राज-उद्धव के साथ आने पर कांग्रेस को कोई आपत्ति नहीं, महाराष्ट्र में कांग्रेस का क्या है गेम प्लान?
महाराष्ट्र कांग्रेस का कहना है कि अगर राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे की पार्टियां आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में साथ आती हैं तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। रमेश चेन्निथला ने कहा कि दो भाइयों को साथ आने देना चाहिए लेकिन मनसे को महाविकास आघाड़ी में शामिल करने का फैसला बाद में होगा। कांग्रेस नेताओं ने निकाय चुनावों की तैयारियों पर चर्चा की।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र के आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे की पार्टियों के एक साथ आने पर कांग्रेस को कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) को विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाडी का हिस्सा बनाया जाएगा या नहीं, इसका फैसला कांग्रेस बाद में करेगी।
महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रभारी रमेश चेन्निथला की उपस्थिति में प्रदेश कांग्रेस की ओर से पुणे में आयोजित चिंतन बैठक में कुछ माह बाद होने वाले प्रदेशव्यापी निकाय चुनावों की तैयारियों पर चर्चा की गई। इसी चर्चा के दौरान चेन्निथला ने शिवसेना (यूबीटी) एवं मनसे के बीच चल रही गठबंधन की चर्चाओं पर भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से विचार-विमर्श किया।
'दो भाई साथ आना चाहते हैं तो आने देना चाहिए'
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार इस दौरान चेन्निथला ने कहा कि यदि दो भाई साथ आते हैं, तो हमें कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन मनसे को महाविकास आघाड़ी गठबंधन में शामिल करने का निर्णय बाद में किया जाएगा। वरिष्ठ नेता विजय वडेट्टीवार का भी मानना था कि यदि स्थानीय निकाय चुनाव में दोनों भाई साथ आते हैं, तो उन्हें आने देना चाहिए।
बता दें कि पिछले कुछ महीनों से राज ठाकरे एवं उद्धव ठाकरे के बीच नजदीकियां बढ़ती दिखाई दे रही हैं। पहले हिंदी के विरोध में मराठी भाषा के अस्तित्व के नाम पर दोनों भाई वर्षों बाद एक मंच पर साथ दिखाई दिए, तो वहां बड़ी संख्या में उपस्थित हुए मराठी भाषियों को देखकर दोनों का उत्साह बढ़ा।
क्या सीट बंटवारे पर बनेगी बात?
उसके बाद कुछ दिनों पहले ही उद्धव ठाकरे के जन्मदिन पर राज ठाकरे उन्हें बधाई देने उनके घर जा पहुंचे। इसके बाद से दोनों भाइयों के राजनीतिक रूप से नजदीक आने की संभावनाएं और बढ़ गई हैं।
लेकिन ऐसा होने में पहली अड़चन शिवसेना (यूबीटी) एवं मनसे के बीच सीटों के बंटवारे की होगी।
क्योंकि दोनों पार्टियों का प्रभाव क्षेत्र करीब-करीब एक ही है। यदि दोनों भाई यह मसला निपटा भी लेते हैं, तो महाविकास आघाड़ी में राज ठाकरे को शामिल करवा पाना उद्धव के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा।
महाविकास आघाड़ी में शामिल कांग्रेस और राकांपा जैसे दल अपने हिस्से की कोई सीट राज ठाकरे को देकर अपने कार्यकर्ताओं की नाराजगी कतई मोल नहीं लेना चाहेंगे। उनका कहना है कि राज ठाकरे को मिलने वाली सीटें उद्धव को अपने शिवसेना (यूबीटी) के कोटे से ही देनी होंगी।
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