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    बठिंडा में छठ पूजा की धूम, नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ महापर्व; व्रती आज करेंगे खरना और 36 घंटे का निर्जला व्रत

    Updated: Sat, 25 Oct 2025 04:20 PM (IST)

    लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है। व्रती आज खरना करेंगे और 36 घंटे का निर्जला व्रत रखेंगे। छठ पूजा बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में धूमधाम से मनाई जाती है। यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया की आराधना का है, जिसमें संतान की रक्षा और दीर्घायु की कामना की जाती है। नहाय-खाय के दिन शाकाहारी भोजन ग्रहण किया जाता है।

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    नहर किनारे लगाए जा रहे हैं टैंट, अस्थाई घाट भी किए जा रहे है तैयार (फाइल फोटो)

    संवाद सहयोगी, बठिंडा। शनिवार को नहाय-खाय के साथ छठ पूजा की शुरूआत हो चुकी है, जबकि 26 अक्टूबर रविवार को खरना के साथ व्रती 36 घंटे के उपवास की शुरुआत करेंगे। 27 अक्टूबर सोमवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे और 28 अक्टूबर मंगलवार को सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ पर्व का समापन होगा।

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    इसको लेकर सभी तैयारियां चल रही हैं और बाजारों में भी रौनक दिखाई दे रही है। लोगों की तरफ से बाजारों में छठ का सामान खरीदा जा रहा है। छठ पूजा की विशेष धार्मिक मान्यता होती है। इस कठिन व्रत को महिलाएं घर की खुशहाली और संतान की सलामती के लिए रखती हैं। इसे सूर्य षष्ठी, छठ, छठी और डाला छठ जैसे नामों से भी जाना जाता है।

    छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है। छठ पूजा को लेकर कई जगह अस्थाई घाट भी बनाया जा रहा हैं और पावर हाउस रोड सहित अन्य जगहों पर दुकानें सजाई जा रही हैं।

    पहले दिन नहाय खाय के साथ ही व्रत की शुरुआत होती है। इस दिन व्रती स्नान कर शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं। नहाय-खाय वाले दिन से ही छठ का प्रसाद बनाने की तैयारी शुरू कर दी जाती है। व्रती के साथ घर के सदस्य मिलकर इसकी तैयारी करते हैं।

    छठ का प्रसाद बनाने के लिए चूल्हा और बर्तन बिल्कुल अलग होता है। इसके अलावा व्रती और परिवार के सदस्यों को लहसुन, प्याज इत्यादि खाना वर्जित होता है। नहाय खाय के साथ ही निर्जला व्रत भी शुरू हो जाता है।

    छठ व्रत के संबंध में अनेक कथाएं प्रचलित हैं। पहली कथा के अनुसार मगध के राजा बिंबसार ने छठ व्रत कर कुष्ठ रोग से मुक्ति पा ली। दूसरी कथा के अनुसार द्रौपदी व युधिष्ठिर ने यह व्रत किया तो पांडवों को खोया हुआ राज्य पुन: मिल गया।

    तृतीय कथा के अनुसार सुकन्या ने विधि पूर्वक इस व्रत को किया तो उनके पति की आंखों को रोशनी मिल गई और उन्होंने अपने जीवन की शेष आयु को संपन्नता में व्यतीत किया। चतुर्थ कथा के अनुसार इस व्रत को करने से राजा प्रियव्रत का मृत पुत्र जीवित हो गया।

    छठ पूजा को लेकर स्थानीय सरहिंद नहर के पास टैंट लगाए गए जा रहे हैं और अलग अलग पूजा कमेटियों की तरफ से पूरी तैयारियां की जा रही हैं। इसके अलावा बठिंडा के धोबियाना रोड के पास, लाल सिंह नगर आदि जगहों पर अस्थाई घाट बनाए जा रहे हैं।

    घाटों की सफाई कर श्रद्धालुओं ने वेदियों का निर्माण शुरू कर दिया है। वेदी निर्माण के लिए अब दो दिन का ही समय बचा है। व्रतियों ने पानी के किनारे अपने लिए जगह चिह्नित कर ली है। अनेक जगहों पर छठ माता की मूर्तियां भी स्थापित की जाएंगी।