मोहाली में 3500 एकड़ जमीन अधिगृहीत करने की योजना पर काम शुरू, जानिए पंजाब सरकार की इस स्कीम से कैसे होगा फायदा
पंजाब सरकार ने खजाने को भरने के लिए मोहाली में 3500 एकड़ भूमि अधिग्रहण की योजना बनाई है। यह जमीन एयरपोर्ट रोड पर एट्रोपोलिसिस में छह नए ब्लॉक बनाने के लिए ली जाएगी। गमाडा ने सोशल इम्पेक्टर एंड एन्वायरमेंट स्टडी के लिए फाइल भेजी है। सरकार भूमि अधिग्रहण एक्ट के तहत भूमि मालिकों से आपत्तियां मांगेगी। भूमि अधिग्रहण के बाद सरकार किसानों को मुआवजा देगी।

इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। एक बार फिर से सरकार ने हाउसिंग विभाग की ओर देखना शुरू कर दिया है। एक महीना पूर्व 11 अगस्त को सरकार ने किसानों, भूमि मालिकों और विरोधी पार्टियों के विरोध में जिस लैंड पूलिंग पॉलिसी को वापिस लिया था, अब उसे दरकिनार करते हुए सरकार भूमि अधिग्रहण के तहत सरकार ने पंजाब की ''सबसे ज्यादा दूध देने वाली गाय'' यानी मोहाली की ओर देखना शुरू कर दिया है।
जहां एयरपोर्ट रोड पर एट्रोपाेलिसिस में छह नए ब्लाक स्थापित करने के लिए 3500 एकड़ जमीन अधिगृहीत करने की योजना पर काम करना शुरू कर दिया है। हालांकि इस संबंधी अभी सरकार के स्तर पर कोई फैसला होने की किसी अधिकारी ने पुष्टि नहीं की है लेकिन हाउसिंग विभाग के सूत्रों का कहना है कि ग्रेटर मोहाली एरिया डेवलपमेंट अथारिटी (गमाडा) ने इन ब्लाकों के लिए सोशल इम्पेक्टर एंड एन्वायरमेंट स्टडी करवाने के लिए सरकार को फाइल भेज दी है। मंजूरी मिलते ही इस पर काम शुरू हो जाएगा।
सरकार के उच्च पदस्थ अधिकारी ने बताया कि सोशल इम्पेक्टर एंड एन्वायरमेंट स्टडी करवाने के लिए तीन महीने का समय लग सकता है और ऐसा करना भूमि अधिग्रहण एक्ट 2013 में अनिवार्य है जोकि लैंड पूलिंग पॉलिसी में नहीं किया गया था। इस काम के लिए राज्य की विभिन्न यूनिवर्सिटियों को अधिकृत किया हुआ है। यह स्टडी करवाने की मंजूरी मिलते ही सरकार किसी एक यूनिवर्सिटी को यह काम सौंप देगी।
यह काम पूरा होने के बाद सरकार इस जमीन को अधिगृहीत करने के लिए भूमि अधिग्रहण एक्ट के अधीन नोटिस जारी करके भूमि मालिकों से ऐतराज मांगेगी । इस योजना में जो सबसे बड़ी दिक्कत आ सकती है वह यह कि क्या यह काम दिसंबर 2026 से पहले पूरा हो पाएगा?
पंजाब में फरवरी 2027 में विधानसभा के आम चुनाव होने हैं। भूमि अधिग्रहण के तहत ली जाने वाली जमीन ऐतराजों का काम पूरा होने के बाद सरकार भूमि मालिकों को दो विकल्प देगी जिसमें पहला यह कि सरकार किसानों को यह जमीन लैंड पूलिंग में लेगी ताकि सरकार को भूमि अधिग्रहण करने के लिए ज्यादा पैसा खर्च न करना पड़े। दूसरा, सरकार प्रति एकड़ एक मुआवजा भी तय कर सकती है। यह पॉलिसी लगभग वैसी है जैसी अकाली-भाजपा राज के समय में भूमि अधिग्रहण के लिए नीति अपनाई गई थी।
एक पूर्व ब्यूरोक्रेट का कहना था कि लैंड पूलिंग से सरकार और भूमि मालिकों दोनों को लाभ होता है। उन्होंने बताया कि यह 3500 एकड़ जमीन अधिगृहीत करने में सरकार कोई ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी क्योंकि सरकार ने पहले ही इस जमीन की खरीदो फराेख्त पर पाबंदी लगाई हुई है और केवल गमाडा ही इसे अधिगृहीत कर सकता है।
काबिले गौर है कि एट्रोपोलिसिस में ए, बी, सी, डी के लिए जमीन पहले ही अधिगृहीत की जा चुकी है जिसमें से ए ब्लाक अमरूद घोटाले के कारण पहले से ही लटका हुआ है। इसका सारा रिकार्ड विजिलेंस के पास है।
बी, सी और डी ब्लॉक पहले ही विकसित किए जा चुके हैं।सरकार की योजना ई, एफ, जी, एच, आई और जे ब्लॉक विकसित करने की है। ब्लॉक ए, बी, सी और डी में लैंड पूलिंग के तहत 1700 एकड़ ज़मीन पहले ही अधिगृहित की जा चुकी है। प्लॉट आवंटियों को गमाडा को केवल किश्तों में भुगतान करना होगा। अगर सब कुछ ठीक रहा तो इससे सरकार को 5,000 करोड़ रुपये की कमाई हो सकती है।
दिलचस्प बात यह है कि सरकार ने पिछले महीने ही लैंड पूलिंग पॉलिसी को वापिस लिया था जिसके तहत 60 हजार एकड़ जमीन अधिगृहीत की जानी थी। अकेले लुधियाना से 25,000 एकड़ से जमीन का अधिग्रहण किया जाना था।
अब नई पॉलिसी में अन्य शहरों के लिए कौन सी वैकल्पिक योजना तैयार की जाएगी इस बारे में कोई भी अधिकारी बोलने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि यह राजनीतिक फैसले हैं, जब हो जाएंगे तभी पता चलेगा।
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