'समय पर मतदाता सूची की जांच नहीं की, मौका गंवा दिया'; वोट चोरी के आरोपों पर EC की दो टूक
चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को मतदाता सूचियों की समय पर जाँच न करने पर फटकार लगाई है। आयोग ने कहा कि मतदाता सूची तैयार करने के हर चरण में दलों को शामिल किया जाता है ड्राफ्ट कॉपी भी दी जाती है और आपत्तियां दर्ज करने के लिए एक महीने का समय भी दिया जाता है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने शनिवार को राजनीतिक दलों को कड़ा संदेश दिया। कहा कि कुछ राजनीतिक दलों और उनके बूथ स्तर के एजेंटों (बीएलए) ने समय पर मतदाता सूचियों की जांच नहीं की और मौका गंवा दिया।
अब वे पूर्व में तैयार की गई मतदाता सूचियों में त्रुटियों का मुद्दा उठा रहे हैं। अगर उन्होंने समय पर ऐसा कदम उठाया होता और यह गलतियां सही होतीं तो संबंधित एसडीएम, ईआरओ उसमें सुधार कर लेते।
चुनाव आयोग (ईसी) ने स्पष्ट किया है कि मतदाता सूची तैयार करने के सभी चरणों में राजनीतिक दल शामिल हैं। ड्राफ्ट वोटर लिस्ट की हार्ड कॉपी और डिजिटल कॉपी सभी राजनीतिक दलों के साथ शेयर की जाती हैं और इन्हें चुनाव आयोग की वेबसाइट पर सभी के देखने के लिए उपलब्ध करा दिया जाता है।
एक महीने का दिया जाता है समय
चुनाव आयोग ने कहा, "इसके बाद दावे और आपत्तियां दर्ज करने के लिए एक महीने का समय दिया जाता है। अंतिम प्रकाशित मतदाता सूची भी सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ साझा की जाती है और दो-स्तरीय अपील प्रक्रिया उपलब्ध कराई जाती है। ऐसा लग रहा है कि कुछ राजनीतिक दलों और उनके बूथ स्तरीय एजेंटों ने सही समय पर मतदाता सूचियों की जांच नहीं की और गड़बडि़यों के बारे में जानकारी नहीं दी।"
बिहार में मतदाता सूची के सघन पुनरीक्षण अभियान (SIR) पर विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि बिहार के सभी राजनीतिक दलों को 20 जुलाई, 2025 से उन लोगों की लिस्ट दी गई थी जिनका नाम वोटर लिस्ट से बाहर किया जाना था। वोटर की मृत्यु, दूसरे जगहों पर स्थाई रूप से रहने, एक ही जानकारी को कई बार दर्ज करने की वजह से ऐसा किया गया।
'साफ-सुथरी हो मतदाता सूची'
चुनाव आयोग ने कहा, "हम अभी भी राजनीतिक दलों और मतदाता की ओर से वोटर लिस्ट की जांच का स्वागत करते हैं। हमारा उद्देश्य हमेशा से यही रहा है कि साफ-सुधरी मतदाता सूची हो और लोकतंत्र को और मजबूत बनाएं।"
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।