जिला अध्यक्षों की नियुक्ति पर कांग्रेस का जोर, संगठन को मजबूत करने की कवायद शुरू; पायलट प्रोजेक्ट ने दी गति
कांग्रेस ने जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की नई प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए पंजाब उत्तराखंड झारखंड और ओडिसा के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है। हरियाणा में गुटबाजी से जूझ रहे संगठन को जिला अध्यक्षों की नियुक्ति से मिली सफलता के बाद पार्टी का मनोबल बढ़ा है। खरगे और राहुल गांधी जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने के लिए जिला इकाइयों को आधार स्तंभ बनाने में जुटे हैं।

संजय मिश्र, जागरण, नई दिल्ली। कांग्रेस ने जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की अपनी नई प्रक्रिया को गुजरात के उपरांत मध्यप्रदेश और हरियाणा में मिली सफलता के बाद दूसरे राज्यों में इससे मूर्त रूप देने की प्रक्रिया को गति देनी शुरू कर दी है।
इन तीन के बाद पार्टी ने चार प्रदेशों पंजाब, उत्तराखंड, झारखंड और पंजाब के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर जिला अध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। हरियाणा जैसे प्रदेश में वर्षों से अंदरूनी गुटबाजी के भंवर में फंसे संगठन को जिला अध्यक्षों की नियुक्ति के सहारे बाहर निकालने शुरूआत करने में मिली सफलता ने पार्टी को संगठन सृजन अभियान को तेज करने का हौसला दिया है।
खरगे ने की नियुक्ति
इसके मद्देनजर ही बीते सप्ताह कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पंजाब, उत्तराखंड, झारखंड तथा ओडिसा में जिला अध्यक्षों के चयन के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की थी। कांग्रेस के लिए चुनावी राजनीति में संगठनात्मक ढांचे की कमजोरी उसकी सबसे बड़ी चुनौती साबित हुई है।
इसलिए मल्लिकार्जुन खरगे तथा राहुल गांधी जिले की इकाईयों को जमीनी स्तर पर संगठन का आधार स्तंभ बनाने की कसरत में जुटे हैं। अहमदाबाद में बीते अप्रैल में हुए कांग्रेस महाधिवेशन में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की नई प्रणाली को मंजूरी दी गई थी।
चरम पर है गुटबाजी
गुजरात इसका पहला पायलट प्रोजेक्ट बना जहां केंद्रीय पर्यवेक्षकों तथा तीन राज्य पर्यवेक्षकों और राज्य के प्रभारी एआइसीसी महासचिव व सचिवों की निगरानी में जमीनी स्तर पर चर्चा के बाद जिला अध्यक्षों की जुलाई में नियुक्ति की गई। मध्यप्रदेश और हरियाणा जैसे संगठन के लिहाज से कठिन राज्यों का चयन भी पायलट प्रोजेक्ट की तरह ही रहा क्योंकि यहां गुटबाजी चरम पर रही है।
खासतौर पर हरियाणा में जहां पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुडडा के वर्चस्व के बावजूद कुमारी सैलजा तथा रणदीप सुरजेवाला जैसे वरिष्ठ नेताओं का अपना-अपना गुट मुखर रहा है। इसी वजह से बीते 11 साल से अधिक समय से हरियाणा में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति नहीं हो पा रही थी। 2024 में हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बेहद करीबी अप्रत्याशित हार में इस गुटबाजी की भूमिका की बात खुद पार्टी हाईकमान ने भी स्वीकार की थी।
कांग्रेस का लक्ष्य
ऐसे में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने के बाद पार्टी का भरोसा बढ़ा है कि अन्य राज्यों में इसकी गति अपेक्षाकृत तेज होगी। वैसे इसमें हरियाणा के कांग्रेस प्रभारी बीके हरिप्रसाद की कुशलता और अनुभव का भी योगदान माना जा रहा है। कांग्रेस ने अगले एक साल जून 2026 तक संगठन सृजन के तहत सभी राज्यों के जिला अध्यक्षों की नियुक्ति का लक्ष्य रखा है।
पार्टी ने जिला अध्यक्षों को राजनीतिक ताकत देने के लिए लोकसभा तथा विधानसभा चुनाव के टिकट बंटवारे में उनकी अहम भूमिका की रूपरेखा बनाई है तो संगठन की सक्रियता के लिए जवाबदेही मानक भी तय किए हैं। जिला अध्यक्षों की नियुक्ति कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के लिए कितनी महत्वपूर्ण है यह इसी से समझी जा सकती है कि खरगे तथा राहुल गांधी सीधे इनसे संवाद करते हैं।
दिल्ली आए थे राहुल गांधी
अभी तीन दिन पहले ही हरियाणा तथा मध्यप्रदेश के नवनियुक्त जिला अध्यक्षों के दो दिन के प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए राहुल गांधी बिहार में जारी अपनी वोटर अधिकार यात्रा के बीच एक दिन का ब्रेक लेकर दिल्ली आए थे।
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