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    'अमृतपाल की पैरोल पर सात दिन में ले फैसला', पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट का पंजाब सरकार को आदेश

    Updated: Fri, 21 Nov 2025 04:02 PM (IST)

    पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार को अमृतपाल सिंह की पैरोल याचिका पर सात दिनों के भीतर फैसला लेने का आदेश दिया है। यह आदेश अमृतपाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया गया, जिसमें पैरोल देने में देरी का आरोप लगाया गया था। अदालत ने सरकार से तेजी से विचार करने और कानून के अनुसार निर्णय लेने को कहा है।

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     पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट का पंजाब सरकार को आदेश (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार के गृह सचिव को निर्देश दिया है कि एनएसए के तहत असम के डिब्रूगढ़ जेल में बंद खडूर साहिब के सांसद अमृतपाल सिंह की संसद के शीतकालीन सत्र में शामिल होने के लिए दायर पैरोल अर्जी पर सात दिनों के भीतर फैसला किया जाए। अदालत ने कहा कि संभव हो तो यह निर्णय सत्र शुरू होने से पहले ही ले लिया जाए।

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    अमृतपाल सिंह ने 1 दिसंबर से 19 दिसंबर तक चलने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में शामिल होने की अनुमति मांगी है। अमृतपाल पर “खालिस्तानी अलगाववाद को बढ़ावा देने” और राज्य की सुरक्षा एवं सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा बनने के आरोप हैं। चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी ने सुनवाई के दौरान अमृतपाल की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट आर एस बैंस से पूछा कि वह संसद में किन मुद्दों पर बोलेंगे या “क्या वे सिर्फ बैठे रहेंगे?”

    बैन्स ने दिया ये जवाब

    बैन्स ने कहा कि वह संभव बाढ़ राहत से जुड़े मुद्दे उठाएंगे क्योंकि उसके क्षेत्र के लगभग एक हजार गांव बाढ़ से पीड़ित हुए थे। सुनवाई के दौरान एएसजी सत्य पाल जैन ने केंद्र सरकार की ओर से अदालत को बताया कि सांसद को संसद में उपस्थित होने की अनुमति केवल राज्य की सक्षम प्राधिकरण ही दे सकती है।

    अमृतपाल के वकील ने कोर्ट को बताया कि 13 नवंबर को केंद्रीय गृह मंत्रालय, पंजाब सरकार और अमृतसर के जिलाधिकारी को भी मांग पत्र पत्र भेजे थे, जिन पर निर्णय लेने का आग्रह हाईकोर्ट से किया गया है।

    पंजाब सरकार की ओर से दलील दी कि यह केवल एक मांग है, कोई औपचारिक आवेदन नहीं। इस पर अदालत ने कहा कि इस मांग को ही आवेदन मानकर विचार किया जाए। अमृतपाल सिंह फिलहाल एनएसए के तहत डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं।

    धारा 15 के तहत मांगी पैरोल

    उन्होंने एनएसए की धारा 15 के तहत पैरोल मांगी है, जो असाधारण परिस्थितियों में अस्थायी रिहाई का अधिकार देती है। सरकार चाहे तो तय अवधि के लिए शर्तों के साथ या बिना शर्त पैरोल दे सकती है और इसे कभी भी वापस ले सकती है। अमृतपाल का कहना है कि वह अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों की आवाज संसद में उठाना चाहते हैं और उनके मुद्दों को लोकतांत्रिक भा

    वना में रखते हुए पेश करना चाहते हैं।इससे पहले उन्हें 5 जुलाई 2024 को चार दिन की पैरोल मिली थी, जिसके दौरान उन्हें संसद ले जाया गया था और उन्होंने सांसद पद की शपथ ली थी। याचिका में यह भी बताया गया है कि उनके सह-हिरासत में बंद कुलवंत सिंह धालीवाल कुलवंत सिंह राओके जो एनएसए के तहत डिब्रूगढ़ जेल में ही बंद हैं को भी अपने चाचा के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सात दिन की पैरोल दी गई थी।