आठ दिनों तक सिख जत्थे के साथ रही महिला, फिर पाकिस्तान में कर लिया निकाह; मामले की जांच में जुटी खुफिया एजेंसी
श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर कपूरथला की एक महिला जत्थे के साथ पाकिस्तान गई और वहां निकाह कर लिया। खुफिया एजेंसियां इस मामले की जांच कर रही हैं। एसजीपीसी ने कहा कि यात्रियों की जांच का दायित्व सरकार का है। एसजीपीसी के अनुसार, महिला ने किसी रिश्तेदार से मिलने या निजी निर्णय का कोई संकेत नहीं दिया था।
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निकाह मामले की जांच में जुटी खुफिया एजेंसी। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, अमृतसर। श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर जत्थे के साथ पाकिस्तान गई जिला कपूरथला की महिला के निकाह मामले में खुफिया एजेंसियां जांच में जुट गई हैं। वहीं, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने इस मामले से किनारा कर लिया है। एसजीपीसी के सचिव प्रताप सिंह ने कहा कि कमेटी का कार्य केवल सूची तैयार करना है। यात्रियों की पृष्ठभूमि की जांच करने का दायित्व सरकार व सुरक्षा एजेंसियों का है।
प्रताप सिंह ने कहा कि यह घटना केवल एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरी कौम की छवि को ठेस पहुंचाने वाली है। एसजीपीसी के सदस्यों द्वारा पाकिस्तान जाने वाले श्रद्धालुओं की सिफारिश की जाती है। इस महिला के साथ आठ अन्य श्रद्धालुओं को जत्थे में भेजने की सिफारिश भी एक मेंबर ने की थी।
उन्होंने बताया कि जत्थे के सदस्यों के अनुसार महिला करीब आठ दिन तक जत्थे के साथ रही, लेकिन उसने न तो किसी रिश्तेदार से मिलने की बात बताई और न ही अपने किसी निजी निर्णय का कोई संकेत दिया।
यदि महिला पहले से किसी से आनलाइन संपर्क में थी या उसके इरादों को लेकर कोई आशंका थी, तो यह जानकारी सुरक्षा एजेंसियों को होनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि कई बार संदिग्ध पृष्ठभूमि वाले यात्रियों को बार्डर पार करने से पहले ही रोका जाता रहा है।
इस बार भी दर्जनभर श्रद्धालुओं को दस्तावेज पूरे न देने या अन्य कारणों से अटारी सीमा से ही लौटा दिया गया था। अगर जांच ठीक से होती तो महिला को भी समय रहते रोका जा सकता था। प्रताप सिंह ने कहा कि महिला द्वारा पाकिस्तान में शादी करने की खबर बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
जत्थे का हर सदस्य सिख कौम का प्रतिनिधि होता है और किसी भी व्यक्तिगत निर्णय का असर पूरी कौम की प्रतिष्ठा पर पड़ता है। सचिव ने सरकार से मांग की कि पाकिस्तान यात्रा से संबंधित जांच प्रणाली को और सख्त किया जाए ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति जत्थे की धार्मिक यात्रा का गलत उपयोग न कर सके।

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