पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, वकील सुरक्षा मामले की जांच CBI को सौंपी
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने वकील अंकुश धनेरवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुरक्षा जांच का आदेश दिया है। अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई को जांच सौंपने का फैसला किया। वकील ने पूर्व सरपंच और उसके बेटे पर फीस वापसी के लिए दबाव बनाने और धमकी देने का आरोप लगाया है। वहीं आरोपियों ने वकील पर रिश्वत मांगने के गंभीर आरोप लगाए हैं।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने वकील अंकुश धनेरवाल द्वारा दायर जीवन एवं स्वतंत्रता की सुरक्षा संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है। अदालत ने न केवल संबंधित पुलिस अधिकारियों को सुरक्षा की स्थिति की जांच करने का निर्देश दिया, बल्कि पूरे मामले को गंभीर आरोपों के चलते केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने का निर्णय भी लिया।
वकील अंकुश धनेरवाल ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने वर्ष 2022 में गांव मइदेवास, जिला संगरूर के पूर्व सरपंच व उनके बेटे को पंचायत चुनाव से जुड़े मामले में कानूनी सेवाएं दी थीं लेकिन चुनाव परिणाम प्रतिकूल आने पर दोनों ने फीस की वापसी की मांग की।
आरोप है कि फीस लौटाने से इनकार करने पर वे कई बार हथियारों के साथ उनके घर पर पहुंचे, यहां तक कि हाईकोर्ट परिसर तथा बार लाइब्रेरी में भी धमकियां दीं। धनेरवाल ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में 2 जून व 23 जुलाई 2025 को शिकायतें दीं और आनलाइन शिकायत भी दर्ज कराई लेकिन उचित कार्रवाई न होने पर उन्हें अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
पूर्व सरपंच व उनके बेटे ने अदालत में अपना पक्ष रखते हुए वकील पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि धनेरवाल ने उनसे कुल मिलाकर लाखों रुपये वसूले, जिनमें नकद भुगतान और गूगल पे के जरिए लेन-देन शामिल है। इतना ही नहीं, उन्होंने आरोप लगाया कि वकील ने कहा था कि अदालत से अनुकूल आदेश लाने के लिए सरकारी वकील और जज को पैसे देने होंगे।
जस्टिस संदीप मौदगिल ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह मामला केवल वकील और मुवक्किल के बीच फीस विवाद तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें न्यायपालिका की ईमानदारी व निष्पक्षता पर भी प्रश्न उठ रहे हैं। अदालत ने यह भी ध्यान दिलाया कि हाल ही में चंडीगढ़ में ही एक अन्य वकील के खिलाफ रिश्वत लेने के मामले में सीबीआई ने एफआइआर दर्ज की है। गंभीर परिस्थितियों को देखते हुए अदालत ने पूरे मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी।
कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह शिकायतों पर तत्काल संज्ञान ले, सभी पहलुओं की गहन जांच करे और निर्धारित समयसीमा में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करे। साथ ही, संबंधित सभी अधिकारी जांच एजेंसी को पूरा सहयोग प्रदान करेंगे।
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