Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कांग्रेस की हार के बाद I.N.D.I की बागडोर संभालना चाहती है TMC! ममता की पार्टी की क्या है 'प्लानिंग'?

    Updated: Sat, 15 Nov 2025 11:30 PM (IST)

    बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने राष्ट्रीय राजनीति में तृणमूल कांग्रेस को मजबूत किया है। शीतकालीन सत्र में पार्टी विपक्षी एकता का नेतृत्व करने की कोशिश करेगी। कांग्रेस की हार के बाद टीएमसी क्षेत्रीय दलों का नेतृत्व करने के लिए तैयार है। ममता बनर्जी ने बिहार चुनाव में प्रचार नहीं किया क्योंकि वे राहुल गांधी के साथ मंच साझा नहीं करना चाहती थीं। टीएमसी का मानना है कि कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों के साथ सीटों के लिए मोलभाव नहीं करना चाहिए।

    Hero Image

    कांग्रेस की हार के बाद INDI की बागडोर संभालना चाहती है TMC (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। राष्ट्रीय विपक्षी राजनीति के संदर्भ में बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम ने तृणमूल की स्थिति मजबूत कर दी है। अगले माह की शुरुआत में शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है। सूत्रों के अनुसार ममता बनर्जी की पार्टी इस बार इस सत्र में विपक्षी समन्वय के मुद्दे पर नेतृत्वकारी भूमिका निभाने की कोशिश करेगी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    माना जा रहा है कि बिहार में मिली भारी हार के बाद लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस का मनोबल बेहद कमजोर होगा। ऐसे में स्वाभाविक रूप से तृणमूल आइएनडीआइए के अंदर और बाहर क्षेत्रीय दलों के समूह (सपा, आप, उद्धव समर्थक शिवसेना और यहां तक कि राजद) का नेतृत्व करने में सक्रिय रहेगी।

    तृणमूल के राज्यसभा नेता डेरेक ओ ब्रायन का कहना है कि हमने 2011 से अब तक छह विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भाजपा को हराया है। ममता बनर्जी भाजपा को हराना जानती हैं। हम विपक्ष को उनके द्वारा बनाया गया रास्ता दिखाएंगे। बताते चलें कि राजद नेता तेजस्वी के साथ बेहद मधुर संबंधों के बावजूद ममता ने इस बार बिहार चुनाव में प्रचार के लिए अपनी पार्टी के किसी भी कद्दावर नेता को नहीं भेजा।

    राहुल क्यों चले गए थे विदेश

    पार्टी सूत्रों के अनुसार इसकी मुख्य वजह यह थी कि वह बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी के चुनाव प्रचार के दौरान राहुल के साथ तृणमूल के किसी भी शीर्ष नेता को एक ही फ्रेम में नहीं रखना चाहती थीं। बिहार के नतीजे स्पष्ट होने के बाद तृणमूल सूत्रों ने कहा कि राहुल को पहले ही खबर मिल गई थी कि भारी हार होने वाली है इसीलिए वह चुनाव प्रचार छोड़कर विदेश चले गए, ताकि जिम्मेदारी उन पर न आकर तेजस्वी के कंधों पर आ जाए।

    तृणमूल नेतृत्व को भी लगता है कि कांग्रेस व्यावहारिक रूप से एक क्षेत्रीय पार्टी बन गई है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, केरल जैसे कुछ राज्यों को छोड़कर, उसका अस्तित्व खतरे में है, इसलिए कांग्रेस को उन राज्यों में जहां क्षेत्रीय विपक्षी दल मजबूत है वहां लड़ने के लिए सीटों को लेकर मोलभाव नहीं करना चाहिए। बिहार की हार के बाद कांग्रेस को यह सबक सीखना चाहिए।

    अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के जरिये ISI ने कराया दिल्ली ब्लास्ट! जांच एसेंसियों का बड़ा दावा; ऑपरेशन सिंदूर 2.0 का दिखा खौफ