हरी-पीली-नारंगी लाइन की तरह मेट्रो की उपलब्धियों को लेकर भी रंग-बिरंगे दावे, बंगाल में राजनीतिक पार्टियों में मची होड़
कोलकाता में मेट्रो के तीन मार्गों के उद्घाटन को लेकर राजनीतिक दल श्रेय लेने के लिए उत्सुक हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने परियोजना का उद्घाटन किया वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पुरानी यादें ताजा कीं। वामपंथियों ने 2009 में यूपीए सरकार के दौरान शिलान्यास की तस्वीर साझा कर दावा किया कि यह उनके कार्यकाल में शुरू हुआ था।

राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। किसी ने सत्य ही कहा है कि सफलता के कई दावेदार होते हैं। शुक्रवार को कोलकाता मेट्रो के तीन मेट्रो रूट के विस्तारित मार्गों के उद्घाटन को लेकर यही स्थिति बंगाल में बन गई।
यहां की सभी राजनीतिक पार्टियां श्रेय लेने को बेताब है। यह लंबे समय से ऐसा ही चल रहा है। शुक्रवार को विस्तारित कोलकाता मेट्रो की हरी लाइन (हावड़ा मैदान से सॉल्ट लेक सेक्टर पांच तक) ने सियालदह को एस्प्लेनेड से जोड़ा।
श्रेय लेने की लगी होड़
नारंगी लाइन पर, मेट्रो दक्षिण कोलकाता के रूबी से पूर्वी मेट्रोपालिटन बाईपास के साथ पूर्वी कोलकाता के बेलेघाटा तक चलेगी और पीली लाइन पर मेट्रो नोआपाड़ा से हवाई अड्डे तक चलेगी। जिस तरह मेट्रो लाइनों के नामकरण में रंग भरे होते हैं, उसी तरह इसके श्रेय को लेकर अलग-अलग दावे हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस परियोजना का उद्घाटन किया। कोलकाता पहुंचने से ठीक पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक पोस्ट में पुरानी यादों को ताजा करने की कोशिश की। चुनावी राजनीति में अप्रासंगिक हो चुके वामपंथी, ईस्ट-वेस्ट मेट्रो के शिलान्यास की तस्वीर के साथ श्रेय लेने मेट्रो ट्रैक पर उतर आए।
पीएम मोदी ने तीन रूटों का किया उद्घाटन
विधानसभा चुनाव बस आने ही वाले हैं। उससे पहले, मोदी ने मेट्रो के तीन रूटों का उद्घाटन किया। केंद्रीय मंत्री और पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने इसे पूजा से पहले कोलकाता और उसके उपनगरों के लोगों के लिए एक 'उपहार' बताया।
इतना ही नहीं, सुकांत ने मेट्रो परियोजना के उद्घाटन को 'बदलाव की ओर एक रास्ता' भी बताया। इंटरनेट मीडिया पर, भाजपा कार्यकर्ता और समर्थक मेट्रो के तीन रूटों के उद्घाटन को मोदी की सफलता के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं।
वामपंथियों ने क्या दावा किया
वामपंथी भी पीछे नहीं हैं। ईस्ट-वेस्ट मेट्रो की आधारशिला 2009 में यूपीए-1 सरकार के अंतिम चरण के दौरान रखी गई थी। उस साल 22 फरवरी को तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी, बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य और परिवहन मंत्री सुभाष चक्रवर्ती कार्यक्रम के लिए कोलकाता में मौजूद थे।
शुक्रवार को उस तस्वीर को पोस्ट करके वामपंथी दावा कर रहे हैं कि यह उनके कार्यकाल में शुरू हुआ था। अब बाकी लोग इसकी सफलता का हिस्सा बनना चाहते हैं। वामपंथियों का यह भी आरोप है कि ममता ने उस समय इस परियोजना में बाधा डाली थी।
TMC का भाजपा पर आरोप
बताते चलें कि आधारशिला रखने के कुछ महीनों के भीतर ही लोकसभा चुनाव हुए थे। उसके बाद, तृणमूल दूसरी यूपीए सरकार में शामिल हो गई। ममता को रेल मंत्रालय मिला। बंगाल की वर्तमान सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल के अनुसार, ममता इस परियोजना की रूपरेखा बनाने आई थीं। भाजपा इसे रंग कर इसका श्रेय ले रही है।
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