पंजाब में अफ्रीकी स्वाइन फीवर का कहर, सूअरों से फैल रही यह बीमारी कितनी खतरनाक?
अजनाला में अफ्रीकी स्वाइन फीवर के मामले सामने आने से हड़कंप मच गया है। पशुपालन विभाग के अनुसार यह बीमारी केवल सूअरों को संक्रमित करती है और मनुष्यों के लिए खतरा नहीं है। संक्रमण को रोकने के लिए सूअरों को मारकर फार्म को साफ किया जा रहा है। वहीं पंजाब सरकार ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों को रोकने के लिए फॉगिंग अभियान शुरू किया है।

डिजिटल डेस्क, अमृतसर। अजनाला में अफ्रीकी स्वाइन फीवर के कई मामले सामने आए हैं, जिसके बाद शहर में हड़कंप मच गया। एक अधिकारी ने गुरुवार को इस संबंध में बताया कि अफ्रीकी स्वाइन फीवर (एएसएफ) कोई फ्लू नहीं, बल्कि एक वायरल बीमारी है जो विशेष रूप से सूअरों को प्रभावित करती है।
सहायक उप निदेशक (पशुपालन) रविंदर सिंह कांग ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि यह फ्लू नहीं है। यह अफ्रीकी स्वाइन फीवर है और यह केवल सूअरों को संक्रमित करता है। एक फार्म में कुछ सूअर मर गए। हमने परीक्षण किए, और उनमें से कुछ पॉजिटिव थे।
इसे फैलने से रोकने के लिए, सूअरों को मार दिया जाता है और फार्म को साफ किया जाता है। यह बीमारी अन्य जानवरों या मनुष्यों में नहीं फैलती है।
'मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा नहीं यह बीमारी'
विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (WOAH) के अनुसार, अफ्रीकन स्वाइन फीवर (ASF) घरेलू और जंगली सूअरों का एक अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग है, जिसकी मृत्यु दर 100% तक पहुंच सकती है। यह मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा नहीं है, लेकिन सूअरों की आबादी और कृषि अर्थव्यवस्था पर इसका विनाशकारी प्रभाव पड़ता है।
पंजाब सरकार ने डेंगू, मलेरिया और अन्य वेक्टर जनित बीमारियों के प्रसार को रोकने के लिए अजनाला और अन्य बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में व्यापक फॉगिंग अभियान शुरू किया है।
इस पहल का उद्देश्य हाल ही में आई बाढ़ के मद्देनजर सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करना है, जिससे बीमारी के प्रकोप का खतरा बढ़ गया है।
सीएम भगवंत मान करेंगे समीक्षा
इस बीच, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि वह भारी बारिश के बाद राज्य में बाढ़ की स्थिति का आकलन करने के लिए शुक्रवार को एक समीक्षा बैठक करेंगे।
एक्स पर एक पोस्ट में, सीएम मान ने लिखा कि चर्चा निवासियों को प्रदान की जा रही चिकित्सा सुविधाओं, मुआवजे के उपायों और बाढ़ के प्रभाव को प्रबंधित करने और कम करने के ठोस कदमों पर केंद्रित होगी।
पंजाब के कई ज़िलों में भारी मानसूनी बारिश के कारण आई बाढ़ के बाद, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली के डॉक्टरों और स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों ने 6 से 9 सितंबर तक चार दिवसीय राहत अभियान चलाया और हज़ारों प्रभावित लोगों को जीवन रक्षक चिकित्सा सहायता प्रदान की।
(समाचार एजेंसी एएनआई के साथ)
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