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    Punjab Politics: पंजाब में संगठन को मजबूत करने में जुटी कांग्रेस, चार वर्किंग कमेटी नीति पर विचार कर रही पार्टी

    Updated: Fri, 01 Aug 2025 11:26 AM (IST)

    लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस संगठन को मजबूत करने में जुटी है। पंजाब कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी का गठन 2016 से नहीं हुआ है। 2027 विधान सभा चुनाव को देखते हुए पार्टी फिर से कार्यकारिणी गठित करने पर विचार कर रही है। कांग्रेस अध्यक्ष के साथ चार कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति पर विचार हो रहा है।

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    कांग्रेस प्रदेश संगठन का कर करेगी गठन, 4 कार्यकारी प्रधान की नीति फिर अपना सकती है

    कैलाश नाथ, चंडीगढ़। लोक सभा चुनाव में मिली बार के बाद कांग्रेस ने अपने संगठन पर फोकस करना शुरू कर दिया है।

    ऑल इंडिया कांग्रेस इन दिनों बूथ स्तर पर कमेटियां बनाने का जोर दे रही है। वहीं, हैरानी जनक बात यह हैं कि पंजाब कांग्रेस के प्रदेश स्तरीय कमेटी का 2016 के बाद से गठन ही नहीं किया गया। अंतिम बार कैप्टन अमरिंदर सिंह की प्रधानगी में प्रदेश कार्यकारिणी का गठन किया गया था।

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    उसके बाद से तीन प्रधान आए लेकिन प्रदेश कार्यकारिणी के गठन की फाइल हर बार दिल्ली दफ्तर में ही गुम होकर रह गई। वहीं, 2027 के विधान सभा चुनाव को देखते हुए पार्टी में एक बार फिर प्रदेश कार्यकारिणी के गठन की सरगर्मी शुरू हो गई है। प्रदेश प्रभारी भूपेश बघेल प्रदेश कार्यकारिणी के गठन को लेकर खासे सक्रिय भी नजर आ रहे हैं।

    माना जा रहा है कि आने वाले विधान सभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस प्रदेश प्रधान के साथ 4 वर्किंग प्रधान की नीति पर विचार कर रही है।

    2021 में जब कांग्रेस ने नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश प्रधान की जिम्मेदारी दी थी तब पार्टी ने यह नीति अपनाई थी और हरेक वर्ग से एक कार्यकारी प्रधान लगाया गया था। उस दौरान ओबीसी वर्ग से संगत सिंह गिलजियां, कुलजीत नागरा जट सिख, सुखवंदर सिंह डैनी एससी और पवन गोयल को हिंदू समुदाय से कार्यकारी प्रधान बनाया गया था।

    हालांकि, कांग्रेस का यह प्रयोग कारगर साबित नहीं हुआ क्योंकि विधान सभा चुनाव में सिद्धू समेत डैनी, नागरा और गिलजियां चुनाव लड़ रहे थे। जिसके कारण कार्यकारी प्रधान बनाने का प्रयोग सफल नहीं हो पाया। विधान सभा चुनाव के बाद जब पार्टी ने अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग को जिम्मेदारी सौंपी तो उनके साथ 9 सद्स्यों की टीम का गठन किया।

    इसमें से कार्यकारी प्रधान भारत भूषण आशु, परगट सिंह और कुशलदीप सिंह किक्की ढिल्लो ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। जबकि सुंदर शाम अरोड़ा पार्टी छोड़ गए थे। वर्तमान में प्रदेश कार्यकारिणी में वड़िंग समेत मात्र 5 सदस्य ही रह गए हैं।

    वहीं, पार्टी हाईकमान की चिंता इस बात को लेकर भी हैं कि पंजाब में लगातार गुटबाजी बढ़ती जा रही है। राजा वड़िंग संगठन में सक्रिय तो हैं लेकिन वह गुटबाजी को रोक पाने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं।

    ऐसे में कांग्रेस प्रदेश कार्यकारिणी के गठन के साथ-साथ पुन: चार कार्यकारी प्रधान के पुराने फार्मूले पर भी विचार कर रही है। हालांकि माना जा रहा हैं कि हाईकमान के लिए यह फैसला लेना आसान नहीं होने वाला हैं।

    क्योंकि आने वाले विधान सभा चुनाव को देखते हुए कई नेता वड़िंग को हटाने की मांग भी कर रहे हैं। क्योंकि उनका कार्यकाल तीन साल से अधिक हो चुका है और वह लुधियाना से सांसद भी है। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस की पहली चिंता गुटबाजी को रोकने की है।

    यही कारण हैं कि पिछले दिनों प्रदेश प्रभारी ने दिल्ली में पार्टी के कई नेताओं के साथ बैठक भी की। जिसके परिणाम जल्द ही सामने आने वाले हैं।