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    IPS पूरन कुमार के शव का छठे दिन भी पोस्टमार्टम नहीं, परिवार को मनाने का हर प्रयास विफल, अब जांच पर मंडरा रहा साक्ष्यों के नष्ट होने का खतरा

    Updated: Sun, 12 Oct 2025 07:06 PM (IST)

    आईपीएस पूरन कुमार के शव का छठे दिन भी पोस्टमार्टम नहीं हो सका है, जिससे जांच पर साक्ष्यों के नष्ट होने का खतरा मंडरा रहा है। परिजनों ने पोस्टमार्टम में देरी पर चिंता जताई है, जिससे न्याय मिलने में संदेह हो रहा है। पुलिस मामले की जांच कर रही है, लेकिन पोस्टमार्टम में देरी से जांच की गति धीमी हो गई है।

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    आईपीएस वाई पूरन कुमार आत्महत्या मामले में न्याय की मांग को लेकर निकाला कैंडर मार्च।

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन सिंह के शव का छह दिन बीत जाने के बाद भी पोस्टमार्टम नहीं हो सका है। इससे एसआईटी को चिंता सताने लगी है कि शव के अधिक समय तक रखे रहने से महत्वपूर्ण सुबूत नष्ट हो सकते हैं, जिससे पूरे केस की न्यायिक प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि शव के इतने दिनों तक माॅर्चरी में पड़े रहने से डीएनए, गनपाउडर और अन्य फारेंसिक साक्ष्यों के खराब होने की संभावना बढ़ गई है।

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    विशेषज्ञों का मानना है कि यह देरी मामले की वैज्ञानिक जांच को कमजोर कर सकती है। अधिकारियों ने इस स्थिति को लेकर गंभीर चिंता जताई है और कहा है कि यदि पोस्टमार्टम जल्द नहीं हुआ तो जांच की दिशा और निष्कर्ष प्रभावित हो सकते हैं। बता दें कि 7 अक्टूबर को पूरन कुमार के आत्महत्या करने के बाद चंडीगढ़ के सेक्टर-11 स्थित आवास से उनके शव को सेक्टर-16 अस्पताल की मॉर्चरी में रखा गया था। उसके बाद शनिवार को परिवार के अनुमति के बिना शव को पीजीआई की मॉर्चरी में शिफ्ट कर दिया गया। अब शव पीजीआई की माॅर्चरी में है।

    मनाने की कोशिश, परिजनों ने नहीं दी सहमति

    रविवार को एसएसपी कंवरदीप कौर स्वयं सुबह से लेकर दोपहर तक दिवंगत अधिकारी की पत्नी अमनीत पी. कुमार के सेक्टर-24 स्थित आवास पर मौजूद रहीं। वह एक औपचारिक पत्र लेकर पहुंचीं, जिसमें लिखा गया था कि शव के अधिक समय तक मॉर्चरी में पड़े रहने से जांच से संबंधित साक्ष्य नष्ट हो सकते हैं। एसएसपी ने इस पत्र पर अमनीत पी. कुमार के हस्ताक्षर लेने की कोशिश भी की, ताकि आगे की कानूनी कार्रवाई शुरू की जा सके, परंतु परिवार ने पोस्टमार्टम की अनुमति देने से इन्कार कर दिया।

    एससी/एसटी एक्ट की धारा जोड़ी गई, एफआईआर में कोई अन्य बदलाव नहीं

    पुलिस ने इस मामले में एससी/एसटी अधिनियम की धारा 3(2)(बी) को जोड़ दिया है। हालांकि एफआईआर में अन्य कोई संशोधन नहीं किया गया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार परिवार अब भी सरकारी स्तर पर बातचीत कर रहा है। अधिकारियों ने बताया कि परिवार को पुलिस की कार्रवाई पर कोई आपत्ति नहीं है, परंतु वह अपनी विशिष्ट मांगों पर अडिग है।

    शीर्ष अधिकारियों की बैठक भी रही निष्फल

    रविवार सुबह इस संवेदनशील मामले पर दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हरियाणा के वित्त सचिव मोहम्मद शाइन और मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव राजेश खुल्लर अमनीत पी. कुमार के साथ उनके सेक्टर-11 स्थित प्राइवेट कोठी पर पहुंचे। शाईन अमनीत के आवास पर डेढ़ घंटे तक रहे, जबकि खुल्लर कुछ ही मिनटों में आए और चले गए। बंद कमरे में बातचीत होती रही, पर कोई ठोस सहमति नहीं बन सकी। इस दौरान एसएसपी कंवरदीप कौर भी मौजूद थीं, लेकिन सभी प्रयास बेनतीजा रहे।

    परिवार को समर्थन देने पहुंचे राजनीतिक नेता

    घटना ने न केवल पुलिस प्रशासन, बल्कि राजनीतिक हलकों में भी हलचल पैदा कर दी है। रविवार को अमनीत पी. कुमार से मिलने पहुंचे हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, उनके पिता अजय चौटाला, शिरोमणि अकाली दल नेता बिक्रम मजीठिया की पत्नी गनीव कौर, पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग और आम आदमी पार्टी के मोहाली विधायक कुलवंत सिंह सहित कई नेता पहुंचे। सभी ने इस कठिन समय में पीड़ित परिवार के साथ खड़े रहने का आश्वासन दिया और कहा कि परिवार को न्याय दिलाने के लिए हर स्तर पर आवाज उठाई जाएगी। राजा वडिंग ने कहा कि वह सोमवार को पंजाब में कैंडल मार्च निकालेंगे।

    छह दिनों में घटनाक्रम का विस्तार

    7 अक्टूबर: हरियाणा के सीनियर आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन सिंह ने चंडीगढ़ के सेक्टर-11 स्थित अपने आवास पर गोली मारकर आत्महत्या की।
    8 अक्टूबर: उनकी पत्नी व आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार जापान दौरे से लौटीं; उन्होंने पोस्टमार्टम करवाने से इनकार किया और पुलिस में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई।
    9 अक्टूबर: चंडीगढ़ के सेक्टर-11 थाने में हरियाणा के मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, डीजीपी शत्रुजीत कपूर समेत 15 अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज हुई।
    10 अक्टूबर: चंडीगढ़ पुलिस ने आईजी पुष्पेंद्र कुमार की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय एसआईटी का गठन किया।
    11 अक्टूबर: रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारणिया को हटाया गया; कांग्रेस ने जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया। दो मंत्रियों ने अमनीत कुमार से मुलाकात कर पोस्टमार्टम के लिए मनाने की कोशिश की, पर सफलता नहीं मिली।
    12 अक्टूबर: सेक्टर-20 स्थित गुरुद्वारा साहिब में महापंचायत हुई, जिसमें परिवार ने पोस्टमार्टम से इनकार का फैसला बरकरार रखा।