स्नैपचैट पर भारतीय लड़की से इश्क, मोहब्बत के लिए लांघी सरहद; 3 साल सजा काटकर रिहा हुआ पाकिस्तान का अहमद
स्नैपचैट पर एक भारतीय लड़की से प्यार होने के बाद पाकिस्तान के अहमद ने सरहद पार कर भारत में प्रवेश किया जहाँ उसे गिरफ्तार कर लिया गया। तीन साल से अधिक समय जेल में बिताने के बाद उसे 67 अन्य पाकिस्तानी कैदियों के साथ रिहा कर दिया गया। रिहा हुए कैदियों में मछुआरे और नागरिक शामिल हैं जो विभिन्न अपराधों के लिए भारतीय जेलों में बंद थे।

नितिन धीमान, अमृतसर। इश्क में अंधे मोहम्मद अहमद ने न सरहद देखी और न अपना परिवार। पाकिस्तान के बहालवपुर में रहने वाले अहमद ने भारतीय युवती को हासिल करने के लिए अपना मुल्क छोड़ा।
वह अवैध तरीके से भारतीय सीमा में आया और पकड़ा गया। प्रेमिका तो नहीं मिली, पर जेल की सलाखों में उसके जीवन के तीन वर्ष छह महीने निकल गए। दरअसल, अहमद स्नैपचेट के माध्यम भारतीय युवती के संपर्क में आया था। उसने फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी और युवती ने इसे एक्सेप्ट कर लिया।
मैसेज का आदान-प्रदान हुआ और धीरे-धीरे दोनों स्नैपचेट पर ही बातें करने लगे। अहमद के अनुसार उसने युवती के समक्ष प्रेम का प्रस्ताव रखा तो उसने सहर्ष स्वीकार कर लिया। इसके बाद मैंने आव देखा न ताव सीधे पाकिस्तान एंबेंसी से वीजा लगवाने की प्रक्रिया में जुट गया, पर मेरा वीजा रद कर दिया गया।
प्यार के लिए आया भारत
प्यार हासिल करने के लिए मैंने 4 दिसंबर 2021 को पाकिस्तानी सीमा लांघकर भारतीय क्षेत्र में आ गया। यहां पकड़ा गया। दो वर्ष दो माह की सजा हुई। सजा पूरी होने के बाद 18 माह तक अलवर जेल के डिटेंशन सेंटर में रखा गया। फिर रिहाई की खबर मिली तो आंखों से आंसू आ गए।
भारत सरकार की ओर से मंगलवार को 67 पाकिस्तानी नागरिकों को रिहा कर दिया गया। मोहम्मद अहमद सहित ये सभी पाकिस्तानी अटारी सीमा के रास्ते पाकिस्तान भेज दिए गए। मोहम्मद अहमद ने बताया कि भारत में उस पर कोर्ट केस हुआ तो मैंने लड़की के बारे में बताया।
अदालती आदेश पर लड़की प्रस्तुत हुई। उसने यह स्वीकार किया कि हम एक दूसरे से प्यार करते हैं। इसके बाद वह कभी उससे मिलने नहीं आई। यह दुखद है कि उसने मुझसे संपर्क नहीं रखा। उसके प्यार की खातिर मैं अपना वतन छोड़कर आया था। आंखों में आंसू लाते हुए मोहम्मद ने कहा— हो सकता है उसकी कोई मजबूरी रही होगी।
अटारी सीमा पर पहुंचे 21 वर्षीय अली असगर भी भारतीय सीमा पर पकड़ा गया था। अलवर के अनुसार मम्मी-पापा पढ़ाई न करने पर पीटते थे। एक दिन गुस्से में आकर मैंने घर छोड़ दिया। पता नहीं कैसे बॉर्डर तक पहुंच गया और वहां पकड़ा गया।
मुझे गुजरात की जेल में पांच वर्ष तक रखा गया। अब घर जा रहा हूं। अच्छा लग रहा हूं। जब आया था तब आयु 16 वर्ष की थी। पढ़ाई तो अब होगी नहीं, कुछ काम धंधा कर परिवार का हाथ बटांउगा।
कराची का रहने वाला मोहम्मद रिजवान 2017 में अवैध तरीके से भारत में पकड़ा गया था। उसके अनुसार मैं गलती से इस पार आ गया। जब आया था तब आयु 17 वर्ष थी। आठ वर्ष की सजा काटने के बाद घर जा रहा हूं।
घर में मां-बाप, दो छोटे भाई व एक बहन है। परिवार से मिलने के लिए बेताब हूं। भारतीय जेलों से रिहा होने वाले पाकिस्तानी नागरिकों को पाकिस्तान सरकार तवज्जो नहीं देती। इसलिए सोचता हूं कि घर जाकर आखिर करूंगा क्या। यदि पाकिस्तान सरकार सहारा दे तो हम संभल जाएंगे।
अटारी सीमा पर लाए गए सभी 67 पाकिस्तानी नागरिकों की जांच के बाद उन्हें पाकिस्तान भेज दिया गया। अटारी सीमा पर तैनात प्रोटोकाल आफिसर अरुण माहल ने बताया कि भारत सरकार ने बहुत बढ़िया निर्णय लिया है। इन लोगों की आंखों में खुशी के आंसू थे।
रिहा किए गए कैदियों में 53 मछुआरे और 14 सामान्य नागरिक (सिविल कैदी) शामिल हैं, जो विभिन्न कारणों से भारतीय जेलों में बंद थे। रिहा होने के बाद इन कैदियों के चेहरों पर राहत और खुशी साफ नजर आई।
इन कैदियों में से 21 गुजरात की जेलों में बंद थे, एक राजस्थान में, 39 पोरबंदर में, एक हैदराबाद में, एक लुधियाना में और चार अमृतसर की जेल में सजा काट चुके हैं। रिहाई से पहले सभी कैदियों की इमिग्रेशन और कस्टम प्रक्रिया पूरी की गई, जिसमें उनकी पहचान, दस्तावेज और स्वास्थ्य की जांच की गई।
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