीछे पाकिस्तान की सेना और उसकी खुफिया एजेंसी आइएसआइ है। आइएसआइ व तालिबान के बीच के रिश्तों ने भारत को पहले चोट पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

    भारत के हितों पर चोट पहुंचाई

    वर्ष 1999 में भारतीय विमान के अपहरण से लेकर कश्मीर के लिए जैश-ए-मुहम्मद जैसे आतंकी संगठन को तैयार करने और भारतीय मिशनों पर हमले में तालिबान की भूमिका किसी से छिपी नहीं है। यही वजह है कि भारत तालिबन आने वाले महीनों या वर्षों में क्या करता है, इस पर नजर रखेगा।