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    क्या फिर खुलेगा करतारपुर कॉरिडोर? अकाल तख्त के जत्थेदार ने की अपील, बोले- 'हमें मत्था टेकने का मौका मिले'

    Updated: Sat, 16 Aug 2025 12:45 PM (IST)

    पहलगाम हमले के बाद बंद हुए करतारपुर कॉरिडोर को फिर से खोलने की मांग उठी है। अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गर्गज ने सरकार से कॉरिडोर को गुरु नानक देव के ज्योति जोत दिवस से पहले खोलने का आग्रह किया है ताकि श्रद्धालु पाकिस्तान स्थित दरबार साहिब गुरुद्वारे में मत्था टेक सकें।

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    अकाल तख्त के जत्थेदार ने की करतारपुर कॉरिडोर खोलने की अपील (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, अमृतसर। पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के साथ ही करतारपुर कॉरिडोर बंद कर दिया गया था। अब अकाल तख्त की ओर से इस फिर से खोलने की मांग की गई है।

    अकाल तख्त के कार्यवाहक जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गर्गज ने करतारपुर कॉरिडोर को फिर से खोलने की मांग की है ताकि श्रद्धालुओं को पाकिस्तान में मौजूद ऐतिहासिक दरबार साहिब गुरुद्वारे में मत्था टेकने की सुविधा मिलती रहे।

    22 अप्रैल को पहलगाम हमले में 26 लोगोंं की मौत हो गई थी। इस बीच भारतीय सेना ने पाकिस्तान और गुलाम जम्मू-कश्मीर में आतंकी ठिकानों को तबाह करने के लिए ऑपरेशन सिंदूर चलाया था। वहीं, 7 मई को करतारपुर कॉरिडोर बंद कर दिया गया था।

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    क्या बोले अकाली दल के जत्थेदार?

    गर्गज ने कहा कि गुरु नानक देव के 'ज्योति जोत दिवस' से पहले, करतारपुर कॉरिडोर को फिर से खोलने से संगत को पवित्र धार्मिक स्थल पर मत्था टेकने का मौका मिलेगा। जारी एक बयान में गर्गज ने कहा कि केंद्र से कॉरिडोर को फिर से खोलने के लिए त्वरित कार्रवाई करने का आह्वान किया गया।

    करतारपुर कॉरिडोर गुरु नानक देव के 550वें प्रकाश गुरुपर्व (जयंती) समारोह के दौरान खोला गया था, जिससे दोनों पक्षों के पंजाबियों को करतारपुर साहिब में फिर से मिलने का मौका मिला।

    साल 1947 में विभाजन के समय बिछड़े कई पंजाबियों को करतारपुर कॉरिडोर के माध्यम से फिर से मिलने का मौका मिला। हालांकि, दोनों देशों के बीच हालिया तनाव के कारण, कॉरिडोर बंद कर दिया गया था।

    गर्गज ने कहा कि सिख समुदाय और पंजाबी सरकार से इसे जल्द से जल्द फिर से खोलने का आग्रह कर रहे हैं। बता दें कि यह स्थान सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव का अंतिम विश्राम स्थल है। यह कॉरिडोर पंजाब के गुरदासपुर जिले में मौजूद डेरा बाबा नानक गुरुद्वारे को जोड़ता है।

    दुनिया भर में रहने वाले पंजाबियों में विभाजन का दुख आज भी बना हुआ है। 1947 में मारे गए सभी पंजाबियों की याद में, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) अकाल तख्त पर एक 'अरदास' (सिख प्रार्थना) का आयोजन कर रही है। इस वर्ष, 'अखंड पाठ साहिब' 14 अगस्त को आरंभ हुआ और इसका समापन (भोग) 16 अगस्त को होगा, जिसके बाद 1947 में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए सामूहिक प्रार्थना होगी।- कुलदीप सिंह गर्गज, अकाली दल जत्थेदार