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    दहेज मामले में सास और दो ननदों के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद, हाईकोर्ट ने कहा-व्यक्तिगत प्रतिशोध के लिए कानून का दुरुपयोग न हो

    Updated: Thu, 28 Aug 2025 07:42 PM (IST)

    पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में सास और दो ननदों के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद कर दी। दहेज और क्रूरता के आरोपों के तहत मामला दर्ज हुआ था। कोर्ट ने पति के खिलाफ कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया क्योंकि उसने जमानत शर्तों का उल्लंघन किया था। न्यायालय ने कहा कि कानून का दुरुपयोग व्यक्तिगत प्रतिशोध के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

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    हाईकोर्ट ने कहा कि दहेज रोकथाम के लिए बने कानून का दुरुपयोग व्यक्तिगत प्रतिशोध के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़।  पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में एक महिला की सास और दो ननदों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद कर दिया। यह एफआईआर दहेज, आपराधिक विश्वासघात और पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता के आरोपों के तहत दर्ज की गई थी। कोर्ट ने इस मामले को कानून की प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग करार देते हुए इसे बदले की भावना से प्रेरित बताया।

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    कोर्ट ने पति के खिलाफ कार्यवाही को रद करने से इन्कार कर दिया, क्योंकि उसने अग्रिम जमानत की शर्तों का दुरुपयोग किया था। यह फैसला जस्टिस अमरजोत भट्टी ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया, जिसमें एक पुरुष और उसके परिवार के सदस्यों ने अप्रैल 2022 में चंडीगढ़ के महिला थाने में दर्ज एफआईआर को रद करने की मांग की थी।

    यह एफआईआर एक महिला के पिता द्वारा दायर शिकायत के आधार पर दर्ज की गई थी। शिकायत में कहा गया था कि उनकी बेटी की शादी एक मैट्रीमोनियल वेबसाइट के जरिये हुई थी, जिसमें पति उस समय सिडनी में रह रहा था और पत्नी दोहा (कतर) में काम कर रही थी।

    कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि वास्तव में उक्त एफआईआर बदले की भावना का परिणाम है, क्योंकि शिकायतकर्ता की बेटी का अपने पति के साथ वैवाहिक विवाद था। इसी कारण शिकायतकर्ता ने बेटी के पति और भारत में रह रहे उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ यह शिकायत दर्ज की।

    कोर्ट ने पाया कि सास और ननदों के खिलाफ लगाए गए आरोप अस्पष्ट और आधारहीन थे। इसी कारण एफआईआर और उससे संबंधित चालान समेत सभी कार्यवाही को रद कर दिया गया।

    हालांकि, पति के मामले में कोर्ट ने अलग रुख अपनाया। यह देखा गया कि पति ने अग्रिम जमानत मिलने के बाद बिना संबंधित कोर्ट की अनुमति के आस्ट्रेलिया की यात्रा की थी। इस आधार पर कोर्ट ने पति के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद करने से इन्कार कर दिया।

    याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि एफआईआर बिना किसी आधार के दर्ज की गई थी, क्योंकि कथित क्रूरता या दहेज की मांग से संबंधित कोई घटना भारत में नहीं हुई थी। चंडीगढ़ प्रशासन और शिकायतकर्ता ने कहा कि शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस ने जांच की थी। बताया गया कि सास और ननदों ने नोटिस के बावजूद जांच में शामिल होने से इन्कार किया था।

    पति के लिए एक लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया था। इसके बाद उसे भारत के एक हवाई अड्डे पर पकड़ा गया था। कोर्ट ने अपने फैसले में जोर दिया कि कानून का उद्देश्य महिलाओं को उनके वैवाहिक घरों में क्रूरता से बचाना है, लेकिन इसका दुरुपयोग व्यक्तिगत प्रतिशोध के लिए नहीं किया जाना चाहिए।