BBMB सचिव की नियुक्ति पर विवाद, पंजाब के इंजीनियरों ने हाईकोर्ट में दायर की याचिका; मनमाने ढंग से नियुक्त करने का आरोप
भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड में सचिव पद की नियुक्ति पर विवाद हो गया है। पंजाब सरकार के अभियंताओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियुक्ति मानदंडों को चुनौती दी है उन्हें मनमाना बताया है। हाईकोर्ट ने नियुक्ति पर रोक लगा दी है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि आवेदन पत्र हरियाणा के एक अधिकारी को लाभ पहुंचाने के लिए तैयार किया गया था जिससे पंजाब के योग्य अधिकारी बाहर हो गए।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) में सचिव पद की नियुक्ति पर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। पंजाब सरकार के तीन वरिष्ठ अधीक्षण अभियंताओं ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर बीबीएमबी के चेयरमैन द्वारा जारी किए गए नियुक्ति मानदंडों पर गंभीर सवाल उठाए हैं और उन्हें ‘मनमाना’ और एक व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने वाला बताया है।
हाईकोर्ट के जस्टिस संदीप मोदगिल ने याचिका पर सुनवाई करते हुए बीबीएमबी को नोटिस जारी कर अगले आदेश तक बीबीएमबी सचिव पद की नियुक्ति पर रोक लगाने का आदेश जारी किया। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि 25 जुलाई, 2025 को बीबीएमबी द्वारा जारी किया गया।
आवेदन पत्र विशेष रूप से हरियाणा कैडर के कार्यकारी अभियंता सुरिंदर सिंह मित्तल को सचिव नियुक्त करने के लिए तैयार किया गया था। इस आवेदन में कुछ ऐसी शर्तें शामिल की गई थीं जिन्होंने पंजाब के योग्य अधिकारियों को इस पद की दौड़ से बाहर कर दिया।
इन शर्तों में बीबीएमबी में कार्यरत होने और 20 वर्ष का न्यूनतम अनुभव शामिल था जो पंजाब के कई वरिष्ठ व अनुभवी इंजीनियरों के लिए बाधा बन गया। याचिका में कहा गया है कि बीबीएमबी के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने इन मानदंडों व चयन समिति का गठन बोर्ड की मंजूरी के बिना किया। यह कार्रवाई बीबीएमबी नियम, 1974 व पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 का घोर उल्लंघन है।
बीबीएमबी एक अंतर-राज्यीय निकाय है, और इसके फैसलों में पंजाब व हरियाणा दोनों राज्यों की सहमति अनिवार्य है पर इस मामले में इन नियमों की अनदेखी की गई है। याचिकाकर्ताओं ने चयन समिति की संरचना पर भी कड़ी आपत्ति जताई है। इस समिति में हरियाणा कैडर के दो और पंजाब कैडर का केवल एक सदस्य है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह असंतुलित संरचना चयन प्रक्रिया में पंजाब के प्रति स्पष्ट पूर्वाग्रह को दर्शाती है। पंजाब के अधिकारियों का तर्क है कि जब यह पद पंजाब के लिए आरक्षित है, तो चयन समिति में हरियाणा के सदस्यों का बहुमत होना अनुचित है।
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