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    हाईकोर्ट ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की याचिका खारिज की, ED को दस्तावेजों के निरीक्षण की अनुमति

    Updated: Thu, 04 Sep 2025 08:52 AM (IST)

    पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनके बेटे रणइंदर सिंह की याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को उन दस्तावेजों के निरीक्षण की अनुमति दी है जिनकी मांग आयकर विभाग ने की थी। यह मामला फ्रांस के कर प्राधिकरण द्वारा दी गई जानकारियों से जुड़ा है जिसमें कैप्टन और उनके बेटे पर विदेशी संपत्तियों के लाभार्थी होने का आरोप है।

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    पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, जागरणl चंडीगढ़। हाई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर व उनके बेटे रणइंदर सिंह की याचिका खारिज करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को उन दस्तावेजों का निरीक्षण करने की अनुमति दे दी है जिनको लेकर आयकर विभाग ने शिकायत के साथ मजिस्ट्रेट अदालत में मांग की थी। शिकायत आयकर अधिनियम की धारा 277 एवं भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत दायर की गई थी।

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    मामला उन जानकारियों से जुड़ा है, जो फ्रांस के कर प्राधिकरण द्वारा भारत को उपलब्ध कराई गई थीं जिनमें आरोप लगाया गया कि तत्कालीन सीएम कैप्टन व उनके बेटे रणइंदर सिंह विदेशी व्यावसायिक संस्थाओं के माध्यम से संचालित संपत्तियों के लाभार्थी हैं।

    मजिस्ट्रेट ने आवेदन स्वीकार करने को याचिकाकर्ताओं ने चुनौती दी। जस्टिस त्रिभुवन दहिया ने कहा कि यह मामला दस्तावेजों की जानकारी सार्वजनिक करने का नहीं बल्कि जांच के लिए उपयोग का है। उन्होंने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता ‘एग्रीमेंट फार अवाइडेंस आफ डबल टैक्सेशन’ (भारत-फ्रांस कर संधि) का हवाला देकर आपत्ति नहीं जता सकते।

    यदि समझौते का कोई उल्लंघन होता है तो इसका विरोध आयकर विभाग कर सकता है, न कि याचिकाकर्ता। अदालत ने कहा कि राम जेठमलानी मामले में पहले ही यह सिद्धांत स्थापित किया जा चुका है कि यदि किसी नागरिक या संस्था के बैंक खातों में गड़बड़ी की जानकारी है तो उसे राज्य के साथ साझा करना आवश्यक है, ताकि जांच हो सके।

    यहां भी जानकारी ईडी, जो राज्य की ही संस्था है, को जांच के लिए दी जा रही है। याचिकाकर्ताओं की ओर से यह दलील दी गई कि फ्रांस से हुए कर समझौते के अनुच्छेद 28 के तहत सूचना को गोपनीय रखना आवश्यक है और केवल कर मूल्यांकन अथवा वसूली के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन हाईकोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि ईडी को दस्तावेजों तक पहुंच से रोकने का कोई आधार नहीं है।

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