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    पीयू में एबीवीपी की जीत से पंजाब में जड़ें मजबूत करेगी भाजपा, गौरव बनेंगे यूथ आइकन

    Updated: Thu, 04 Sep 2025 01:32 PM (IST)

    पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनावों में एबीवीपी ने जीत हासिल की है जो बीजेपी के लिए एक बड़ी सफलता है। कांग्रेस की एनएसयूआई और आप की एएसएपी को हार का सामना करना पड़ा। इस जीत को पंजाब में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी की रणनीति की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। कांग्रेस में गुटबाजी भी हार का एक कारण रही।

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    पीयू के नए अध्यक्ष गौरव वीर सोहल को पंजाब के लिए भी यूथ आइकन के रूप में प्रयोग करेंगी भाजपा।

    मोहित पांडेय, चंडीगढ़। पंजाब यूनिवर्सिटी की अलग सियासी मझधार ने इस बार चुनावी नतीजे देकर सबको चौंका दिया है। पीयू का छात्र संघ का चुनाव पंजाब की सियासी पिच के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। पीयू जनादेश ने इस बार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की अध्यक्ष पद पर जीत की मुहर लगाकर नए मायने दिए हैं। इसी के सहारे अब भाजपा पंजाब में अपनी जड़ें मजबूत करेगी। पीयू में एबीवीपी की जीत ने पंजाब में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव के भाजपा के लिए रोडमैप की नींव का काम किया है। भाजपा पीयू के नए अध्यक्ष गौरव वीर सोहल केवल पीयू का चेहरा नहीं, बल्कि पंजाब के लिए भी यूथ आइकन के रूप में प्रयोग करेंगी।

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    इस बार के पीयू के छात्र संघ के चुनावी दंगल में भाजपा की एबीवीपी ने कांग्रेस की एनएसयूआई और आप की एसएसपी को धूल चटाई। वहीं, अकाली दल की सोई चुनाव में वर्चस्व की लड़ाई लड़ने में नाकाम नजर आई। यह चुनाव छात्र संगठनों के साथ राजनीतिक पार्टियों के सियासी भविष्य को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

    पंजाब में किसान आंदोलन के दौरान शिरोमणि अकाली दल ने भाजपा से गठबंधन तोड़ दरकिनार कर लिया था। दोनों पार्टियों को अलग होने के बाद एक तरफ भाजपा पंजाब की तरह पीयू में अपनी जड़ें मजबूूत करती दिख रही है तो दूसरी ओर पीयू की सियासी बयार में अकाली दल की सोई पंजाब की तरह पीयू में स्टूडेंट्स का साथ नहीं ले पाई।

    नाम बदलने के बाद भी पार नहीं लगी आप की नैय्या

    इस बार के चुनावी रण में आम आदमी पार्टी (आप) का छात्र संगठन का नाम बदल कर मैदान में उतरने के बाद भी कुछ खास कमाल दिखाने में नाकाम नजर आया। बीते वर्ष आप का छात्र संगठन सीवाईएसएस इस बार एएसएपी (एसोसिएशन आफ स्टूडेंट्स फार आल्टरनेटिव पालिटिक्स) के नाम से मैदान में उतरा था। आप ने आनंदपुर लोकसभा से सांसद मलविंदर सिंह कंग को पीयू छात्रसंघ चुनाव का इंचार्ज बनाया था। लेकिन पीयू छात्र परिषद के वर्ष 2015 में अध्यक्ष पद कंग पीयू में अपना किंग बनाने में नाकाम नजर आए। कंग कुछ समय तक भाजपा में रहे थे, लेकिन भाजपा की छात्र संघ चुनाव को लेकर बनाई गई रणनिती को भेद नहीं पाएं।

    कांग्रेस में गुटबाजी के कारण दूसरी बार खिसकी जीत

    गुटबाजी के शिकार कांग्रेस की एनएसयूआई को बीते वर्ष की तरह इस बार भी हार का सामना करना पड़ा। इस बार की हार की वजह टिकट बंटवारे में मनमानी, प्रभारी दिलीप चौधरी की निष्क्रियता और छात्रों तक न पहुंच पाना बताई जा रही है। सूत्रों के अनुसार मेहनत करने वाले छात्रों को टिकट नहीं मिला, जबकि नए शामिल हुए छात्रों को तुरंत टिकट थमा दिया गया। इसके साथ बीते वर्ष अनुराग दलाल को टिकट न देकर राहुल नैन को टिकट देने के कारण एनएसयूआई का हार का सामना करना पड़ा था। वहीं, निर्दलीय अनुराग पीयू के सिकंदर बन गए थे।

    एबीवीपी की जीत का भाजपा को मिलेगा पंजाब में फायदा

    पंजाब भाजपा के प्रभारी सुनील जाखड़ का कहना है कि पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनाव में एबीवीपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। 48 साल बाद संगठन ने अध्यक्ष पद अपने नाम किया। गौरववीर सोहल ने अध्यक्ष पद पर विजय हासिल कर इतिहास रच दिया। पूरी एबीवीपी टीम को इस शानदार सफलता पर बधाई। एबीवीपी की इस जीत का भाजपा को पंजाब में फायदा मिलेगा।

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