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    चंडीगढ़ में प्रोटोकाल तोड़ टाॅवर ऑफ शैडो के पास फोटो खिंचवाने पहुंचे थे मोदी और ओलांद, फिर भी लोग अपने शहर से अनजान

    Updated: Mon, 06 Oct 2025 02:18 PM (IST)

    चंडीगढ़ के कैपिटल कॉम्प्लेक्स जो एक विश्व धरोहर स्थल है को देखने हर साल हज़ारों पर्यटक आते हैं। लेकिन हैरान करने वाली बात है कि यहां के कई निवासी ही इसकी खूबसूरती से अनजान हैं। चंडीगढ़ सिटीजनशिप फाउंडेशन ने हेरिटेज वॉक-कनेक्ट टू कैपिटल का आयोजन किया जिसमें दीपिका गांधी ने हाई कोर्ट विधानसभा ओपन हैंड मान्यूमेंट और टावर ऑफ शैडो के बारे में जानकारी दी।

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    वर्ष 2016 की है। जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांस के तत्कालीन प्रेसिडेंट ओलांद कैपिटल काॅम्प्लेक्स देखने पहुंचे थे।

    बलवान करिवाल, चंडीगढ़। सिटी ब्यूटीफुल के बाशिदों के लिए सात अक्टूबर खास तारीख है, क्योंकि इस दिन चंडीगढ़ का स्थापना दिवस है। इस शहर के खुलेपन, ग्रीनरी, स्वच्छ वातावरण के साथ-साथ ली कार्बूजिए की गढ़ी वर्ल्ड हेरिटेज साइट कैपिटल काॅम्प्लेक्स के चर्चे दुनियाभर में हैं। वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांस के तत्कालीन प्रेसिडेंट ओलांद कैपिटल काॅम्प्लेक्स देखने पहुंचे थे। तब दोनों ने प्रोटोकाल तोड़ चंडीगढ़ की खास पहचान टाॅवर ऑफ शैडो के पास फोटो खिंचवाई थी। 

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    चंडीगढ़ की वर्ल्ड हेरिटेज साइट कैपिटल काॅम्प्लेक्स को देश-विदेश से हजारों पर्यटक प्रत्येक वर्ष देखने आते हैं, लेकिन इसी शहर के जन्मे, पले बढ़े हजारों लोग अनजान हैं। 40 वर्ष से अधिक बिताने के बाद भी अपने शहर में बेगाने हैं। जिस वर्ल्ड हेरिटेज साइट कैपिटल कॉम्प्लेक्स को देखने फ्रांस, जर्मनी, स्विटजरलैंड, अमेरिका जैसे देशों से सैकड़ों लोग आते हैं, उसकी जानकारी यहां के बहुत से लोगों को नहीं है।

    हेरिटेज साइट कैपिटल काॅम्प्लेक्स की विशेष हेरिटेज वॉक पर आए लोगों ने खुद यह बात कही। चंडीगढ़ के क्रिएटर ली कार्बूजिए की जयंती और चंडीगढ़ के स्थापना के अवसर पर चंडीगढ़ सिटीजनशिप फाउंडेशन ने हेरिटेज वॉक-कनेक्ट टू कैपिटल का आयोजन किया। इसमें हाई कोर्ट, विधानसभा, ओपन हैंड माॅन्यूमेंट, टाॅवर ऑफ शैडो और शहर की सबसे ऊंची बिल्डिंग सेक्रेटेरिएट को कवर किया गया। वॉक करते हुए सिटीजन जब टावर ऑफ शैडो पहुंचे तो उसके स्ट्रक्चर को देख सब हैरान रह गए। वॉक कोआर्डिनेटर दीपिका गांधी ने बताया कि यह टावर ऑफ शैडो सूरज की दिशा बताने के साथ अपने अनूठे स्ट्रक्चर की वजह से खास पहचान रखता है। 

    विधानसभा की भव्यता देख लोग अचंभित रह गए। उन्होंने कहा कि आज तक विधानसभा सत्र के दौरान टीवी पर ही इन्हें देखते रहे। लाइव पहली बार देखा। इसके बाद शहर की सबसे ऊंची बिल्डिंग पंजाब-हरियाणा सेक्रेटेरिएट सभी पहुंचे। इस बिल्डिंग के टाॅप पर बने कैफेटेरिया पर रिफ्रेशमेंट का आनंद शहर को इतनी ऊंचाई से निहारने और सेल्फी लेने के साथ यह वॉक संपन्न हुई। वॉक के अनुभव से खुश लोगों ने कहा कि अगली बार वह अपने खास लोगों को यह अनुभव जरूर कराएंगे।

    ओपन हैंड माॅन्यूमेंट को लोग केवल एक प्रतीक समझते थे

    दीपिका गांधी ने कहा कि हेरिटेज वॉक-कनेक्ट टू कैपिटल का उद्देश्य सार्थक रहा। वॉक में शामिल बहुत से लोग ऐसे थे जो यहीं के पले बढ़े वर्षों से यहां रह रहे लेकिन उन्हें हेरिटेज साइट कैपिटल काॅम्प्लेक्स की जानकारी नहीं थी। कई लोग ऐसे थे जिन्होंने कहा कि ओपन हैंड माॅन्यूमेंट को वह केवल एक प्रतीक चिह्न समझते थे। उन्होंने पहली बार इस माॅन्यूमेंट को काॅम्प्लेक्स आकर देखा। 

    हेरिटेज वॉक में शामिल हुए नागरिक

    बूंदाबांदी और ठंडी हवाओं के सुहावने मौसम में इस वॉक की शुरुआत टूरिस्ट इंफाॅर्मेशन सेंटर से हुई। इस वॉक में आर्किटेक्चर वर्क से जुड़े स्टूडेंट, रिसर्चर या टूरिस्ट के बजाय शहर को नागरिक शामिल हुए। पंजाब की पहली महिला चीफ सेक्रेटरी रही विनी महाजन, चंडीगढ़ सिटीजनशिप फाउंडेशन के प्रेसिडेंट रि. कर्नल जीएस चड्ढा, आम्रपाली, राजीव तुली से लेकर और युवा सीनियर सिटीजन और बच्चे भी वॉक का हिस्सा बने।

    तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के आग्रह पर चंडीगढ़ नाम पड़ा था

    सात अक्तूबर 1953 को पंजाब को कैपिटल सिटी मिलने जा रही थी। उद्घाटन के लिए आए देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के आग्रह पर चंडी मंदिर के पुरोहित से शहर के नामकरण का आग्रह किया तो चंडीगढ़ पर सहमति बनी। हालांकि, चंडीगढ़ की आधिकारिक तौर पर स्थापना 1 नवंबर, 1966 को हुई थी। उस समय के जाने-माने आर्किटेक्ट ली कार्बूजिए ने चंडीगढ़ का डिजाइन इस तरह से तैयार किया कि विश्व के नक्शे पर छा गया। ली कार्बूजिए का साथ उनके चचरे भाई व आर्किटेक्ट पियरे जेनरे ने भी साथ दिया।