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    ऊर्जा मंत्री को ‘अंडर करंट’ का झटका: सुल्तानपुर में 'जय श्री राम' से दिया जवाब, क्‍या सत्ता-नौकरशाही में जारी है खींचतान?

    यूपी के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा बिजली कटौती की शिकायतों के बीच जय श्री राम का नारा लगाकर सुर्खियों में आ गए हैं। विभाग में निजीकरण और नौकरशाही के साथ उनकी खींचतान चल रही है जिससे अंडर करंट जैसे हालात हैं। खुद मंत्री ने एक्स पर पोस्ट कर अपने खिलाफ निहित स्वार्थी तत्वों के हाथ मिलाने का आरोप लगाया है।

    By Jagran News Edited By: Deepti Mishra Updated: Wed, 06 Aug 2025 07:38 PM (IST)
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    ऊर्जा मंत्री पर 'अंडर करंट' का झटका। फाइल फोटो

     भारतीय बसंत कुमार, लखनऊ। घटनाक्रम ताजा ही है। ऊर्जा मंत्री एके शर्मा सुल्तानपुर के सूरापुर कस्बा पहुंचे थे। हरे रंग का चमकीला कुर्ता पहने, गले में लदीं गेंदा के फूलों की मालाओं का बोझ उतारते उनका एक वीडियो भी खूब प्रसारित हुआ।

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    वीडियो में लोग ग्रामीण क्षेत्र में बिजली कटौती की शिकायत कर रहे हैं। बोल रहे हैं कि सरकार ने 24 घंटे बिजली का वादा किया था, पर कटौती बेहिसाब हो रही है।

    मंत्री इस पर कोई जवाब तो नहीं देते, पर दोनों हाथ ऊपर उठाकर और जय श्री राम... जय हनुमान... का उद्घोष करते गाड़ी में बैठ निकल लेते हैं। इन दिनों प्रदेश के बिजली विभाग में ‘अंडर करंट’ कुछ ज्यादा ही झटके दे रहा है।

    विभाग नहीं, अब सोशल मीडिया पर उठाए जा रहे मुद्दे 

    निजीकरण के खिलाफ कर्मचारी संगठनों का आंदोलन, राजनीति में हैसियत और भागीदारी, विभाग के अफसरों का रौब या उन पर मंत्री की हनक जैसे अनेक मुद्दे फाइल से निकल कर ‘एक्स’ पर पसर चुके हैं। कभी अपने विभाग के कामकाज की खूब तारीफ करने वाले ऊर्जा मंत्री की 28 जुलाई की पोस्ट ने भी खूब पलीता लगाया। पोस्ट थी- 'निहित स्वार्थी तत्वों ने उनके खिलाफ हाथ मिला लिया है।’

    पोस्ट में कहा गया कि ऊर्जा मंत्री के खिलाफ सुपारी लेने वालों में बिजली कर्मचारी के वेश में कुछ उपद्रवी तत्व भी शामिल हैं। इससे पूर्व शक्ति भवन में हुई बैठक में अफसरों के प्रति तल्ख रवैये ने भी मंत्री को चर्चा में ला दिया। नौकरशाही से राजनीति में पदार्पण करने वाले एके शर्मा गुजरात कैडर के आइएएस अधिकारी रहे हैं। इस नाते उन्हें दिल्ली दरबार का करीबी माना जाता है।

     दूसरी ओर उनका यह बयान आता है कि जब ऊर्जा मंत्री एक जेई का ट्रांसफर नहीं कर सकते तो निजीकरण का इतना बड़ा निर्णय अकेले कैसे कर सकते हैं? अभिप्राय साफ है कि विभाग को कहीं और से पोषण मिल रहा है। यही असली टेंशन है। कर्मचारी नेताओं की बार-बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बिजली विभाग की कमान अपने हाथ में लेने की अपील भी उन्हें सालती होगी।

    मंत्री हांफ रहे.. सीएम ने कसी नकेल

    मंत्री यूं ही असहज नहीं हैं। उनकी तमाम कोशिश के बाद भी राज्य में अभी तक बिजली के निजीकरण के लिए निविदा जारी नहीं हो पाई है। परामर्शी कंपनी को मार्च के अंतिम सप्ताह में इसके लिए नामित किया गया था और 120 दिनों की मियाद तय की गई थी, परंतु यह हो नहीं सका।

    मंत्री कहते हैं कि उनका विभाग ‘उपभोक्ता देवो भव:’ की संस्कृति का पालन करता है। उपभोक्ताओं की उपेक्षा नहीं चलेगी। उपभोक्ता से अमर्यादित भाषा में बात करने वाले बस्ती के अधीक्षण अभियंता को उन्होंने इसी वजह से निलंबित कर दिया।

    मंत्री जितना हांफ रहे हैं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विभाग की नकेल उतनी ही कस रहे हैं। हाल ही में विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने पूछा कि जब पैसा, संसाधन सब है, तब यह बेहाली क्यों?

    उधर, झंडा उठाए खड़े कर्मचारी मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग कर रहे। सामने पंचायत चुनाव है। इसलिए सरकार विपक्ष को बिजली को मुद्दा बनाने का कोई अवसर देना नहीं चाहती। जाति की राजनीति में एके शर्मा के बरक्स कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही का कद लोग नापने लगे हैं। तभी तो अपने गृह क्षेत्र में मंत्री जी यह बोलने से नहीं चूकते कि अगर वे भगवान राम की तरह तीर छोड़ देंगे तो दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन भी बचा नहीं सकेगा।

    सपा की पीडीए पाठशाला में अक्षर ज्ञान

    प्रदेश में स्कूलों का विलय पहले शिक्षा सदन में हलचल मचाता है, फिर हाई कोर्ट का चक्कर लगाता है। बात यहीं नहीं थमती तो सरकार के फैसले को समझाने के लिए मंत्री संदीप सिंह आगे आते हैं। सूचना विभाग सरकार के इस निर्णय के लोकहित का विज्ञापन भी प्रकाशित करता है, पर इंटरनेट मीडिया पर पीडीए की पाठशाला के रील तैरने लगे तो नौबत मुकदमे तक की आ जाती है।

    सरकार का दावा है कि एक भी स्कूल बंद नहीं किया गया है। जिन दस हजार स्कूलों का विलय किया गया है, उनमें भी, पांच हजार में बाल वाटिका और पुस्तकालय खुलेंगे। यह बात और है कि पाठशाला के श्यामपट पर राजनीति के अक्षर बड़े-बड़े वाक्यों में बदलने लगे हैं।

    क्‍या चाहती है विपक्षी पार्टी सपा?

    कानपुर में सपा की महिला नेता रचना सिंह गौतम पर पीडीए पाठशाला के बहाने अफवाह फैलाने का मुकदमा दर्ज होता है तो सहारनपुर में सपा नेता फरहाद आलम बच्चों को ए फार अखिलेश और डी फार डिंपल पढ़ाए जाने का वीडियो पोस्ट करते हैं। दूसरे जिलों में भी मुकदमे का दौर शुरू है।

    सपा चाहती है कि विलय का मुद्दा जिंदा रहे। भाजपा का अपना तर्क है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी इसे समाजवादी ब्रेनवाश बताते हैं। यह जोड़ते हुए कि ए फार अखिलेश और डी फार डिंपल में भी सपा का परिवारवाद ही छाया है। यह सब माया है बच्चों के कोमल चेतना में राजनीतिक विषबेल रोपने की। यह तय है कि पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट ऐसे विवाद और व्यवहार के पनपने के लिए खाद का काम करेगी।