हरियाणा में आईपीएस पूरन कुमार आत्महत्या मामले में दिल्ली तक गरमाई सियासत, राहुल-खरगे के बाद चिराग पासवान भी कूदे
हरियाणा के आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले में राजनीति गरमा गई है। चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को पत्र लिखकर निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह घटना प्रशासनिक ढांचे में व्याप्त भय और अन्याय का संकेत है। पासवान ने कहा कि ईमानदार अधिकारी को आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा, यह सिस्टम को झकझोर देने वाला है। राहुल गांधी ने भी सरकार पर सवाल उठाए हैं।

चिराग पासवान ने सीएम नायब सैनी को पत्र लिखा है और कहा है कि आत्मा को झकझोरने वाली यह घटना पूरे प्रशासनिक ढांचे में व्याप्त भय और अन्याय का संकेत है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के सीनियर आइपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या पर गर्माई राजनीति में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बाद अब केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान ने भी एंट्री मारी है। उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को पत्र लिखकर पूरे मामले की निष्पक्ष, उच्चस्तरीय और समयबद्ध जांच की मांग की है।
पासवान ने पत्र में कहा कि आत्मा को झकझोरने वाली यह घटना सिर्फ एक अधिकारी की मौत नहीं, बल्कि पूरे प्रशासनिक ढांचे में व्याप्त भय और अन्याय का संकेत है। प्रशासनिक तंत्र की आत्मा को झकझोरने वाली घटना है। सवाल खड़ा होता है कि आखिर एक ईमानदार और अनुशासित अधिकारी को ऐसी मजबूरी क्यों झेलनी पड़ी कि उसे अपनी जान लेनी पड़ी। पूरन कुमार जैसे अधिकारी, जिन्होंने कानून, अनुशासन और सेवा के प्रति पूरा जीवन समर्पित किया, उनका इस तरह टूटना पूरे सिस्टम की आत्मा को झकझोर देने वाला है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह घटना किसी राजनीतिक या प्रशासनिक बहस का विषय नहीं, बल्कि मानवता, न्याय और समानता के मूल्यों की परीक्षा है। पूरन कुमार का सुसाइड नोट उस व्यवस्था की नाकामी को उजागर करता है, जो ईमानदारी की रक्षा करने के बजाय उसे कुचलने का काम करती है। उन्होंने जोर दिया कि इस मामले में निष्पक्ष जांच सिर्फ एक अधिकारी के न्याय तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह संदेश भी देनी चाहिए कि कानून के ऊपर कोई नहीं है। न पद, न प्रतिष्ठा, न प्रभाव।
चिराग पासवान ने उम्मीद जताई कि प्रदेश सरकार इस गंभीर मामले को सर्वोच्च प्राथमिकता देगी और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए ठोस कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि यदि किसी अधिकारी को उसकी जाति, विचारधारा या ईमानदारी के कारण उत्पीड़न झेलना पड़े तो यह न केवल संविधान की आत्मा पर चोट है, बल्कि शासन की नैतिकता पर भी प्रश्न है। राहुल गांधी भी इस मामले में भाजपा सरकार पर सवाल उठा चुके हैं।
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